चंडीगढ़, 9 अक्तूबर। भारत में कैंसर के कारण हर वर्ष करीब 5 लाख मौतें हो जाती हैं। कैंसर की बीमारी का पता लगाना (डायगनोसिस) सिर्फ मरीज के लिए नहीं बल्कि उसके परिवार तथा मित्रों के लिए बहुत भयानक बात हो सकती है। कैंसर मरीज के शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर तो पड़ता है, इसके साथ ही मरीज में ऐसी भावनाएं पैदा करता है, जिनका मरीज आदि नहीं होता। यह पता लगाना कि मरीज को कैंसर है, वह मानसिक परेशानी, दबाव और किसी अनहोनी के डर का शिकार हो जाता है। मरीज का मनोबल बढ़ाने तथा उसे धैर्यपूर्ण रखने के लिए पारस अस्पताल ने 9 अक्टूबर को एक समर्पित कैंसर सहायता ग्रुप ‘हौंसला’ शुरू किया है। ‘हौंसला’ एक लहर की तरह है, जिसका मकसद मरीजों में सकारात्मक सोच पैदा करना, सेहतमंद जीवन शैली के लिए प्रेरित करना तथा उनके साथ ऐसे दोस्तों का संपर्क करना है, जो इस बीमारी से निजात पा चुके हैं।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पारस कैंसर सेंटर के चेयरमैन डा. (बिग्रेडियर) राजेश्वर सिंह ने की, जबकि पूर्व आईएएस अधिकारी विवेक अत्रे बतौर मुख्यातिथि मौजूद रहे।
पारस हेल्थकेयर के मैनेजिंग डायरेक्टर डा. धरमिंदर नागर ने कहा कि ‘हौंसला’ शहर के अलग-अलग हिस्सों से कैंसर के मरीजों को एकजुट करेगा, ताकि वह अपने अनुभव सांझे कर सकें तथा एक दूसरे की ताकत बन सकें। यह अंतर निर्भरता वह अपना जीवन संग्राम सांझा करने के लिए उत्साहित करेगी। ऐसा करने से उनकी भावनाओं तथा जज्बातों का निकास भी होगा तथा उनको मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी।
पारस कैंसर सेंटर के चेयरमैन डा. (बिग्रेडियर) राजेश्वर सिंह ने कहा कि कैंसर सिर्फ शारीरिक बीमारी नहीं है, बल्कि इसका मानसिक प्रभाव भी पड़ता है। इस स्थिति में मरीज को शारीरिक व मनोबल मजबूत करने की जरूरत होती है। इलाज के बाद का समय मरीज को मानसिक तौर पर मजबूत करने के लिए बहुत अहम होता है। यहां यह ध्यान रखने की जरूरत होती है कि मरीज मानसिक तौर पर कमजोर न पड़ जाए। इस समय भी मरीज को हौसले की जरूरत होती है। पारस अस्पताल का यह प्रशंसनीय कदम है, जिससे कैंसर के मरीजों को मानसिक मजबूती मिलेगी तथा वह बीमारी के भय व तनाव से मुक्त होंगे।
पारस अस्पताल की सभी यूनिटों (गुरूग्राम, पटना, पंचकूला) द्वारा स्थानीय वालंटियरों तथा इस बीमारी से ठीक हो चुके मरीजों की मदद से एक समय ‘हौंसला’ ग्रुप की शुरुआत की गई है। गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओज) भी इस ग्रुप में शामिल हो सकती हैं। यह ग्रुप अलग-अलग क्षेत्रों, आहार, योगा, तनाव मुक्त, एक्यूपंचर, नर्सों तथा मनोरंजन क्षेत्र के माहिरों को भी शामिल करेगा।
कैंसर की बीमारी पता लगने पर मरीज के लिए मानसिक तथा जज्बाती तनाव का सामना करना मुश्किल हो जाता है। बीमारी का पता लगने, इसके इलाज तथा पुन: कैंसर होने के खतरे जैसी चुनौतियों का मुकाबला करना तथा ऐसी स्थिति को संभावना बड़ा मुश्किल है। भारत जैसे देश में मरीज की हालत को समझने के लिए बहुत ही कम गतिविधियां हुई हंै। ‘हौंसला’ इस कमी को पूरा करने की एक कोशिश है, जिससे मरीजों, कैंसर से निजात पा चुके लोगों, डॉक्टरों, मनोवैज्ञानिक, आहार विशेषज्ञों तथा प्रेरकों का एक सांझा भाईचारा कायम किया जाएगा।