निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मियों की विशाल रैली

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चंडीगढ़, 5 मार्च । यूटी पावरमैन यूनियन चण्डीगढ़ के आह्वान पर शुक्रवार को निजीकरण के खिलाफ एवं प्रशासन द्वारा मांगों के प्रति नाकारात्मक रवैया अपनाने के विरोध में चण्डीगढ़ के बिजली कर्मियों ने बिजली दफ्तर सैक्टर 19 में विशाल रैली व प्रर्दषन आयोजित किया।
रैली को सम्बोधित करते हुए यूटी पावरमैन यूनियन चण्डीगढ़ के महासचिव गोपाल दत्त जोशी ने कहा कि आज की रैली बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ, बिजली अमैन्डमैंट बिल 2021 को रद्द करने, निजीकरण के दस्तावेज स्टैन्डर्ड बिडिंग डाकूमैंट को निरस्त करने व विषेष रूप से सुचारू रूप से चल रहे तथा मुनाफा कमा रहे चण्डीगढ़ के बिजली विभाग का निजीकरण रद्द कर गैर जरूरी व शंका से घिरा बिडिंग प्रोसेस खत्म करने के लिए किया गया। उन्होंने केन्द्र सरकार तथा चण्डीगढ़ प्रषासन की तीखी निन्दा करते हुए कहा कि आखिर चण्डीगढ़ प्रषासन सोने की चिडिया (मुनाफा कमा रहे बिजली विभाग) को थाली में रखकर मुनाफाखोरों को बेचने केलिए इतना आतुर क्यों है तथा किसके हितों की पूर्ति करने को बेचैन है? जनता तथा कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात क्यों किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि निजीकरण की प्रक्रिया को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अन्तरिम रोक के बाद तो चण्डीगढ़ प्रषासन इतनी हड़बडी में है कि उसे सही व गलत का भी आभास नहीं हो रहा है। प्रषासन की हड़बड़ी व जल्दबाजी का आलम यह है कि प्रषासन ने फास्टट्रेक के नाम पर तुरन्त निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर 2 फरवरी को होने वाली प्री बिड मीटिंग 22 जनवरी को ही कर ली जिसमें कई नियमों व प्रक्रियाओं को नजर अंदाज किया है। आखिर इतनी जल्दबाजी की वजह क्या है। प्रषासन की जल्दबाजी अपने आप में कई अहम सवाल खडे करती है जो उच्चस्तरीय जांच का विषय बन चुका है। उन्होंने माननीय उच्चतम न्यायालय के अन्तिम फैसले का इन्तजार करने पर जोर देते हुए प्रषासन पर आरोप लगाया कि इस सारी कार्यवाही में जनता तथा कर्मचारियों के हितों की तिलांजली दी जा रही है। कर्मचारियों की सेवाषर्तो पर सरकार ने अभी तक कोई नीति नहीं बनाई है न ही यूनियन के मांग पत्रों को अहमियत दी जा रही है। प्रषासन कम्पनियों से तो लगातार बातचीत व मीटिंगे कर रही है लेकिन मुख्य स्टेक होल्डरों से कोई बातचीत नहीं करना चाहती जिनके हित दांव पर लगाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ केन्द्र की सरकार सिर्फ घाटे में चल रहे विभागों के निजीकरण की बात कर रही है तथा अलग अलग कम्पनीयों को ठेका कम्पींटिषन की बात कर रही है दूसरी तरफ मुनाफे में चल रहे चण्डीगढ़ के बिजली विभाग का 100 प्रतिषत शेयर बेच रही है जो अपने आप में कन्ट्राडिक्टी है।
यूनियन के प्रधान ध्यान सिंह ने कहा कि विभाग ने पिछले 5 सालों से बिजली की दरों में कोई वृद्धि नहीं की है। 24 घंटे निर्विघ्न बिजली दी जा रही है। विभाग को वैस्ट यूटिलिटी का अवार्ड भी लगातारा मिल रहा है बिजली की दर भी पडौसी राज्यों व केन्द्रषासित प्रदेषों से कम है। ट्रांसमिषन व डिस्ट्रीब्यूषन (टी एण्ड डी) लास भी बिजली मंत्रालय के तय मानक 15 प्रतिषत से काफी कम है। पिछले 5 साल से विभाग लगातार 150 करोड से 250 करोड़ तक मुनाफा कमा रहा है। विभाग का वार्षिक टर्न ओवर 1000 करोड़ के करीब है जिस हिसाब से कम से कम कीमत 15000 करोड़ से अधिक बनती है लेकिन ताजुब्ब की बात है कि बोली सिर्फ 174 करोड की लगाई जा रही है। जमीन व इमारतों का किराया सिर्फ एक रूपया प्रति महिना , 157 करोड़ रूप्या जनता का जमा एसीडी निजी मालिकों को देने का फैसला, 300 करोड़ से अधिक कर्मचारियों का फण्ड निजी ट्रस्ट के हवाले करने की बात की जा रही है जिसे किसी भी हालत में बर्दास्त नहीं किया जा सकता।
रैली को यूनियन के सयुंक्त सचिव अमरीक सिंह, गुरमीत सिंह, सुखविन्द्र सिंह, रणजीत सिंह, दर्षन सिंह, रेषम सिंह, पान सिंह ने संबोधित करते हुए प्रषासन पर आरोप लगाया कि प्रषासन निजीकरण करने के लिए इतना उतावला हो रहा है कि कर्मचारियों की भर्ती तथा समान का इंतजाम करना भी भूल गया है जिस का खामियाजा जनता को इन गर्मियों में भुगतना पड़ेगा। उन्होंने वेतन विसंगति दूर करने, समयबद्ध स्कूल लागू करने तथा कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध ना कराने के लिए अधिकारियों को आड़े हाथों लिया।
पैन्षनर एसोसिऐषन के प्रधान राम सरूप, उजागर सिंह मोही, मनमोहन सिंह, सुच्चा सिंह तथा फैड़रेषन के वरिष्ठ उप प्रधान राजिन्द्र कटोच ने रिटायर हुए कर्मचारियों के मुद्दों को हल ना करने के लिए अधिकारियों की निन्दा की तथा कहा कि प्रषासन के गलत निर्णय के कारण रिटायर कर्मचारियों का 23 साल का वेतनमान तथा पे-बैंड जैसे मुद्दे बरसों से पैडिंग पड़े है जिन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। वक्ताओं ने प्रषासन को चेतावनी दी कि अगर बिडिंग प्रक्रिया खत्म न की तो बिजली कर्मचारी अपने संघर्ष को ओर तेज करेगें जिस कारण आम जनता को होने वाली परेषानी के लिए प्रषासन का जन-विरोधी फैसला जिम्मेवार होगा।

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