चंडीगढ़, 4 अक्टूबर। हरियाणा के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी. उमाशंकर ने सभी अतिरिक्त उपायुक्तों को प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे परिवारों के सर्वेक्षण के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं ताकि गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे अधिक से अधिक परिवारों तक पहुंचकर मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना (एमएमएपीयूवाई) के तहत उनकी पारिवारिक आय को एक लाख रुपये तक बढ़ाया जा सके।
वे आज यहां आयोजित एक बैठक में मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना के तहत किए जा रहे सर्वेक्षण कार्य की समीक्षा कर रहे थे।
बैठक के दौरान इस योजना के तहत पात्र परिवारों की पहचान के लिए किए जा रहे सर्वेक्षण कार्य की प्रगति के संबंध में अतिरिक्त उपायुक्तों से फीडबैक लेते हुए उन्होंने जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण टीमों के सामने आने वाली चुनौतियों और ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए अपनाई गई रणनीतियों के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने अतिरिक्त उपायुक्तों को विभिन्न योजनाओं के तहत सर्वेक्षण टीमों द्वारा सूचीबद्ध किए गए आवेदकों के अस्वीकृत होने के कारणों का पता लगाने के भी निर्देश दिये ताकि पात्र लाभार्थी सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठा सकें।
इसके अलावा, वी. उमाशंकर ने उन्हें सर्वेक्षण टीमों को ऐसे आवेदकों को अस्वीकृत किए जाने के कारणों की जानकारी देने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण टीमों को अक्टूबर मास के अंत तक प्रत्येक जिले से कम से कम पांच ऐसे लाभार्थियों की सफलता की गाथा को साझा करना होगा, जिन्होंने मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना के तहत एक निश्चित योजना का लाभ उठाया है और अपनी आय को एक लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक बढ़ाने में सफलता हासिल की है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने क्षेत्रीय समितियों को अपनी-अपनी टीम में बैंक के एक प्रतिनिधि को शामिल करने के लिए भी कहा ताकि सर्वेक्षण के दौरान बैंक से संबंधित सवालों और ऋण के लिए पात्रता मानदंड का मौके पर ही निपटान किया जा सके।
बैठक के दौरान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रधान सचिव विनीत गर्ग ने भी अतिरिक्त उपायुक्तों को संबोधित किया और गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे परिवारों की पहचान करने के लिए उनके एवं उनकी सर्वेक्षण टीमों द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यदि सर्वेक्षण के दौरान लाभार्थी का नाम गलती से गलत विभाग में दर्ज हो जाता है तो पोर्टल के माध्यम से लाभार्थी के नाम को संबंधित विभाग में शामिल करवाया जाना चाहिए।