रणदीप नाभा ने केंद्र सरकार से 15 दिसंबर तक 5 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराने की मांग की

रणदीप नाभा ने केंद्र सरकार से 15 दिसंबर तक 5 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराने की मांग की
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चण्डीगढ़, 23 नवंबर। पंजाब के किसानों को अपेक्षित मात्रा में यूरिया उपलब्ध करवाने के मद्देनज़र पंजाब के कृषि मंत्री रणदीप सिंह नाभा ने मंगलवार को केंद्रीय रासायन एवं खाद मंत्री मनसूख मांडविया के समक्ष पंजाब के लिए डीएपी की माँग ज़ोरदार ढंग से उठाई और अपील की कि यही समय की मांग है क्योंकि राज्य को 15 दिसंबर तक 5 लाख मीट्रिक टन यूरिया की सख़्त ज़रूरत है।
केंद्रीय मंत्री के साथ की गई एक ऑनलाइन मीटिंग के दौरान नाभा ने कहा कि राज्य को गेहूँ की बिजाई के पहले 25 दिनों के दौरान अपेक्षित मात्रा में यूरिया की ज़रूरत होती है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने रबी 2021-22 हेतु पंजाब के लिए 14.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया अलॉट किया, परन्तु अक्तूबर -2021 दौरान 2.76 लाख मीट्रिक टन यूरिया की अलॉटमेंट के लिए हमें सिर्फ़ 2.53 लाख मीट्रिक टन यूरिया ही प्राप्त हुआ है। इसी तरह नवंबर-2021 के लिए आवंटित 3.33 लाख मीट्रिक टन यूरिया के संबंध में 22 नवंबर, 2021 तक 2.26 एलएमटी यूरिया ही बाँटा गया। श्री नाभा ने बताया कि राज्य के पास अब तक कुल 6.72 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है जबकि किसानों को इस समय 5 एलएमटी अपेक्षित है।
मंत्री ने भरोसा देते हुए कहा कि राज्य में यूरिया की कोई कमी नहीं होने दी जायेगी। उन्होंने कहा कि 2.56 लाख मीट्रिक टन डीएपी के आवंटन के मुकाबले 1.49 लाख मीट्रिक टन यूरिया ही प्राप्त हुआ है तथा अक्तूबर और नवंबर 2021 दौरान यूरीए की कुल 3.00 लाख मीट्रिक टन मात्रा ही प्राप्त हुई है। उन्होंने बताया कि राज्य में 35 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूँ की बिजाई होती है और इसकी बिजाई लगभग मुकम्मल हो चुकी है। राज्य में डीएपी की बहुत अधिक माँग है और ज़रूरत को पूरा करने के लिए डीएपी रेक लगातार मंगवाये जा रहे हैं।
यूरिया और डी.ए.पी के स्टॉक की समीक्षा करते हुए कृषि मंत्री ने भरोसा दिलाया कि अब तक राज्य में यूरिया की कोई कमी नहीं है, परन्तु हमें समय पर अपेक्षित और निर्विघ्न सप्लाई यकीनी बनाने की ज़रूरत है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य को अक्तूबर और नवंबर 2021 दौरान कुल 3.00 एल.एम.टी. डी.ए.पी. प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि राज्य में 35 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूँ की बिजाई की जाती है और इसकी बिजाई लगभग मुकम्मल हो चुकी है।

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