चंडीगढ़, 30 नवंबर। ज्योतिष के माध्यम से हमारे ऋषि-मुनियों, तपस्वियों व बुद्धिजीवियों ने विभिन्न शोध कार्यों से जनसाधारण के जीवन को सुगम बनाने के सतत् प्रयास किए हैं। ज्योतिष भारतीय संस्कृति की सर्वोत्तम धरोहर है। गणना पर आधारित इस विज्ञान की मदद से भूत, वर्तमान व भविष्य के बारे में पता लगाया जा सकता है। जरूरत इसके नियमों, उप-नियमों, देश काल की स्थिति को समझने तथा आधुनिक परिवेश में अपने शोध कार्यों को और अधिक सटीक व जनोपयोगी बनाने की है। ज्योतिष शोध कार्यों में आधुनिक संचार माध्यमों का भी सार्थक उपयोग होना चाहिए। इसी सोच से नक्षत्र २७ रिसर्च सेंटर आयजित करवा रहा है राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन रविवार पांच दिसंबर को होटल सनबीम में ; इस ज्योतिष महासम्मेलन में राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ज्योतिषाचार्य जी. डी. वशिष्ठ, अनिल वात्स, एच .एस रावत, पंडित लेखराज, पी.पी. एस राणा, मदन गुप्ता स्पाटू, रविंद्र भंडारी, अक्षय तथा इसके इलावा देश भर से प्रमुख ज्योतिषी इस सम्मेलन में भाग लेंगे। इस सम्मेलन के आयोजक संगठन के सीईओ डॉ रजनीश सूद व चेयरपर्सन डॉ बविता अग्रवाल है। इस सम्मेलन को करवाने का मुख्य उद्देश्य- ज्योतिष शास्त्र के विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना है। क्योंकि वही ज्योतिष का भविष्य है। ज्योतिष भारत की नस नस में है, भारत की संस्कृति है, भारत की धड़कन है।
रोजगारपरक ज्योतिष से हो रहा है जनकल्याण: बबिता
नक्षत्र 27 रिसर्च सेंटर की डॉ बबिता अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान दौर में ज्योतिष जहां स्वरोजगार का साधन बना है, वहीं इसके उपायों से जनकल्याण कार्य भी हो रहे हैं। इनसे जहां समाज में जागृति आती है, वहीं ज्योतिषीय कार्य, उपायों का सामान बेचने वाले लोगों को भी रोजगार के अच्छे अवसर मिल रहे हैं। ऐसे में राष्ट्री स्तर के ज्योतिष सम्मेलन का आयोजन समाज में एकजुटता, समरसता भाव लाने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।