युवा पीढ़ी को शहीदों की शहादत से प्रेरणा लेकर देश की एकता और अखंडता के लिए पूरे होश एवं जोश से करना होगा कार्य: राज्यपाल

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चण्डीगढ़, 22 सितम्बर। देश व प्रदेश की वर्तमान युवा पीढ़ी को शहीदों की शहादत से प्रेरणा लेकर देश की एकता और अखंडता के लिए पूरे होश और जोश से कार्य करना होगा ताकि शहीदों का सुदृढ़ व समावेशी भारत का सपना साकार हो। यह बात हरियाणा के राज्यपाल दत्तात्रेय ने हरियाणा वीर एवं शहीदी दिवस के अवसर पर महान स्वतंत्रता सेनानी राव तुला राम व जाने अनजाने सभी वीर शहीदों को नमन करते हुए कही। उन्होंने आज राजभवन में राजा राव तुलाराम की मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। देश में आज आजादी का अमृत महोत्सव का जश्न है। यह जश्न वीर शहीदों की बदौलत ही मना रहे हैं। उन्होंने महान स्वतंत्रता सेनानी राव तुला राम को याद करते हुए कहा कि सभी वीर योद्धाओं की शहादत की बदौलत आज हम आजादी की खुली फिजा में सांस ले रहे हैं। 1857 की क्रान्ति में राव तुला राम ने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया । जिससे देशभर के लोगों का मनोबल बढ़ा।
राव तुलाराम ने विदेशों में जाकर भी अंग्रजी शासन के खिलाफ बिगुल फूँका। स्वतंत्रता संग्राम के चलते मातृभूमि की रक्षा के लिए उन्होंने 38 वर्ष की आयु में काबुल में शहादत दे दी। देश की स्वतंत्रता के लिए 1857 मे उठी चिंगारी ने 90 साल के बाद 1947 में देश को स्वतंत्रता दिलाई।
दत्तात्रेय ने कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी राजा राव तुला राम व सभी वीर शहीद आज युवाओं के आदर्श हैं। इसी की बदौलत आज देश की सेना में हर दसवां सैनिक हरियाणा का है। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए लड़े गए युद्ध की बात की जाए या फिर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के युद्धों का जिक्र हो तो प्रदेश के वीर सैनिकों ने सदैव राष्ट्रीय सुरक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने युवा पीढ़ी से अपील की है कि आज हम हमारे आदर्श वीर शहीदों के जीवन संघर्ष से प्रेरणा लेकर देश के लिए कार्य करें।
इस अवसर पर श्री दत्तात्रेय ने लेफ्टिनेंट जनरल देपिन्द्र सिंह आहूजा ए.वी.एस.एम. (सेवानिवृत) से भी सेना की कार्यप्रणाली पर बातचीत की। उन्होंने सैनिकों को शाबासी देते हुए यह भी कहा कि वीर शहीदों के शौर्य से प्ररेणा पाकर ही हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ता है। देपिन्द्र सिंह आहुजा ने अपने सेना में सेवाकाल के अनुभव भी साझा किए। उन्होंने राज्यपाल दत्तात्रेय को ‘‘सेल्फ रियलाइजेशन बाय मेडिटेशन’’  (Self Realisation by Meditation) नामक पुस्तक भी भेंट की।

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