यूटी कर्मचारियों ने काले झण्डे लेकर निकाली रोष रैलियां

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चण्डीगढ़, 26 मई। तीन कृषि कानूनों को रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी करने, बिजली बिल 2021 रद्द करने, चार लेबर कोड़ वापिस लेकर मजदूरों के हक में बने श्रम कानून बहाल करने, बिजली, पानी, ट्रांसर्पोट आदि सरकारी व अर्द्ध सरकारी विभागों का निजीकरण बन्द करने, लम्बे समय पूर्व यूटी व एम सी से रिटायर हुए कर्मचारियों को शीघ्र पेंशन का भुगतान करने, कम से कम वेतन 21000 रूप्ये देने, आउटसोर्स कर्मचारियों को विभाग के अधीन करने आदि किसानों व मजदूरों की मांगों को लागू कराने तथा मांगों पर केन्द्र राज्य व केन्द्रशासित प्रदेशों की सरकारों व प्रशासन के नकारात्मक रवैये के खिलाफ किसान व मजदूर संगठनों के आह्वान पर आज यूटी व एम सी कर्मचारियों ने फैड़रेषन ऑफ यूटी इम्पलाईज एण्ड वर्करज चण्डीगढ़ के बैनर तले अलग अलग दफ्तरों में काले झण्डों के साथ रोष रैलियां की।
बिजली, पानी, बागबानी, सड़क आदि यूटी व एम सी में की गई रैलियों को फैड़रेषन के प्रधान रघबीर चन्द, महासचिव गोपाल दत्त जोषी, यूटीपावरमैन के प्रधान ध्यान सिंह, वाटर सप्लाई के महासचिव राजेन्द्र कटोच, प्रधान हरपाल सिंह, हार्टिकल्चर के चेयरमैन एम. सुब्रहमण्यम रोड़के प्रेमपाल, बिजली के गुरमीत सिंह, अमरीक सिंह, कष्मीर सिंह, चैन सिंह, सिकन्दर शर्मा, बिहारी लाल, नसीब सिंह के अलावा सी आईटीयू चण्डीगढ़ के प्रधान का. कुलदीप सिंह ने सम्बोधित करते हुए 6 महिने लगातार संघर्ष चलाने के लिए किसान संगठनों को मुबारकबाद देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार को इस ऐतिहासिक संघर्ष से सबक लेकर किसान संगठनों से बातचीत शुरू करनी चाहिए तथा तीनों खेती कानूनों को रद्द कर सुखद वातावरण बनाना चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि पूरा देष करोना महामारी से पीडित है तथा बिजली, पानी ट्रांसर्पोट आदि विभागों के कर्मचारी दिन रात जनता की सेवा में लगे हैं। सरकार इन हालातों का नाजायज फायदा उठाकर विभागों का निजीकरण करने पर आतुर है जो गैर जरूरी तथा जनविरोधी है इसलिए सरकार को निजीकरण की बजाय जनता को कोविड से छुटकारा दिलाने में अपनी ताकत लगनी चाहिए।

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