कपूरथला, 5 अक्टूबर। विश्व जंगली जीवों के सप्ताह दौरान साइंस सिटी की ओर से विश्व बसेरा दिवस व पुष्पा गुजराल साइंस सिटी में पाए जाने वाले पक्षियों पर दो वेबिनार करवाए गए। इन वेबिनार के दौरान पंजाब की अलग-अलग शिक्षण संस्थाओं से 200 विद्यार्थियों व अध्यापकों ने भाग लिया। इस मौके साइंस सिटी की डायरेक्टर जनरल डा.नीलिमा जेरथ ने वेबिनार में उपस्थित विद्यार्थियों व अध्यापकों का स्वागत करते हुए कहा कि धरती पर पक्षी मानव के सबसे नजदीकी वासी होने के साथ-साथ हमारे पर्यावरण का भी अटूट अंग है। पक्षी न सिर्फ हमारी दुनिया में से एक ही है, बल्कि प्रागण, कीड़े मकौड़ों पर काबू पाने, ऊर्जा को उच्च खंड स्तर तक बदलने के अलावा, प्रोटीन युक्त भोजन देने व पर्यावरण की सफाई का भी काम करते है। पक्षी बहुत अधिक चुस्त होते है और गीतों व नाच के जरिए सामाजिक व बहभांति सभ्याचारों का प्रदर्शन करते है। इसके साथ ही इनका सोहजात्मक मूल्य भी है। भारत में 1357 पक्षियों की प्रजातियां है। जिनमें से लगभग 400 प्रजातियां पंजाब में ही पाई जाती है। हालांकि जलवायु में परिवर्तन व रैण बसेरा में बदलाव का इन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए जरुरत है कुदरत की देन को सही रैण बसेरे व घोंसले मुहैया करवाने की। डा.जेरथ ने बताया कि विश्व जंगली जीव फंड द्वारा साइंस सिटी में पाए जा रहे पक्षियों का सर्वें करवाया जा रहा है।
भारत के पक्षियों के घोंसलों के मसीहा, एक ही रुट फाउंडेशन दिल्ली के संस्थापक राकेश खत्री विश्व बसेरा दिवस पर मुख्य प्रवक्ता के तौर पर उपस्थित हुए। उन्होंने अधिक से अधिक पक्षियों के लिए हाथों के घोंसले बनाकर लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज कर चुके है। उन्होंने चिड़ियों को बचाने के लिए घोंसले कैसे बनाए जाए विषय पर जानकारी देते हुए बच्चों को पक्षियों के घोंसले बनाने सिखाए। वेबिनार दौरान खत्री ने कहा कि घरेलू चिड़ी एक सर्व-व्यापक पक्षी है और हमारे आसपास पाए जाने वाला खंभ वाले पक्षियों में से यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। लेकिन दिन ब दिन इनकी संख्या भी घटती जा रही है। इनकी संख्या घटने का मुख्य कारण पर्यावरण में बदलाव व आधुनिक जीवन शैली है। ऐसी घटनाओं ने सबसे अधिक नुकसान पक्षियों के घोंसलों को पहुंचाया है। उन्होंने बताया रुट फाउंडेशन द्वारा पक्षियों को बचाने के लिए लगातार अपने हाथों से घोंसले बनाए जा रहे है। अब तक 1 लाख 25 हजार जूट व 40 हजार टैटरां पैक कर घोंसले बनाए जा चुके है।
इस मौके भारत की नदियों, जलगाहों व पानी नीति हरिके जलगाह की कोऑर्डिनेटर गीतांजलि कंवर ने बताया कि पक्षी शहरी जंगली जीवों का अहम हिस्सा है। बीते कुछ दशकों के दौरान शहरी पक्षियों की प्रजातियों की रचना विगणती में महत्वपूर्ण तबदीली देखी गई है। इसके मुख्य कारण मानव गतिविधियों का जैविक विभिन्नता पर पड़ रहा प्रभाव है। उन्होंने साइंस सिटी में पाए जाने वाले पक्षियों सबंधी जानकारी देते हुए स्कूलों व अन्य संस्थाओं द्वारा बच्चों को साइंस सिटी में कुदरत की सैर करवाने पर जोर दिया। ताकि उन्हें पक्षियों की आवाजों व प्रजातियों बारे जागरुक करवाया जा सके। उन्होंने बताया कि विश्व जंगली जीव फंड द्वारा साइंस सिटी में पाए जा रहे पक्षियों का सर्वे भी किया जा रहा है।
साइंस सिटी के डायरेक्टर डा.राजेश ग्रोवर ने कहा कि पक्षी पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में अहम रोल अदा करते है। क्योंकि यह छोटे छोटे कीड़े मकौड़ों को भोजन देते है। जोकि कुदरती कीट कंट्रोल प्रक्रिया व पौधों के प्रागण में सहायता करते है। साइंस सिटी के विरासती वृक्ष पक्षियों को कुदरती घोंसले प्रदान करते है।