चण्डीगढ़, 16 सितम्बर। हरियाण के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार को पुराणों को पाठयक्रमों में शामिल करना चाहिए। इससे समाज में नैतिक मूल्यों का उत्थान होगा। इन नैतिक मूल्यों से ही युवा पीढ़ी का विकास होगा।
हरियाणा के राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय कुरुक्षेत्र की पावन भूमि के पवित्र सन्निहित सरोवर पर आयोजित वामन द्वादशी मेले के उदघाटन सत्र में केडीबी और शहर की धार्मिक संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इससे पहले राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेये, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज, हरियाणा के खेल एवं युवा मामले मंत्री संदीप सिंह, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, टीडी बोर्ड के सदस्य जनार्धन रेड्डड्ढी, जया वाणी रेड्डड्ढी, भाजपा के प्रदेश महामंत्री डा. पवन सैनी, भाजपा के कुरुक्षेत्र प्रभारी मेहर चंद गहलोत, केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, महंत बंसीपूरी, भद्रकाली पीठ के अध्यक्ष डा. सतपाल शर्मा, हरिओम प्रवाजक ने मंत्रौच्चारण के बीच सन्निहित सरोवर के पावन तट पर तीर्थ पूजा की और भगवान वामन के हिंडौले की पूजा अर्चना करके परम्परा अनुसार हवन यज्ञ में पूर्ण आहुति डाली। इस दौरान शहर की लगभग सभी धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय का सम्मान किया। इतना ही नहीं 25 सालों के बाद वामन द्वादशी मेले को फिर से शुरू करने और सन्निहित सरोवर पर भगवान वामन के हिंडोले की पूजा अर्चना करने पर ब्राह्मण तीर्थोद्घार सभा के संरक्षक जय नारायण शर्मा, प्रधान पवन शास्त्री, प्रधान महासचिव रामपाल शर्मा ने राज्यपाल के साथ-साथ अन्य मेहमानों का स्वागत किया।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि वामन द्वादशी उत्सव में उपस्थित होकर स्वयं को पुण्य का भागीदार मान रहा हूं। मेले के आयोजन व इस पवित्र पर्व पर मैं पूरे प्रदेशवासियों के साथ-साथ आप सभी को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देता हूं और प्रदेश के सभी लोगों की सुख शांति, समृद्घि व अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं। सभी के आपसी सहयोग से पौराणिक मेलों को पुनर्जीवित करंे, जिससे भारतीय संस्कृति और प्रफुल्लित होगी और कुरुक्षेत्र भूमि की पहचान अंतर्राष्टड्ढ्रीय स्तर पर होगी। जब-जब भी अधर्म की वृद्धि और धर्म की हानि हुई है, तब-तब धर्म संस्थापन हेतू भगवान अनेक रूपों में पृथ्वी पर अवतरित हुए है। पुराणों में अवतारों की संख्या दस से लेकर चैबीस तक बताई गई है। भगवान विष्णु के दस प्रमुख अवतारों में मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध व कल्कि की गणना होती है। इनमें से लगभग सभी अवतारों का सम्बन्ध धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की पावन भूमि से रहा है, जिनमें वामन अवतार प्रमुख है। भगवान वामन की प्रकट स्थली होने के कारण कुरुक्षेत्र में विगत कई सदियों से वामन द्वादशी मेले की परम्परा रही। यह मेला कुरुक्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ सन्निहित सरोवर के तट पर आयोजित किया जाता था। इस अवसर पर सन्निहित सरोवर में भगवान वामन के नौका विहार की परम्परा के साथ-साथ अनेक क्रीड़ा प्रतियोगिताओं का आयोजन होता था।
उन्होंने कहा कि विगत दो दशकों से भी अधिक समय से किन्हीं कारणों से कुरुक्षेत्र की पौराणिक पहचान को समर्पित इस पर्व का आयोजन बंद हो गया था। अभी कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड, धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से इस मेले को पुनर्जीवित किया गया है। इसके लिए सभी बधाई के पात्र है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने इसी पावन धरा पर मानवता को गीता का उपदेश दिया था। गीता अमर संदेश के आगे सारा संसार युगों-युगों तक नतमस्तक है। इसलिए गीता सो विश्व को समता और ममता का पाठ पढ़ाती है। गीता का संदेश वर्तमान में ओर प्रासंगिक है। सभी के सहयोग से पौराणिक मेलों को पुनर्जीवित करने की सकारात्मक पहल हुई है। इन मेलों से समाज में भाईचारा बढ़ता है और उंच-नीच की खाई खत्म होती है, जिससे वसुधैव कुटुम्बकम की भावना प्रबल होती है। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि गीता स्थली कुरुक्षेत्र में कुछ चीजे विलुप्त हो रहीं थी, इन विलुप्त उत्सवों व मेलों को फिर से पुनर्जीवित करने का काम किया जा रहा है। इस परम्परा को बचाने और आगे बढ़ाने में केडीबी और शहर की समाज सेवी संस्थाओं का अहम योगदान है। उन्होंने वामद द्वादशी मेले के इतिहास पर भी प्रकाश डाला।
थानेसर विधायक सुभाष सुधा ने मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि 1997 के बाद सन्निहित सरोवर पर शहर की सभी संस्थाओं के सहयोग से वामन द्वादशी मेले का शुभारम्भ हुआ है। इससे प्राचीन संस्कृति और संस्कारों को सहेजने की तरफ एक कदम आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने सभी संस्थाओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भविष्य में भी संस्थाए प्राचीन संस्कृति को बचाने में प्रशासन और सरकार का सहयोग करेंगी।
सांसद नायब सिंह सैनी ने मेहमानों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वामन द्वादशी मेले को 25 सालों के बाद शुरू करके समाज सेवी संस्थाओं ने एक उल्लेखनीय कार्य किया है। इससे कुरुक्षेत्र का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाएंगा और यह मेला भी पूरे विश्व में जाना जाएगा। इस कार्यक्रम के मंच का संचालन आरएसएस के सह विभाग कार्यवाहक डा. प्रीतम सिंह ने किया। इस मौके पर उपायुक्त मुकुल कुमार, पुलिस अधीक्षक हिमांशु गर्ग, केयूके के कुलपति प्रोफेसर सोमदत्त सचदेवा, आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति बलदेव धीमान, केडीबी सदस्य सौरव चैधरी, उपेन्द्र सिंघल, राजेश शांडिल्य, विजय नरुला, केसी रंगा, महेन्द्र सिंगला, हंसराज सिंगला, राजेन्द्र चैपड़ा, प्रदीप झाम्ब सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थिति थे।