चंडीगढ़, 10 जून । सेक्टर-27 के मकान नंबर 3265 में रहने वाले सरकारी कॉलेज फ़ॉर मेन्स सेक्टर-11 के पूर्व प्रिंसिपल भूपिंदर सिंह 29 मई को अपने घर में बेसुध हालत में पाए गए। 29 मई को फेसबुक के जरिए शर्मिता भिंडर को जानकारी मिली कि वे अपने घर में बेहोशी की हालत में पड़े हैं व उनके घर के दरवाजे खुले हुए हैं। शर्मिता भिंडर ने वालंटियर्स को भेजकर उन्हें हॉस्पिटल में दाखिल करवाया।
एम्बुलेंस में ले जाते हुए प्रिंसिपल भूपिंदर ने वालंटियर्स से कहा कि उनके कज़न कुलदीप सिंह बावा व कामवाली ने उन्हें 3 दिनों से खाना व पानी नहीं दिया है। प्रिंसिपल भूपिंदर की उम्र 74 साल है व उनकी फैमिली में कोई नहीं है। जानकारी के अनुसार कुलदीप सिंह उनका नॉमिनी है।
स्वयं सेवी संस्था चलाने वाले शार्मिता भिंडर ने जारी एक बयान में बयान में बताया कि वालंटियर्स उन्हें मनीमाजरा के हॉस्पिटल में ले गए क्योंकि वे कोविड रिकवरी पेशेंट थे। वहां से उन्हें सेक्टर-16 के सरकारी हॉस्पिटल ले जाया गया जहां बेड नहीं मिल सका। कुलदीप ने प्रिंसिपल भूपिंदर के घर की चाबी व उनका फोन अपने कब्जे में ले लिया। इसके बाद कुलदीप सिंह ने कहा कि वह ईडन हॉस्पिटल फेज 1 चंडीगढ़ में बेड करवा सकता है इसलिए रात के 1 बजने के कारण उन्हें ईडन में भर्ती करवाना पड़ा।
2 दिन बाद प्रिंसिपल भूपिंदर के दोस्त महावीर जगदेव ने शार्मिता को जानकारी दी कि कुलदीप सिंह ने कह दिया है कि वह ईडन का खर्चा नहीं उठा सकता और वह उन्हें घर लेकर जाना चाहता है। इसलिए एनजीओ को डोनेशन के लिए मीडिया ग्रुप्स में मैसेज डलवाना पड़ा। मीडिया के कुछ लोगों की सलाह के बाद उन्हें बड्डी केयर की मदद से सेक्टर-32 के सरकारी हॉस्पिटल ले जाया गया। 1 जून को ईडन से ले जाते हुए कुलदीप बावा ने ट्रांसफर लेटर पर सिग्नेचर करके दिया कि वह प्रिंसिपल भूपिंदर की देखरेख नहीं कर सकता है इसलिए शर्मिता भिंडर व बड्डी केयर के एनजीओ को ज़िम्मेदारी दे रहा है।
एनजीओ की गुजारिश पर कि उनके पास प्रिंसिपल भूपिंदर का कोई पहचान पत्र नहीं है यह देखते हुए कुलदीप ईडन से सेक्टर-32 हॉस्पिटल तक वैन में साथ गया ताकि उनको एडमिट करवाया जा सके। इसके बाद इमरजेंसी से कुलदीप गायब हो गया और कई दिनों तक किसी का फोन नहीं उठाया। शर्मिता भिंडर ने 31 मई को प्रिंसिपल भूपिंदर की सेफ्टी को देखते हुए एसएसपी, डीएसपी और सेक्टर-26 के एसएचओ को ईमेल के जरिए शिकायत भेजी।
कुलदीप के ग़ायब होने के बाद प्रेस क्लब के प्रेसिडेंट नलिन आचार्य द्वारा भी 26 के एसएचओ व चंडीगढ़ के एडवाइजर मनोज परिदा को ईमेल के जरिए शिकायत भेजी गई।
जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो रिटायर्ड आईएएस विवेक अत्रे ने एसएसपी को शिकायत भेजी। विवेक अत्रे प्रिंसिपल भूपिंदर को लिटरेरी ग्रुप व सीएमए के जरिए पहले से जानते हैं। 1 हफ्ते से इतनी शिकायतें मिलने के बाद भी अब तक पुलिस ने कोई एफआईआर नहीं दर्ज की है। कुलदीप द्वारा प्रिंसिपल भूपिंदर की कस्टडी वापस लेने की कोशिश की जा रही है। जिस दिन से प्रिंसिपल भूपिंदर हॉस्पिटल पहुंचे हैं तब से उनकी कामवाली अपने बच्चों को लेकर गायब हो गई है।
एनजीओ की ओर से शार्मिता भिंडर ने यह सवाल उठाए हैं कि यदि कुछ गलत नहीं हुआ था तो वे अपने घर में ऐसी हालत में क्यों पाए गए? उन्होंने वालंटियर्स से क्यों कहा कि उन्हें भूखा-प्यासा रखा गया है? कुलदीप और कामवाली 1 जून से कहाँ गायब हैं? मदद करने वाली महिलाओं को धमकियां क्यों मिल रही हैं?