पराली की समस्या के हल के लिए बायोमास प्रोजेक्टों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा: डॉ. राज कुमार वेरका

पराली की समस्या के हल के लिए बायोमास प्रोजेक्टों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा: डॉ. राज कुमार वेरका
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चंडीगढ़, 19 अक्तूबर। पंजाब के नवीकरणीय ऊर्जा और सामाजिक न्याय मंत्री डॉ. राज कुमार वेरका ने पराली की समस्या के हल के लिए बायोमास प्रोजैक्ट स्थापित करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है।
आज यहाँ जारी एक बयान में डॉ. वेरका ने कहा कि बिजली की बढ़ रही माँग और पानी, कोयला आदि जैसे प्राकृतिक संसाधनों की पैदा हो रही कमी से निपटने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा को अधिक से अधिक प्रयोग में लाए जाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि बिजली की लगातार बढ़ रही माँग और पराली की समस्या से निपटने के लिए पंजाब सरकार ने सौर ऊर्जा पर अधिक से अधिक ध्यान केन्द्रित करने की दिशा में कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि अब तक राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा के 1700.77 मेगावाट की क्षमता के प्रोजैक्ट लगाए जा चुके हैं और 184.12 मेगावाट क्षमता के अन्य प्रोजैक्ट लगाए जा रहे हैं। अब तक 815.5 मेगावाट क्षमता के ग्राउंड माउंटेड, 136.1 मेगावाट क्षमता के रूफटॉप और 20 मेगावाट क्षमता के कैनाल टॉप सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट कार्यशील हो चुके हैं। इन प्रोजेक्टों की संख्या क्रमवार 71, 14 और 4 है।
डॉ. वेरका के अनुसार अकेले सौर ऊर्जा के 729.17 मेगावाट के प्रोजेक्ट स्थापित हो चुके हैं और 58.75 मेगावाट के प्रोजेक्ट प्रगति अधीन हैं। नवीकरणीय ऊर्जा के प्रोजेक्टों में बायोमास को-जनरेशन पावर प्रोजेक्ट 458.07 मेगावाट और बायोमास पावर प्रोजेक्ट 97.5 मेगावाट शामिल हैं। 23 बायो सी.एन.जी. प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं। इनसे कुल 260 टन कम्प्रेस्ड बायोगैस (सी.बी.जी) पैदा होगी। इनमें एशिया का सबसे बड़ा सी.बी.जी प्रोजैक्ट भी शामिल है जिसकी क्षमता 33.23 टन सी.बी.जी प्रति दिन है। यह प्रोजेक्ट लहरागागा तहसील में लगाया जा रहा है और यह दिसंबर, 2021 में चालू हो जायेगा। इसके अलावा एच.पी.सी.एल. तेल कंपनी द्वारा बायो इथनोल प्रोजैक्ट बठिंडा जिले के तलवंडी साबो में निर्माणाधीन है जोकि फरवरी, 2023 तक शुरू हो जायेगा और इसमें रोज़ाना 500 टन पराली की खपत होगी।
राज्य के लोगों को भी सौर ऊर्जा अपनाने की अपील करते हुए डॉ. वेरका ने उनको घरों में सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे जहाँ लोगों को महँगी बिजली से राहत मिलेगी, वहीं कोयले जैसे स्रोत की भी बचत हो सकेगी।

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