चंडीगढ़ 14 नवम्बर। स्ट्रोबरी फील्डस हाई स्कूल, सैक्टर 26 के ऑडिटोरियम में इंडियन नेशनल थियेटर द्वारा आयोजित तीन दिवसीय 43वां वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन के तीसरे व अंतिम दिन अश्विनी भिड़े देशपांडे ने अपने मधुर कंठ से निकले गायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अश्विनी भिड़े देशपांडे ने अपनी प्रस्तुति की शुरूआत अपने घराने के पारंपरिक राग बहादुरी तोरी से की। उन्होंने विलंबित ख्याल में बंदिश महादेवा पति पार्वती को बखूबी प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया। इसके पश्चात उन्होंने तीन ताल में निबद्ध पशुपति नाथ शंकर शम्भू श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी दूसरी प्रस्तुति में राग हिडोल पंचम में अल्लादिया खान साहेब जो कि भारतीय हिंदुस्तान शास्त्रीय गायक थे जिन्होंने जयपुर-अतरौली घरने की स्थापना की थी, द्वारा रचित बधावा गावो बंदिश प्रस्तुत की जिसके पश्चात उन्होंने हिंडोल में एक द्रुत तराना पेश किया।
उन्होंने अपनी तीसरी व अंतिम प्रस्तुति में राग मध्यमद सारंग में बंदिश जब से मन लाग्यो बंदिश प्रस्तुत की और इसके उपरांत दूसरी बंदिश रंग रेजवा प्रस्तुत किया।
उन्होंने अपने गायन का समापन एक मराठी अभंग राग भैरवी में संत तुकाराम जी द्वारा रचित तुज़ा पाहता सामूरी श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत कर किया।
विदुषी अश्विनी भिड़े-देशपांडे के गायन में तानपुरे पर अशुप्रीत,तबले पर विनोद लेले तथा हारमोनियम पर विनय मिश्रा ने बखूबी संगत की।
विदुषी अश्विनी भिड़े-देशपांडे मुंबई निवासी हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की सुप्रसिद्व गायिका हैं। वह जयपुर-अतरौली घराने की परंपरा से ताल्लुक रखती हैं। मजबूत संगीत परंपराओं वाले परिवार में जन्मी, अश्विनी ने नारायणराव दातार के मार्गदर्शन में अपना प्रारंभिक शास्त्रीय प्रशिक्षण शुरू किया। जयपुर-अतरौली, मेवाती और पटियाला घरानों से प्रभावित होने के कारण अश्विनी ने अपनी संगीत शैली बनाई है। वह तीन प्राथमिक सप्तकों पर एक मजबूत कमान रखती है। अश्विनी भिड़े-देशपांडे को बंदिश और बंदिश-रचना की गहरी समझ है और उन्होंने अपनी कई बंदिशें बनाई हैं, जिन्हें उन्होंने अपनी विभिन्न पुस्तकों में प्रकाशित किया है। वह अपने भजनों की स्थापना के लिए भी जानी जाती हैं, विशेष रूप से कबीर के। अश्विनी भिड़े न केवल एक उच्चकोटि की कलाकार हैं तथा एक सकुशल संगीत गुरु भी हैं।
इस अवसर पर इंडियन नेशनल थियेटर ऑनरी सैकेटरी विनीता गुप्ता ने बताया कि शहर में आयोजित हुए इस तीन दिवसीय सम्मेलन में शहरवासियों ने शास्त्रीय संगीत के प्रति जो प्यार दिखाया वह सरहानीय है। उन्होंने कहा कि पिछले 42 वर्षों में उनके समाज द्वारा इसी तरह के तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित किए गए थे और यह उनका 43 वां सम्मेलन था। श्री एन खोसला द्वारा शुरू की गई इस परंपरा को कायम रखते हुए, संगीत सम्मेलन की यह श्रृंखला भविष्य में भी जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि कोविड महामारी के दौरान प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन्स का पूरा ध्यान रखा गया था।
यह सम्मेलन सभी संगीत प्रेमियों के लिये आयोजित किया गया था जिसमें नि:शुल्क प्रवेश था, इतना ही नही कोविड के चलते संगीत प्रेमी कलाकारों के गायन को सुनने के लिए लाइव स्ट्रीमिंग भी की गई थी जिसका लिंक वेबसाइट www.indiannationaltreater.com पर उपलब्ध था।