करनाल, 29 अक्टूबर। भारत और पाकिस्तान के बीच संपन्न हुए टी-20 वर्ल्ड कप मैच ने देश में पनप रही उस खतरनाक सोच को एक बार फिर उजागर कर दिया है जिसे समाज का कथित लिबरल वर्ग ‘धर्मनिरपेक्षता’ बता कर छिपाता, बचाता और सहन करने की सलाह देता है। इस मैच में भले ही भारत की हार हुई हो, लेकिन इससे यह पता जरूर चल गया है कि भारत की आंतरिक सुरक्षा पर कैसे-कैसे खतरे मंडरा रहे हैं। यह टिप्पणी हरियाणा भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने की। वह टी20 मैच में पाकिस्तानी टीम की जीत पर कश्मीर सहित देश के विभिन्न हिस्सों में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा जश्न मनाए जाने की घटना पर चर्चा कर रहे थे।
डॉ. चौहान ने कहा कि यह कैसी विचारधारा है जो अपने ही देश की बर्बादी की कामना करती है और अपने देश के अपमान पर जश्न मनाती है। उन्होंने कहा कि जो ऐसा कर रहे हैं, वह देश के प्रति कितने वफादार हैं यह पहले से ही स्पष्ट है। सोचने वाली बात यह है कि भारत को दीमक की तरह खोखला करने में लगे ऐसे लोगों के रहते देश का भविष्य कब तक सुरक्षित रह पाएगा ? यह आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती है।
भाजपा प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा तय हो जाना अब बहुत जरूरी हो गया है। इस विषय पर राष्ट्रीय बहस होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जेएनयू में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ और ‘भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी, जंग रहेगी’ जैसे देश विरोधी नारे लगाने वाले छात्रों का समर्थन करने के लिए राहुल गांधी जैसे नेता का जाना अत्यंत दुखद है। कांग्रेस समेत देश की कथित लिबरल पार्टियां या इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहती हैं। जिस देश की मिट्टी में हम पले बढ़े, खुली हवा में सांस लिया और सरकार से सारी सुविधाएं लेते हैं, क्या उसी देश की बर्बादी की कामना करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है? और यदि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है तो देशद्रोह की परिभाषा क्या है? अब समय आ गया है कि देशद्रोह की परिभाषा भी तय हो जाए।
डॉ. चौहान ने पीडीपी की नेता व जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा पाक टीम की जीत पर कश्मीरी छात्रों द्वारा मनाए गए जश्न को सही ठहराए जाने पर हैरानी जताते हुए कहा कि इस खतरनाक सोच का विस्तार और धर्मनिरपेक्षता के नाम पर इसका समर्थन देश के भविष्य के लिए चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि देश गवाह है कि महबूबा मुफ्ती के दिवंगत पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के बतौर देश के गृहमंत्री शपथ लेने के 1 महीने के भीतर कश्मीर में आतंकियों का नंगा नाच शुरू हो गया था। 19 जनवरी 1990 को कश्मीरी हिंदुओं को अपनी जान बचाकर वहां से भागना पड़ा था। आज भी वहां के हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। वहां गैर मुस्लिमों को आतंकियों द्वारा चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है।
डॉ. चौहान ने कहा कि यह कैसी विडंबना है कि जिस धर्म का साम्राज्य स्थापित करने के लिए आतंकियों द्वारा देशभर में हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है, हम उन आतंकियों के धर्म का आज तक पता नहीं लगा पाए हैं। यदि आतंक का धर्म शीघ्र तय न किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब आतंक हमारा धर्म तय कर देगा।
भारत के अपमान पर जश्न मनाना सही, तो फिर देशद्रोह की परिभाषा क्या: डॉ. चौहान
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