विश्वास से ही मनुष्य आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता है: बंडारू

विश्वास से ही मनुष्य आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता है: बंडारू
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चण्डीगढ़, 9 दिसम्बर। हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि विश्वास से ही मनुष्य आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता है। आज हम ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ बनाने का जो सपना संजोये हुए हैं यह सपना गीता से प्रेरणा पाकर आगे बढ़ने से ही पूरा हो सकता है।
दत्तात्रेय गुरुवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम हॉल में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत् श्रीमद्भगवद्गीता के परिप्रेक्ष्य में विश्व गुरु भारत विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में सम्बोधित कर रहे थे। इससे पहले हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, स्वामी ज्ञानानंद महाराज जी, श्री श्री श्री त्रिदंडी चिन्ना श्री मन्नारायणा रामानुज जीयर स्वामीजी, सांसद नायब सिंह सैनी, शिक्षा मंत्री कंवर पाल, खेल मंत्री संदीप सिंह, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, संतोष तनेजा, सेमिनार की संयोजिका प्रो. मंजूला चैधरी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के इंद्रेश, अरूण ठाकुर आदि ने दीप प्रज्ज्वलित कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया। इस मौके पर सेमिनार की स्मारिका व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के रिसर्च जनरल का विमोचन भी किया गया।
राज्यपाल दत्तात्रेय ने कहा कि गीता के सभी सिद्धांतों का केंद्र बिंदु मनुष्य को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना ही है। गीता का प्रमुख उद्देश्य सभी परिस्थितियों में व्यक्ति को अपने कर्तव्य पथ से विचलित ना होने का संदेश देना है। ज्ञान योग, भक्ति योग, तथा निष्काम कर्म योग तीनों में सर्वश्रेष्ठ कौन है ! इसकी सही व्याख्या करते हुए भगवान श्री कृष्ण ने गीता के 12वें श्लोक में बताया है कि लगातार किए गए अभ्यास से ज्ञान श्रेष्ठ है, ज्ञान से भी श्रेष्ठ भक्ति है, भक्ति से भी श्रेष्ठ निष्काम कर्म योग है क्योंकि निष्काम कर्म योग करने से ही से शांति प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि 2020 में कोविड महामारी के प्रकोप से विश्व में सब कुछ स्थिर हो गया था, तब भी हमारे समाज ने वंचित व व्यथित लोगों की रक्षा के लिए जिस तरह से सामने आकर काम किया है, वह निष्काम कार्य की एक जीवन्त मिसाल है और यह गीता का ही सच्चा परिचारक है। गीता से हमें सीख मिलती है कि विपदा का हमें हिम्मत और दृढ़ता से सामना करना है और विपदा के समय गीता हमारा मनोबल बढ़ाती है। गीता किसी एक मजहब का पवित्र ग्रंथ न होकर बल्कि समस्त प्राणी जगत के कल्याण की अनुठी वैश्विक प्रेरणा है। जब जब जीवन में हम राह से भटकते है या असमंजस की स्थिति में होते है तब तब हमें एक सच्चे मार्गदर्शक की आवश्यकता होती हैं।
उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने जिस दिन अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, उसे गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह शुक्ल एकादशी के दिन मनाई जाती है जो इस वर्ष 14 दिसम्बर को मनाई जा रही है। गीता जयंती का मूल उद्देश्य यही है कि गीता के संदेश को हम अपनी जिंदगी में किस तरह से पालन करें और आगे बढ़ें। गीता के सन्देश से प्रेरणा पाकर देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के लिए सर्वस्व न्यौछावर किया था। आज उन्हीं की बदौलत देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। हम भाग्यशाली हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की गई है। इस शिक्षा नीति में गीता के उपदेश के आधार पर नैतिक मूल्यों, नेतृत्व, कर्म, कर्तव्य, जिम्मेवारी, प्रगति का समावेश किया गया है, जो भारत को फिर से विश्व गुरू बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि सम्पूर्ण गीता एक ऐसा ग्रंथ है जो वेदों का सार है। मनुष्य भौतिक जीत को जीत मान लेता है। काम, क्रोध, मोह, लोभ आदि सभी बुराइयों का इलाज गीता में है। गीता एक धार्मिक ग्रंथ होने के साथ-साथ एक जीवन दर्शन है जिसको अपनाकर कोई भी राष्ट्र अपना विकास कर सकता है। गीता सार्वभौमिक व कल्याणकारी है। वर्तमान समस्याओं का हल इसी अद्भुत ग्रंथ में है। विश्व का प्रत्येक व्यक्ति इसे आत्मसात करे, अपने जीवन में अपनाए, स्वयं के विकास के साथ-साथ गरीब व वंचितों के विकास में भी सहयोग करे, यही इसका मूल संदेश है। उन्होंने सिकंदर के एक वृतांत द्वारा बताया कि भारतीय आत्मधन के धनी हैं। आज भोगवाद की जिंदगी में कलह, अवसाद से मनुष्य ग्रस्त है व एक दूसरे से दूरी बना रहा है। इन सभी का समाधान गीता में है। मन अच्छाई व बुराई केन्द्र होता है तथा जिसने मन की पवित्रता, संतुलन, दिशा व नियंत्रण कर लिया वहीं व्यक्ति जी सकता है। इस बारे में गीता में भी वर्णन किया गया है।
शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल ने कहा कि गीता विश्व ग्रंथ है जिसका परिचय पूरी दुनिया में होना चाहिए। गीता मानवता के लिए है। लोगों को इतिहास व महापुरूषों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। गीता के नियमित पाठ से हमारा मन शांत रहता है। हमारे अंदर के सारे नकारात्मक प्रभाव नष्ट होने लगते हैं। विज्ञान ने भी स्वीकार किया है कि राम भी हुए है तथा सेतु भी बना है। इसी प्रकार गीता व महाभारत प्रमाण के साक्ष्य हैं।
अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता का प्रत्येक भाव भारत को विश्वगुरु बनाने में तथा उसकी दिव्यता को विश्व के सामने रखकर स्वीकार करने में विवश करेगा कि भारत विश्व गुरु था और रहेगा। ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि फ्रांस के गहन चिंतक अंरडेल ने स्वीकार किया कि गीता सद्भावना का मंच तैयार करने में सक्षम है। विश्व में चिन्तकों ने भी गीता की उदारता को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि आज मनुष्य भौतिक प्रगति कर रहा है लेकिन एक चिन्तक एक विचारक की आंख में अर्जुन मन की वह बीमारी है जो वैश्विक रोग बन चुकी है। हमें निश्चित करना है कि गीता इस सदन के अंदर ही नहीं बल्कि भारत राष्ट्र तथा विश्व भर में शांति की परिचायक बने। इसलिए प्रत्येक भारतीय का कत्र्तव्य है कि भारत के गौरव विश्वगुरु के स्वरूप को विश्व के सामने लाए। गीता मनीषी ज्ञानानन्द जी ने कहा कि मानसिक, कर्तव्यनिष्ठा, समता, सद्भाव के लिए गीता का अध्ययन जरूरी है। जीवन में मूल्यों का विकास जरूरी है तथा भगवद्गीता मूल्यों के विकास के साथ-साथ जीवन को सरलता से जीने में सहायक है।
श्री श्री श्री त्रिदंडी चिन्ना मन्नारायणा रामानुज जीयर स्वामी ने कहा कि भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कत्र्तव्य के बारे में उपदेश दिया तथा उनकी वाणी से कण-कण प्रभावित है। उन्होंने कहा कि आज भी आधुनिक विज्ञान शरीर छोडने के बाद आत्मा की यात्रा से अनभिज्ञ है। भगवद्गीता के वैभव को जानकर पाश्चात्य लोगों ने उसे अपनी विचारधारा में जोड़ लिया। उन्होंने बताया कि मेलबार्न के एरेसॉस स्कूल में चैथी तथा सातवीं कक्षा के विद्यार्थी कठोपनिषद मंत्रों एवं गीता के श्लोकों का शुद्ध उच्चारण करते है। उन्होंने बताया कि गीता उनके पाठ्यक्रम में शामिल है। उन्होंने कहा कि विज्ञान, विकास तथा समृद्धि में भारत आज भी विश्वगुरु है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने हमेशा विद्यार्थियों को अपनी बौद्धिक शक्ति के विकास के साथ-साथ सामाजिक, नैतिक तथा पौराणिक मूल्यों के द्वारा विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान की है। इसी शिक्षा को चरितार्थ करता योगस्थरू कुरू कर्माणि इस विश्वविद्यालय का ध्येय वाक्य है। स्वामी विवेकानंद श्रीमद्भगवद् गीता को जीवन का सार व आधार मानते थे। उनका कहना था कि जीवन को जानने व समझने के लिए गीता जरूरी है। गीता सरल, सुगम व स्पष्ट है जिसे जीवन में अपनाकर हम अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं। गीता एक धार्मिक ग्रंथ होने के साथ-साथ एक जीवन दर्शन है जिसको अपनाकर कोई भी राष्ट्र अपना विकास कर सकता है। गीता सार्वभौमिक व कल्याणकारी है। वर्तमान समस्याओं का हल इसी अद्भुत ग्रंथ में है। कुलपति ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सेमिनार की स्मारिका के लिए दिए गए संदेश के लिए आभार प्रकट किया व कहा कि प्रधानमंत्री के दिए गए संदेश से विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों व कर्मचारियों को प्रेरणा मिलेगी और वे अधिक उत्साह के साथ विश्वविद्यालय हित में कार्य करेंगे।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के श्री इंद्रेश ने कहा कि गीता समाज को सुधारने का रास्ता दिखाती है। गीता विषाद दूर करती है। गीता को हमारे स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए बलिदानियों ने भी जीवन में अपनाया जिसकी वजह से हम आजाद हुए। गीता स्वतंत्रता की संजीवनी है। त्याग व समर्पण का उदाहरण है। गीता हमें कर्म करना, सतकर्म सिखाती है। गीता सभी द्वंदों से छुटकारा दिलाती है। आज से 5000 वर्ष पहले गीता ने महाभारत युद्ध में, 100 साल पहले स्वतंत्रता दिलाने में निभाई थी व अब हमें फिर से विश्वगुरू बनाने में अहम् भूमिका निभाएगी। अरूण ठाकुर ने कहा कि गीता को लेकर लंदन में 2000 से शोभा यात्रा आयोजित की जा रही है। 2019 से अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव को लंदन में भव्य रूप से आयोजित किया गया। इसके द्वारा गीता को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार एवं प्रसारित किया गया। यूके की वर्तमान सरकार ने भी गीता को एक धार्मिक ग्रंथ माना है।
इस मौके पर खेल मंत्री संदीप सिंह, सासंद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, अंतर्राष्टड्ढ्रीय गीता महोत्सव के नोडल अधिकारी आईएएस विजय दहिया, उपायुक्त मुकुल कुमार, कुलपति गजेन्द्र चैहान, प्रदेश महामंत्री डा. पवन सैनी, भाजपा के जिलाध्यक्ष राजकुमार सैनी, भाजपा बुद्घिजीवी प्रकोष्ठड्ढ के जिला संयोजक पवन आश्री, केडीबी सीईओ अनुभव मेहता, प्रो. मंजूला चैधरी, कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, केडीबी मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, आयोजन सचिव प्रो. तेजेन्द्र शर्मा, केडीबी सदस्य सौरभ चैधरी, प्रो. अनिल वशिष्ठ, प्रो. संजीव अग्रवाल, प्रो. विभा अग्रवाल, प्रो. सीसी त्रिपाठी, सहित अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, कर्मचारी, विद्यार्थी व गीता मनीषी मौजूद थे।

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