औषधीय एवं फलों के वृक्षों का लगाना पर्यावरण के लिए अति आवश्यक: मंजू मल्होत्रा फूल

औषधीय एवं फलों के वृक्षों का लगाना पर्यावरण के लिए अति आवश्यक: मंजू मल्होत्रा फूल
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चंडीगढ़, 4 जून । हिंदू धर्म ग्रंथों में वृक्षों को लेकर बहुत ही जागरूक एवं चौकोने वाले तथ्यों की भरमार है। हमारे ऋषि मुनियों ने हर प्रकार के पेड़ पौधों के औषधीय गुणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। वह हमेशा प्रेरित करते रहे है कि हमें औषधियो एवं फलों वाले वृक्षों को ज्यादा से ज्यादा लगाना चाहिए जो ने केवल हमारी रोजमर्रा की जरूरतों के साथ अन्य जरूरतों को भी पूरा करते है। यह कहना है लेखिका एवं समाजसेवी मंजू मल्होत्रा फूल का।
मंजू मल्होत्रा फूल कहती है कि हमारे धर्म ग्रंथों में पीपल को वृक्षों का राजा कहा गया है
अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां, देवर्षीणां च नारदः।
गन्धर्वाणां चित्ररथः, सिद्धानां कपिलः मुनिः।।
श्री कृष्ण ने श्रीमद्भागवतगीता के 10 वें अध्याय के इस श्लोक में कहा है: हे अर्जुन मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष, देवर्षियों में नारद मुनि, गंधर्वों में चित्ररथ और सिद्धों में कपिल मुनि हूं।
यह बात सोचने की है कि प्रभु श्रीकृष्ण ने खुद की उपमा आखिर पीपल से क्यों की । बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए यह वृक्ष बेहद अहम है। ज्यादा से ज्यादा प्राणवायु देने वाला और कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने वाला, कम पानी में भी पनपने वाला और वर्षा के पानी को भी धरती के भीतर अपनी विशाल भूमि पर फैली जड़ों के द्वारा ज्यादा से ज्यादा सोखने वाला, जिससे धरती के भीतर का जलस्तर बड़े, वह वृक्ष पीपल ही है। जहां यूकेलिप्टस यानी नीलगिरी जैसे वृक्ष जिनकी जड़ें भूमि में बहुत गहराई तक जाती हैं और पृथ्वी के भीतर का सारा पानी सोख लेती है। जिससे पृथ्वी के भीतर का जलस्तर घटने लगता है, वही पीपल कम पानी में भी पनपता है। और विशाल वृक्ष निरंतर हवा को शुद्ध करता रहता है। स्वस्थ हवा में ही हम स्वस्थ रह सकते हैं।जब हम स्वस्थ रहेंगे तो शांति आएगी और शांति नहीं होगी तो ज्ञान के लिए किए जा रहे प्रयास सार्थक नहीं होंगे। पीपल के नीचे ही महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। हमारे वेद, पुराणों में बहुत सी जगह पीपल, नीम, बड़, आम,आंवला, बेल, आदि औषधिये एवं फलों के वृक्षों का वर्णन एवं पर्यावरण को इनसे मिलने वाले लाभों का भी वर्णन मिलता है ।
हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे उद्देश्य पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना है। मनुष्य भी इस पर्यावरण का, इस पृथ्वी का एक हिस्सा ही है। प्रकृति के बिना मनुष्य का जीवन संभव नहीं । मनुष्य का अस्तित्व नहीं रहेगा यदि पर्यावरण सुरक्षित नहीं होगा । कोरोना महामारी में भले ही मनुष्य को लॉकडाउन ने हिला कर रख दिया है। लेकिन पर्यावरण पर लॉकडाउन का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। विश्व में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विकराल होती जा रही है। इंसानों ने अपनी सुविधाओं के लिए जरूरत से ज्यादा संसाधनों का निर्माण किया। जिससे पर्यावरण पर बुरा असर हुआ। इस बुरे असर से होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए वैश्विक मंच बनाया गया।
विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की वजह लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है। विश्व पर्यावरण दिवस मनाना तभी सफल हो पाएगा जब मानव पर्यावरण का ख्याल रखें। हर व्यक्ति को समझना होगा कि पर्यावरण रहेगा तब ही इस धरती पर जीवन संभव है। इसके लिए बहुत आवश्यक है कि हम पीपल, बड़, बेल,आंवला, नीम एवं आम आदि वृक्षों का निरंतर वृक्षारोपण करें तथा उनकी देख रेख करें। तभी यह प्रकृति प्रदूषण मुक्त हो सकेगी।
भविष्य में भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त हो तथा आने वाली पीढ़ी को निरोगी पर्यावरण मिले, इसके लिए आवश्यक है की इन वृक्षों को लगाने का अभियान जारी रखा जाए। शायद हम में से कोई भी नहीं चाहेगा कि हमारी आने वाली पीढ़ियां यह कहें कि हमारे पूर्वजों ने जो गलतियां कि आज उसकी सजा हमें मिल रही है, हमें सांस लेने के लिए शुद्ध हवा तक प्राप्त नहीं है। विश्व पर्यावरण दिवस पर सभी प्रण लें कि ज्यादा से ज्यादा पीपल,बड, बेल, आंवला, नीम एवं आम आदि वृक्षों का निरंतर वृक्षारोपण करते रहेंगे। ज्यादा से ज्यादा इन वृक्षों को लगाएंगे जिससे हमारे बच्चों को विरासत में हमसे शुद्ध हवा और सुरक्षित पर्यावरण जरूर मिल पाए।

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