भक्ति की राह पर चलने का संदेश देता है महर्षि वाल्मीकि का जीवन: अवि राजपूत

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कपूरथला, 20 अक्टूबर। भगवान वाल्मीकि प्रगट दिवस के सबंध में एकता पार्टी द्वारा आयोजित समारोह में शामिल होकर यूथ अकाली दल के राष्ट्रीय उपप्रधान अवि राजपूत भगवान वाल्मीकि का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर एकता पार्टी के गुरमीत बिट्टू ने अवि राजपूत को सिरोपा व स्मृति चिन्ह भेंट कर सन्मानित किया।
इस अवसर पर अवि राजपूत ने आयोजित कार्यक्रम में कहा कि अश्विन माह में पूर्णिमा का दिन महर्षि वाल्मीकि के प्रकट दिवस के रूप में मनाया जाता है। त्रेता युग में जन्मे महर्षि वाल्मीकि की याद में इस दिन को वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है। उनका जीवन सद्कर्मों और भक्ति की राह पर चलने का संदेश देता है। कठोर तपस्या के बाद महर्षि वाल्मीकि ने महर्षि पद प्राप्त किया। परमपिता ब्रह्मा के कहने पर उन्होंने भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित रामायण महाकाव्य की रचना की।
अवि राजपूत ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि को आदिकवि कहा गया है। उनका पूर्व नाम रत्नाकर था।वर्षों तक कठोर तप के बाद उनके पूरे शरीर पर चींटियों ने बांबी बना ली, जिस कारण उनका नाम वाल्मीकि पड़ा। महर्षि वाल्मीकि ज्योतिष विद्या एवं खगोल विद्या के प्रकांड पंडित थे। अवि राजपूत ने कहा कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, माता सीता के साथ महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में आए थे। महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत में रामायण की रचना की और रामायण में चैबीस हजार श्लोक का निर्माण किया। लव-कुश को ज्ञान प्रदान करने वाले महर्षि वाल्मीकि ही थे। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि जीवनी हमें आदर्श जीवन जीने की राह सिखाती है और हमें उनसे प्रेरित होकर जीवन की कठिन से कठिन समस्या के समाधान की शक्ति और प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि के महान विचार हमारी ऐतिहासिक यात्रा के बीज तत्व हैं, जिस पर हमारी परंपरा और संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती रही है। सामाजिक न्याय के प्रकाश-स्तंभ रहे उनके संदेश हमेशा हम सबको प्रेरित करते रहेंगे। इस अवसर पर दीपक बिष्ट, सैंडी, सुमित कपूर, रिकी, जतिंदर, अमित, अंकित आदि उपस्थित थे।

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