हिंदी आंदोलन-1957 के मातृभाषा सत्याग्रहियों के लिए पेंशन योजना में संशोधन के प्रस्ताव को दी मंजूरी

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चंडीगढ़, 8 फरवरी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में आज हिंदी आंदोलन-1957 के मातृभाषा सत्याग्रहियों के लिए पेंशन योजना में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस योजना के पात्रता मानदंड में संशोधन किया गया है, ताकि उन सत्याग्रहियों को शामिल किया जा सके जो जेल में बंद हुए थे, लेकिन जेलों में उनके कारावास का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
संशोधन के अनुसार यदि कोई सत्याग्रही कैद होने का दावा करता है, लेकिन जेल रिकॉर्ड में उसके कारावास का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है तो उसे दो सह-कैदियों का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा जो उसके साथ उन्हीं तारीखों या महीनों में जेल में थे, लेकिन शर्त यह है कि किसी एक सह कैदी का जेल रिकॉर्ड उपलब्ध हो और उसके साथ एफआईआर में आवेदक के नाम का उल्लेख हो। अन्य पात्रता मानदंड के साथ-साथ योजना के नियम और शर्तें समान रहेंगी। तथापि, नए आवेदक के पेंशन दावे पर उक्त प्रयोजन के लिए गठित समिति की सिफारिशों की तिथि से विचार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हिसार में हरियाणा राज्य के स्वर्ण जयंती समारोहों के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए 31 अक्तूबर, 2017 को मातृभाषा सत्याग्रहियों और उनके जीवन साथी को हिंदी आंदोलन-1957  के सत्याग्रही के मामले में 10,000 रुपये की मासिक पेंशन प्रदान करने की घोषणा की थी, क्योंकि उनके संघर्ष और बलिदान के कारण ही हरियाणा भारत के नक्शे पर एक अलग राज्य के रूप में सामने आया।

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