करनाल, 28 सितंबर। शहीदे-आजम भगत सिंह ने ऐसे क्रांतिकारी परिवार में जन्म लिया जिसकी तीन पीढ़ियों ने स्वाधीनता संग्राम में प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया। सरदार भगत सिंह का जन्म अविभाजित भारत के बंगा नामक स्थान (अब पाकिस्तान में स्थित) में हुआ था। जिस परिवार की तीन-तीन पीढ़ियों ने स्वाधीनता संग्राम में भाग लिया हो, उस परिवार की देश के प्रति समर्पण भावना का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह देखना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश पर मर मिटने वाले इस शहीद का नाम आज रास्ता रोककर देश में अराजकता फैलाने वाले लोग भी अपनी ‘स्वार्थ सिद्धि’ के लिए लेते हैं। उपरोक्त विचार हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने रेडियो ग्रामोदय के लाइव कार्यक्रम में ग्रामीणों से संवाद के दौरान व्यक्त किए।
डॉ. चौहान ने कहा कि भगत सिंह में देश प्रेम कूट-कूट कर भरा था और वह बाल्यावस्था से ही एक अद्भुत बालक थे। भगत सिंह के व्यक्तित्व का चित्रण हरियाणवी रागिनियों में भी देखने को मिलता है। एक प्रसंग के अनुसार भगत सिंह जब छोटे बच्चे थे तो उन्हें खेतों में कुछ खोदते हुए देखा गया। जब उनसे इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं खेतों में बंदूकें बो रहा हूं। जब खेत में फसलों के तौर पर बंदूकें लहलहाएंगी, तो वह इनकी मदद से अंग्रेजों को देश से बाहर मार भगाएंगे।
डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि भगतसिंह सिर्फ एक क्रांतिकारी ही नहीं, बल्कि एक अच्छे पत्रकार भी थे। यह उनके व्यक्तित्व का एक अनछुआ पहलू है। यह महान क्रांतिकारी मात्र 23 वर्ष की उम्र में असेंबली में बम फेंक कर फांसी के फंदे पर झूल गया था।
संवाद के दौरान गांव गोंदर से जुड़े ग्रामीण विजेंद्र सिंह के एक सवाल पर डॉ. चौहान ने कहा कि महापुरुषों को जाति विशेष में बांटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। महापुरुष पूरे समाज के नायक होते हैं, किसी जाति विशेष के नहीं। ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार मिहिरभोज एक प्रतिहार राजपूत राजा थे, लेकिन समाज का एक वर्ग उन्हें गुर्जर साबित करने की कोशिश कर रहा है। उनकी जाति पर यह विवाद अनावश्यक और निरर्थक है।
डॉ. चौहान ने कहा कि कुछ शरारती तत्व दोनों समुदायों के मध्य वैमनस्य पैदा करना चाहते हैं। इस मसले पर यदि कोई अनुत्तरित सवाल या शंकाएं हैं तो उनका निराकरण करने के लिए विद्वानों को बैठकर स्थापित शास्त्रीय परंपराओं के अनुसार मंथन-विमर्श कर लेना चाहिए।
रेडियो ग्रामोदय पर लाइव संवाद में विजेंद्र सिंह के अलावा जलमाना से राजकुमार, गुलरपुर से संजय और जींद से वेद प्रकाश पांचाल ने भी भाग लिया।
मेधावी छात्रों के लिए नि:शुल्क कोचिंग ‘सुपर 100’
कार्यक्रम के दौरान करनाल के शाहपुर गांव से जुड़े सुरेंद्र सिंह ने बताया कि गांव के सरकारी स्कूलों से 10वीं या 12वीं पास करने वाले वैसे मेधावी छात्रों, जो मेडिकल, नॉन मेडिकल व एनडीए समेत अन्य प्रशासनिक सेवाओं में जाना चाहते हैं, के लिए शाहपुर के डीआईईटी (डाइट) केंद्र में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा ‘सुपर 100’ नाम से मुफ्त कोचिंग की व्यवस्था की गई है। पिछले 2 साल से चलाई जा रही इस योजना के तहत हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में स्थित सरकारी स्कूलों से दसवीं और 12वीं की परीक्षा पास करने वाले विद्यार्थियों को एक लिखित परीक्षा से गुजरना पड़ता है। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को आईएएस, मेडिकल, इंजीनियरिंग व एनडीए समेत तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मुफ्त कोचिंग दी जाती है। ऐसे छात्रों के लिए राज्य सरकार की ओर से हॉस्टल का इंतजाम किया गया है जहां उनके रहने और खाने-पीने की बिल्कुल मुफ्त व्यवस्था है। इस ‘सुपर 100’ कोचिंग में प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा प्लस 1 और प्लस टू की कक्षाओं के लिए भी साथ साथ कोचिंग दी जाती है। सुरेंद्र के अनुसार एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों में ज्यादातर छात्र हरियाणा के ही देखे जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सुपर 100 में कोचिंग के बाद निकले लगभग 90% छात्रों का चयन विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में हो जाता है।