करनाल, 19 अक्टूबर। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा, स्कूली शिक्षा और तकनीकी शिक्षा तीनों शामिल हैं। इस शिक्षा नीति का अध्याय 5 और 15 पूर्ण रूप से शिक्षकों की शिक्षा पर ही केंद्रित है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्देशक सिद्धांतों के परिप्रेक्ष्य में हरियाणा सरकार ने दो नए शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान खोलने को मंजूरी दी है। ये दो शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान अन्य राज्यों के लिए भी रोल मॉडल साबित होंगे। यह जानकारी हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ वीरेंद्र सिंह चौहान ने रेडियो ग्रामोदय के लाइव कार्यक्रम में दी। वह प्रमुख शिक्षाविद एवं स्टेट इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड स्टडीज इन टीचर्स एजुकेशन झज्जर के निदेशक डॉ. ऋषि गोयल से चर्चा कर रहे थे।
डॉ. चौहान ने डॉ ऋषि गोयल से पूछा कि नये खुलने जा रहे दो शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान अन्य संस्थानों से किस प्रकार अलग होंगे और इनकी विशेषताएं क्या होंगी? इस पर डॉ. ऋषि गोयल ने बताया कि इन नए शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में पारंपरिक बीएड पाठ्यक्रम के मुकाबले 4 वर्षीय पाठ्यक्रम होगा जो 12वीं तक की संपूर्ण शिक्षा के लिए पात्रता प्रदान करने वाला होगा। इस कोर्स को पूरा करने पर अभ्यर्थियों का एक साल बचेगा। इस पाठ्यक्रम में प्रवेश 12वीं की परीक्षा के आधार पर मिलेगा और प्रारंभिक बैच में दाखिला लेने वाले विद्यार्थी भविष्य में लाभ की स्थिति में होंगे। उनकी इस बात का समर्थन करते हुए डॉ. चौहान ने भी कहा कि चार वर्षीय इस नए पाठ्यक्रम की डिग्री भविष्योन्मुखी है। देशभर में शिक्षकों के प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम अब इसी पैटर्न पर आने वाले हैं। यह प्रक्रिया वर्ष 2030 तक पूरी कर लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
डॉ. ऋषि गोयल ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि शिक्षा में कोई भी आमूलचूल परिवर्तन लाना शिक्षकों के माध्यम से ही संभव है। किसी भी स्तर पर शिक्षक होने की पात्रता हासिल करने के लिए पाठ्यक्रमों को गंभीरता से चलाए जाने की आवश्यकता है। पहले ऐसा होता था कि अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण न हो पाने पर अभ्यर्थी काम चलाने के लिए शिक्षक बन जाते थे। इस स्थिति में बदलाव की आवश्यकता महसूस की गई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अच्छे लोगों को टीचिंग क्षेत्र में लाने का रोडमैप प्रस्तुत किया गया है।
डॉ. चौहान ने कहा कि नई शिक्षा नीति दो वर्षीय बी.एड. पाठ्यक्रमों को बंद करने की संस्तुति करती है। उन्होंने पूछा कि क्या यह संस्तुति देश भर में एक साथ लागू होगी या चरणबद्ध ढंग से यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इस पर डॉ. ऋषि गोयल ने बताया कि पुराने संस्थान चरणबद्ध ढंग से फेज आउट किए जाएंगे। वर्ष 2030 तक सभी संस्थान चार वर्षीय पाठ्यक्रम ही चलाएंगे और इन चरणों का निर्धारण केंद्र और राज्य सरकार मिलकर करेंगे। नए पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन ही स्वीकार किए जाएंगे जिनकी अंतिम तिथि 19 अक्टूबर थी। 21 अक्टूबर को सूची प्रकाशित की जाएगी।
डॉ. चौहान ने पूछा कि क्या नई शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं के प्रति उतनी गंभीरता है जितनी विदेशों में उनकी अपनी भाषाओं के प्रति है? इस पर डॉ. ऋषि गोयल बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बहुभाषी व्यक्तित्व पर जोर दिया गया है। उनकी बात का समर्थन करते हुए डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने भी कहा कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने इंजीनियरिंग की परीक्षा देने के इच्छुक छात्रों के लिए अधिकतर भारतीय भाषाओं के द्वार खोल दिए हैं और हरियाणा सरकार ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने बताया कि हरियाणा के तकनीकी शिक्षा मंत्री अनिल विज ने घोषणा की है कि हरियाणा के तीन विश्वविद्यालयों में तकनीकी शिक्षा के लिए हिंदी के पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की पहल की गई है। इसके अलावा तकनीकी शिक्षा की पुस्तकों का हिंदी में भी प्रकाशन शुरू किया गया है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इसके लिए तकनीकी शिक्षा मंत्री बधाई के पात्र हैं।
डॉ. चौहान ने बताया कि हरियाणा ग्रंथ अकादमी ने भी एआईसीटीई के साथ एक करार किया है जिसके अनुसार यह संस्था तकनीकी शिक्षा की ऐसी पुस्तकों का प्रकाशन और विपणन का कार्य करेगी। उन्होंने बताया कि पॉलिटेक्निक की पुस्तकें हिंदी में लिखवाने की परियोजना पर भी काम चल रहा है। कुछ महीनों में यह पुस्तकें उपलब्ध हो जाएंगी। अपनी भाषा, अपनी संस्कृति और अपनी परंपराओं पर काम शुरू करने की जरूरत है।