समय-सीमा के अन्दर अधिसूचित सेवाएं ने देने पर फायर स्टेशन अधिकारी व एडीएफओ पर लगा जुर्माना

Spread the love

चंडीगढ़, 4 अक्टूबर। हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग के मुख्य आयुक्त ने निर्धारित समय-सीमा के अन्दर अधिसूचित सेवाएं देने में विफल रहने पर सोनीपत के तत्कालीन फायर स्टेशन अधिकारी और एडीएफओ पर जुर्माना लगाया है। इसके अलावा, निदेशक अग्निशमन सेवाएं हरियाणा को अधिसूचित सेवाओं के वितरण के प्रक्रिया-प्रवाह को आसान बनाने और पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के निर्देष दिए हैं।
हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग की सचिव मीनाक्षी राज ने बताया कि सोनीपत के तत्कालीन एफएसओ सत्यवान समरीवाल पर बीटीडब्ल्यू प्राइवेट लिमिटेड के मामले में समय-सीमा के अन्दर अधिसूचित सेवा देने में विफल रहने पर 20000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। हालांकि, मैसर्ज पूजा इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के मामले में रामपाल एडीएफओ पर 1000 रुपये का मामूली जुर्माना लगाया गया है। जुर्माने की राशि आदेश के एक माह के भीतर राज्य के खजाने में जमा करवानी होगी।
मीनाक्षी राज ने बताया कि सोनीपत में अधिसूचित सेवाओं के वितरण के कई मामले लंबित पाए जाने पर आयोग द्वारा एफएसओ यासीन खान को एक स्वतः संज्ञान नोटिस जारी किया गया था। विभाग को 1 अप्रैल, 2021 के बाद से अग्निशमन विभाग की अधिसूचित सेवाओं के वितरण से संबंधित जानकारी भेजने के लिए कहा गया था। विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 79 मामले अत्यधिक विलंबित पाए गए, जबकि 824 मामले रद्द कर दिए गए, जोकि एक बड़ी संख्या है। आंकड़ों के विस्तृत अवलोकन के बाद इन दोनों अधिकारियों अत्यधिक विलंब वाले मामलों से संबंधित फाइलों के साथ उपस्थित होने के लिए कहा गया। आयोग की संतुष्टि लायक जवाब देने में विफल रहने पर इन पांचों मामलों के लिए स्वतः संज्ञान नोटिस जारी किया गया।
आयोग की सचिव ने बताया कि सुनवाई के दौरान अधिकारी कोई भी ठोस जवाब नहीं दे सके और उनके दावे फाइल की नोटिंग से मेल नहीं खाते थे। अधिकारियों ने माना कि अग्निषमन विभाग के फील्ड कार्यालयों द्वारा ज्यादातर काम मौखिक रूप से किया जाता है। इन अधिकारियों ने देरी के लिए लॉकडाउन पर दोष मढ़ने की कोशिश की जबकि लॉकडाउन 4 मई, 2020 को ही हटा लिया गया था। इसके बावजूद इन अधिकारियों द्वारा अपना काम पूरा करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया।
मीनाक्षी राज ने बताया कि मुख्य आयुक्त टी.सी. गुप्ता ने पाया कि फायर एनओसी के नवीनीकरण के मामलों में इस तरह की देरी अस्वीकार्य है क्योंकि अधिकारियों के इस आरामपसंद और लापरवाह रवैये के कारण न केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है बल्कि यह किसी भी मानव निर्मित आपदा का कारण बन सकता था। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही, मुख्य आयुक्त द्वारा देरी के मामलों में जुर्माना लगाने के मामलों की संख्या उनके पदभार ग्रहण करने के पहले तीन महीनों के भीतर चार हो गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *