चंडीगढ़, 11 जुलाई। चंडीगढ़ कांग्रेस ने सुभाष चावला के नेतृत्व में सेक्टर 37 में बढ़ी हुई पेट्रोल, डीजल और एलपीजी सिलेंडर की कीमतों के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला ने कहा कि कच्चा तेल सस्ता होने के बावजूद भी सरकार की टैक्स से कमाई घटी नहीं है। कोरोनाकाल में जब देश में ज्यादातर लोगों की कमाई घट रही थी, तब उन्हें राहत देने के बजाय सरकार ने महंगे पेट्रोल-डीजल का बोझ डाल दिया। इससे सरकार की कमाई तो बढ़ी लेकिन लोगों पर महंगाई की मार पड़ी। आंकड़े बताते हैं कि पहली बार पेट्रोल-डीजल की बिक्री से मिला टैक्स आयकर से ज्यादा रहा। वित्त वर्ष 2020- 21 में आयकर के रूप में 4.69 लाख करोड़ रुपए आए, जबकि पेट्रोल – डीजल पर एक्साइज ड्यूटी व वैट के रूप में 5.25 लाख करोड़ रुपए लोगों को चुकाने पड़े।
खास बात यह है कि 2020-21 में पेट्रोल – डीजल की बिक्री इससे पहले के वित्तीय वर्ष से 10.5 फीसदी कम होने इंधन की बिक्री से आया टैक्स वित्तीय वर्ष के बावजूद सरकार की टैक्स से कमाई इतनी ज्यादा हुई । वहीं , कंपनियों ने 45 लाख करोड़ रुपए कॉरपोरेट टैक्स चुकाया। पेट्रोल – डीजल पर केंद्र एक्साइज और राज्य बैट वसूलते हैं । इसके अलावा आधा दर्जन छोटे टैक्स , शुल्क व सेस अलग हैं । पेट्रोल – डीजल से सरकार की कमाई बढ़ने की बड़ी वजह पिछले साल 6 मई को बढ़ाई गई एक्साइज ड्यूटी है । तब केंद्र सरकार ने एक दिन में पेट्रोल पर 10 रुपए और डीजल पर 13 रुपए ड्यूटी बढ़ा दी थी।
सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया था जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें माइनस में थीं । वही कच्चे तेल की कीमत घटने पर सरकार ने एक्साइज ड्यूटी पर इसे घटाया नहीं गया । इसके चलते सरकार की कमाई तो ज्यादा होती रही , पर पेट्रोल – डीजल के दाम रोज नई ऊंचाई छूते रहे । जिससे लोगों पर दोहरी मार पड़ी । पेट्रोल – डीजल पर लगने वाला टैक्स आरत्यक्ष कर होता है अर्थशास्त्र में इन्हें रिगरेसिव टैक्स माना गया है । आमदनी के अनुपात में देखें तो गरीब के लिए यह टैक्स प्रतिशत अधिक होता है । महंगे इंधन से महंगाई बढ़ती है । साथ ही कमाई का एक हिस्सा इस पर चले जाने से लोगों को डिस्पोजेबल इनकम घट रही है। सरकार को प्रत्यक्ष करों से संग्रह करना चाहिए और पेट्रोल – डीजल पर टैक्स में कमी करनी चाहिए।