करनाल, 27 अप्रैल। कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक है। इसकी चपेट में लोग आते जा रहे हैं। लेकिन संतोष की बात यह है कि संक्रमण के बाद अब स्वस्थ होने वालों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। आवश्यकता इस बात की है कि कोरोना से डरे नहीं, लेकिन सावधान जरूर रहें। सरकारी गाइडलाइंस का पालन करें और वैक्सीन अवश्य लगवाएं। वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण होने पर जान जाने का खतरा न के बराबर हो जाता है ऐसा विशेषज्ञों का दावा है।
यह विचार हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने रेडियो ग्रामोदय के वेकअप करनाल कार्यक्रम में कोरोना से जूझकर स्वस्थ हुए डी. ए. वी. कॉलेज करनाल के प्राचार्य डॉ. आर. पी. सैनी और कोरोना मरीज़ों के लिए प्लाज़्मा उपलब्ध कराने में जुटी सामाजिक संस्था के संचालक शुभम गुप्ता के साथ चर्चा में व्यक्त किए।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय रोहतक के वरिष्ठ चिकित्सकों के हवाले से डॉ. चौहान ने कहा कि वर्तमान दौर में आवश्यकता पढ़ने पर घर से निकलना भी पढ़े तो दो मास्क लगाकर निकलना चाहिए। डॉ. चौहान ने कहा कि वैक्सीन लगवाना कोरोना से बचाव का सबसे कारगर तरीका है। लेकिन दुर्भाग्यवश इसको लेकर कुछ लोग भ्रम फैलाने में लगे हैं। कुछ लोग तो कोरोना महामारी को सरकार का षड्यंत्र बताने से भी नहीं चूकते। उन्होंने बताया कि भारत में अब तक जितने लोगों को कोरोना की वैक्सीन दी जा चुकी है, उसकी संख्या आबादी के लिहाज से यूरोप के कई देशों के बराबर है।
डॉ. चौहान ने कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों से आह्वान किया कि उन्हें अन्य लोगों की जान बचाने के लिए आगे आकर अपना प्लाज्मा डोनेट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति का प्लाज्मा दान दो लोगों की जिंदगी बचा सकता है। उन्होंने माना कि एनसीआर के गुड़गांव और फरीदाबाद में कुछ समय के लिए अस्पतालों में बेड का संकट उत्पन्न हो गया था, लेकिन इसे तुरंत दूर कर लिया गया।
प्राचार्य डॉ. आर. पी. सैनी ने बताया कि वह और उनकी पत्नी दोनों कोरोना से संक्रमित हो गए थे। पहले हल्का बुखार हुआ, फिर गले में खराश हुई। जांच कराने पर दोनों कोरोना पॉजिटिव निकले। शुरू में तो डर हुआ, लेकिन ईश्वर में आस्था रखते हुए हौसला बनाए रखा। घरेलू उपचार गर्म पानी व काढ़े के अलावा कुछ खास दवाओं के सेवन से चार-पांच दिनों बाद ही सुधार दिखने लगा। डॉ. सैनी ने कहा कि कोरोना पर दुष्प्रचार से बचना चाहिए। बीमारी की गंभीरता को समझें। खुद भी बचें और दूसरों की भी जान बचाएं।
सामाजिक संस्था के माध्यम से रक्तदान के कार्य में जुटे शुभम गुप्ता ने कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कोरोना के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी अत्यंत कारगर उपाय है। शुभम ने कहा कि उनकी संस्था ने करनाल ही नहीं अपितु प्रदेश के विभिन्न हिस्सों और दिल्ली तक मरीज़ों को प्लाज़्मा उपलब्ध कराया है।
चर्चा के दौरान जींद से वेदप्रकाश ने जींद ज़िले से सम्बंधित कुछ तथ्य रखें और व्यवस्था को और दुरुस्त बनाए जाने की वकालत की
इस अवसर पर डॉ. चौहान ने जानकारी दी कि पानीपत और हिसार में पांच सौ बिस्तरों वाले दो अस्पतालों का निर्माण कार्य युद्ध स्तर पर करने के आदेश मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिए है और प्रदेश सरकार इसके प्रति अत्यंत गंभीर है।
प्लाजमा डोनेशन कब करें ?
एनजीओ संचालक शुभम गुप्ता ने बताया कि ऑक्सीजन जब चिंताजनक स्तर तक नीचे गिर जाए और रक्तचाप में भी भारी उतार-चढ़ाव होने लगे तो मरीज को प्लाज्मा चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। मरीज़ को प्लाज़्मा का दान कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुका व्यक्ति ही कर सकता है। वैसा व्यक्ति जिसे कोरोना संक्रमण से ठीक हुए कम से कम 28 दिन हुए हों, अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। एक बार प्लाज्मा डोनेट करने के 14 दिन के बाद ही व्यक्ति दूसरी बार प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। डोनेशन के दौरान प्लाज्मा एक तरफ एकत्र होता है और रक्त के बाकी अवयव वापस दाता के शरीर में लौट आते हैं। 450 एमएल रक्त में 320 एमएल प्लाज्मा होता है।
शुभम गुप्ता के अनुसार उनकी संस्था दिल्ली, गाजियाबाद, मुरादाबाद, करनाल और चंडीगढ़ समेत कई शहरों में प्लाज्मा उपलब्ध करवा चुकी है। उन्होंने जरूरतमंदों की सुविधा के लिए अपना मोबाइल नंबर भी दिया। 7015130620 नंबर पर कॉल कर जरूरतमंद उनसे प्लाज्मा की मदद ले सकते हैं।