चंडीगढ़, 14 नवंबर। यूटी कैडर एजुकेशनल एम्प्लाइज यूनियन, ने चंडीगढ़ यूटी के प्रशासक और प्रशासक के सलाहकार को पत्र लिख कर मांग की है कि जिस प्रकार से पंजाब सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे सभी 36000 कर्मचारियों को पक्का करने का निर्णय लिया है, उसी प्रकार से पंजाब की जॉइंट कैपिटल चंडीगढ़ यूटी में भी कॉन्ट्रैक्ट पर कई सालों से काम कर रहे सभी कर्मचारियों को भी पक्का किया जाए।
यूटी कैडर एजुकेशनल एम्प्लाइज यूनियन, चंडीगढ़ यूटी के प्रधान स्वर्ण सिंह कम्बोज ने जारी एक विज्ञप्ति जानकारी देते हुए बताया कि क्योकि जब 1966 में चंडीगढ़ यूटी बनाया गया था उस वक़्त यह फैसला हुआ था कि जब तक चंडीगढ़ यूटी बाकी स्टेट्स की तरह इंडिपेंडेंट नहीं बन जाती तब तक चंडीगढ़ यूटी में पंजाब सिविल सर्विसेज रूल्स ही लागु होंगे। अगर अब देखा जाए कि पंजाब सरकार जो भी फैसला लेती है वो चंडीगढ़ यूटी में भी लागु चाहिए। यूटी कैडर एजुकेशनल एम्प्लाइज यूनियन की सब से बड़ी मांग यही है कि पंजाब सिविल सर्विसेज रूल्स आधार पर चंडीगढ़ यूटी में कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे सभी वर्गों के कर्मचारियों को पक्का किया जाए।
यूटी कैडर एजुकेशनल एम्प्लाइज यूनियन आप सभी को एक बताना चाहती है कि पंजाब, हरियाणा में रहने वाले सभी लोग और बच्चो को बिना किसी डामिसाइल ( निवास-स्थान या चंडीगढ़ यूटी का कोई प्रूफ ना होना ) के बावजूद भी थाली में सरकारी नौकरी परोस कर दी जाती है और अगर पंजाब, हरियाणा या किसी भी स्टेट से कोई भी चंडीगढ़ यूटी में नौकरी लेने आता है तो उसको डामिसाइल ( निवास-स्थान या चंडीगढ़ यूटी का कोई प्रूफ ना होना ) नहीं माँगा जाता। हाँ, अगर चंडीगढ़ यूटी का कोई भी बच्चा नौकरी के लिए पंजाब,हरियाणा में अप्लाई करता है तो उसको डामिसाइल ( निवास-स्थान या पंजाब,हरियाणा में रहने का कोई सबूत ) माँगा जाता है। इसको चंडीगढ़ यूटी में जम्पल बच्चो और रहने वालो के साथ धोखा या नाइंसाफी नहीं कहा जाएगा ? क्योकि चंडीगढ़ यूटी का कोई माईबाप नहीं है, इसलिए हमारे कर्मचारियों को कभी सेंटर सरकार या फिर पंजाब सरकार के नियमों का हवाला देकर उनके अपने हितो से दरकिनार कर दिया जाता है।
इसका जीता-जागता सबूत यह है कि पंजाब,हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से लगभग 550 के करीब टीचर्स डेपुटेशन के नियम तोड़ कर चंडीगढ़ यूटी में मोजमस्ती कर रहे है और उनको यहाँ आने पर सरकारी आवास भी जल्दी मिलता है और चंडीगढ़ यूटी के कर्मचारी सरकारी आवास के लिए कई सालो तक इंतज़ार करते रहते है।