मोहाली, 15 सितंबर। ‘पंजाबी इंजीनियर्स वेलफेयर सोसायटी’-पीईडब्ल्यूएस ने मोहाली स्थित पीसीए स्टेडियम में 54वां इंजीनियर्स दिवस हाइब्रिड तौर से मनाया। इस दौरान पंजाब सरकार के विभिन्न विभागों, बोर्डों और निगमों में काम करने वाले इंजीनियर मौजूद थे।
इस अवसर पर ‘पंजाबी इंजीनियर्स वेलफेयर सोसायटी’ के प्रेसिडेंट इंजीनियर मनमोहन सिंह ने मेहमानों और इंजीनियरों का स्वागत किया। देश के एक प्रमुख इंजीनियर भारत रत्न अवार्ड से सम्मानित सर एम.विश्वेश्वरैया की जयंती मनाने के लिए हर साल इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। वह तेलंगाना में हैदराबाद शहर के लिए बाढ़ सुरक्षा प्रणाली के मुख्य डिजाइनर थे, साथ ही मैसूर और क्वारी बांध में कृष्णा राजा सागर बांध के निर्माण के लिए चीफ इंजीनियर थे और उन्होंने इनके बेहतरीन निर्माण को पूरा करवाया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ की गई। जिसके बाद इस भव्य कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के चीफ इंजीनियरों को सम्मानित किया गया जो कि बीते साल के इंजीनियर दिवस से लेकर अब तक सेवानिवृत हुए हैं। इसके अलावा खेल और अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले इंजीनियरों को भी सम्मानित किया गया।
विविध क्षेत्रों के प्रतिष्ठित इंजीनियरों को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह, सदस्य पंजाब इन्फ्रास्ट्रक्चर रेगुलेटरी अथॉरिटी तथा प्रेसिडेंट, पीईडब्ल्यूएस और अन्य वक्ताओं ने पंजाब राज्य में इंजीनियरिंग समुदाय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। मनमोहन सिंह ने कहा कि ‘‘इंजीनियरों ने दुनिया में महान सफलताएं हासिल की है। हमें केवल खुद को अपडेट करने की जरूरत है क्योंकि टेक्नोलॉजी हर पल अपने आप को अपडेट कर रही है। भारत में बड़ी संख्या में महान इंजीनियर हैं, लेकिन हमें अभी भी संख्या की तुलना में अधिक गुणवत्ता की आवश्यकता है। गुणवत्ता और एडवांस्ड टेक्नोलॉजीज पर अधिक ध्यान केंद्रित करें।’’
उन्होंने कहा कि सोसायटी, पंजाब सरकार के सभी विभागों, बोर्डों और निगमों के सभी इंजीनियरिंग समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है और पंजाब राज्य में इंजीनियरिंग क्षेत्रों और स्थायी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सभी ईमानदार प्रयास करेगा।
इस अवसर पर वेस्ट मैनेजमेंट पर काम करने वाले प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक राजगोपालन वासुदेवन अतिथि वक्ता थे। वह वर्तमान मे थीयागाराजर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में प्रोफेसर हैं और उन्होंने बेहतर, अधिक टिकाऊ, लागत प्रभावी सडक़ों के निर्माण के लिए प्लास्टिक कचरे का पुन: उपयोग करने के लिए एक अभिनव तरीका विकसित किया है।
राजगोपालन वासुदेवन ने बताया, एक किलोमीटर सडक़ बनाने के लिए आपको एक टन प्लास्टिक की जरूरत होती है। जो कि 10 लाख प्लास्टिक कैरी बैग के समान है। आज भारत में 41 लाख किमी सडक़ है, और हमारे पास इतना प्लास्टिक नहीं है कि उन सभी को प्लास्टिक की सडक़ों में बदल सके। इसलिए हमें भविष्य में इस तकनीक का उपयोग करके प्लास्टिक के निपटान में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
एलएम थापर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के निदेशक और डीन डॉ पद्मकुमार नायर, जो एक कुशल शोधकर्ता, प्रोफेसर और नेतृत्व विकास और स्थिरता के क्षेत्र में एक विद्वान हैं, इस अवसर पर मुख्य वक्ता थे। उन्होंने इंजीनियरिंग में सहानुभूति और विश्वास की आवश्यकता पर जोर दिया।