गौड़ीय मठ व इस्कॉन संस्थाओं के संस्थापक सरस्वती ठाकुर प्रभु पाद जी की 87वीं पुण्यतिथि मनाई

गौड़ीय मठ व इस्कॉन संस्थाओं के संस्थापक सरस्वती ठाकुर प्रभु पाद जी की 87वीं पुण्यतिथि मनाई
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चण्डीगढ़, 3 जनवरी। श्री चैतन्य  गौड़ीय मठ, से. 20 में गौडिया मठ एवं इस्कॉन जैसी विश्वव्यापी श्री कृष्ण आंदोलन संस्थाओं के संस्थापक श्री भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभु पाद की 87वीं पुण्यतिथि श्रद्धापूर्वक एवं विधि विधानपूर्वक मनाई गई एवं भक्तों अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। मठ के प्रवक्ता जयप्रकाश गुप्ता ने बताया कि विश्वव्यापी हरे कृष्णा आंदोलन के प्रणेता एवं 100 करोड़ हरि नाम का जाप करने वाले महान वैष्णव संत श्री भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर प्रभु पाद की पुण्यतिथि मनाने के लिए सुबह से ही भक्तों में उमंग जोश भरा हुआ था। मंगला आरती के पश्चात भजन-संकीर्तन-प्रवचन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। मठ के महाराज वामन महाराज ने भक्तों को अपने संदेश में कहा कि आज ही के दिन विश्व के इस शुद्ध कृष्ण भक्ति के महान वैष्णव संत ठाकुर प्रभु पाद इस धरती पर से अपनी लीला पूरी कर चले गए थे। इनका जन्म भगवान के पवित्र पुरी धाम में 6 फ़रवरी 1874 प्रकट हुआ। इनके पिता भक्ति विनोद ठाकुर उस समय तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात थे। ठाकुर प्रभुपाद बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि मेधावी छात्र थे। छोटी सी 7 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने श्रीमद् भागवत गीता के पूरे श्लोक कंठस्थ कर लिए थे व अपने समय के जाने-माने ज्योतिष आचार्य विद्वान माने जाते थे। अति उच्च शिक्षा प्राप्त होने के बावजूद भी उन्होंने महान वैष्णव संत गौर किशोर दास बाबा जी महाराज, जोकि  निरक्षर थे, को अपना गुरु बनाया था। 100 करोड़ हरिनाम महामंत्र का जाप करने के पश्चात उन्होंने पूरे विश्व में शुद्ध कृष्ण भक्ति के प्रचार प्रसार के लिए एक ऐसी छत का निर्माण किया, जिसमें बिना किसी रंगभेद, धर्म, जाति के कोई भी विश्व का व्यक्ति निर्भय होकर कृष्ण भक्ति कर सकता है। आज उनकी ही देन है कि विश्व के कोने-कोने में हरे कृष्ण महामंत्र का नाम गूंज रहा है।पूरे विश्व में 5000 से अधिक केंद्रो में शुद्ध कृष्ण भक्ति भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु का संदेश का पालन किया जा रहा है। आज के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भक्तों ने अपने इस महानायक को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। संकीर्तन-प्रवचन के पश्चात सैंकड़ों भक्तों ने भगवान को अर्पित स्वादिष्ट प्रसाद का पान कर आनंद प्राप्त किया।

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