चंडीगढ़, 6 दिसंबर। यूटी कैडर एजुकेशनल एंप्लाइज यूनियन की बैठक हुई, जिसमें चंडीगढ़ के प्रशासक को पत्र लिखकर मांग की है कि 8 तारीख 2021 को श्री गुरु तेगबहादुर जी के शहीदी दिवस की छुट्टी की जाए। क्योकि अगर श्री गुरु तेगबहादुर जी अपना शीश कटवा कर शहीदी ना देते तो आज पूरे संसार हिन्द का नामोनिशान नहीं होता। यूटी कैडर एजुकेशनल एंप्लाइज यूनियन चंडीगढ़ यूटी के प्रधान स्वर्ण सिंह कम्बोज ने कहा कि औरंगजेब हिंदुओं को मार कर और सवा मन जनेऊ उतारने के बाद ही चाय पीता था तो उस वक्त कश्मीरी पंडित दूखी हो कर श्री गुरु तेगबहादुर जी के दरबार मे पहुंचे तो उस वक्त श्री गुरू गोविन्द सिंह जी की उम्र सिर्फ 9 साल की थी, तो कश्मीरी पंडितो का ईकठ देखा तो पिता श्री गुरु तेगबहादुर जी को पूछा कि इन कश्मीरी पंडितो की समस्या का हल क्या है। उस वक्त श्री गुरु तेगबहादुर जी ने कहा कि औरंगजेब पंडितो का कत्ल कर रहा है और इन को बचाने के लिए किसी महापुरुष के बलिदान की जरूरत है तो उस वक्त श्री गुरू गोविन्द सिंह जी ने कहा कि पिता जी आप जी से बड़ा महापुरुष कौन है और आप अपना बलिदान देकर इन हिन्दुओ की रक्षा करे। यह सुनने के बाद यह एहसास हो गया कि अब मेरा बेटा मेरी गद्दी पर बिराजमान हो सकता है। इस के बाद श्री गुरु तेगबहादुर जी ने हिन्दुओ को बचाने के लिए अपना शीश कटवा लिया तभी तो कहा गया “तिलक जंजू राखा प्रभ ताका, कीनो बडो कलू महि साका” और हिन्दू धर्म की रक्षा की। अगर आज हम बचे है तो श्री गुरु तेगबहादुर जी के बलिदान के कारण। यूटी कैडर एजुकेशनल एंप्लाइज यूनियन की मांग है कि महापुरुष श्री गुरु तेगबहादुर जी के शहीदी दिवस की चंडीगढ़ यूटी में छुट्टी की जाए।