चंडीगढ़, 14 सितंबर। भारत की ही नहीं अपितु विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा है हिंदी। भारत वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा। गुलामी का प्रभाव भाषा पर भी पड़ा। यह कहना है समाजसेवी एवं लेखिका मंजू मल्होत्रा फूल का। फूल ने कहा कि पूरे देश में हिंदी सबसे ज्यादा लोग बोलते हैं इसके बावजूद भी यह आज तक राष्ट्रभाषा घोषित होने के सम्मान से वंचित हैं। यह हमारा दुर्भाग्य एवं अथाह पीड़ा का विषय है कि हिंदी बोलने वाले को पिछड़ा और अंग्रेजी बोलने वाले को आधुनिक समझा जाता है। इतना समृद्ध भाषा कोष होने के बावजूद भी इसमें अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग किया जाने लगा है तथा कई शब्द प्रचलन से हट ही गए हैं।
फूल ने कहा कि आज हिंदी दिवस मनाने की जरूरत पड़ रही है ताकि लोग इस भाषा को समझे, हिंदी का सम्मान करें और इसका प्रचार-प्रसार करना अपना कर्तव्य समझे। हिंदी केवल शासन के द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली केवल औपचारिक भाषा नहीं रहनी चाहिए, अपितु एकता का आधार होना चाहिए। हिंदी भाषा को हमारे पूरे राष्ट्र द्वारा, पूरे देश द्वारा, हर हिंदुस्तानी द्वारा समझा और बोला जाना चाहिए। राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलना चाहिए। अंग्रेजों ने कभी भी हिंदी भाषा को बढ़ने नहीं दिया। कारण एक ही था यदि इस भाषा का विस्तार और प्रसार लोगों में बढ़ जाता तो गुलामी की जंजीरों से भारत आजाद हो जाता। किंतु दुर्भाग्य यह रहा कि आजादी के पश्चात भी हिंदी का विकास सही रूप से नहीं हो पाया। राष्ट्रभाषा घोषित ना करके राजभाषा का दर्जा दिया गया और राजभाषा के रूप में मान्यता मिली किंतु वह भी पूर्ण नहीं। कार्यालयों में कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए अंग्रेजी भाषा को सह रूप में जोड़ दिया गया। आज जहां भारत में हिंदी भाषा का प्रयोग करने वाले सबसे ज्यादा लोग हैं तब भी हिंदी अपने अस्तित्व को पूर्णता खोजने के लिए संघर्षरत है। भारत की एकता और अखंडता के लिए हिंदी को उसका स्थान ,सम्मान मिलना अत्यावश्यक है। हमें अपनी भाषा के प्रति सचेत होना चाहिए एवं इसके विकास के बारे में सोचना चाहिए। हम सबको मिलकर यह ध्यान देना होगा कि हिंदी केवल राजभाषा ही ना रह जाए अपितु राष्ट्रभाषा के सर्वोच्च स्थान को प्राप्त करें। हमें उसी दिशा में बढ़ना होगा तथा उचित कदम उठाने होंगे। हिंदी भाषा अखंडता में एकता आजादी के समय में भी नजर आई थी और सूचना, संपर्क एवं संचार का माध्यम बनी थी और आजादी का परचम लहराया था। हिंदी भाषा को हमेशा उसी तरह रहना चाहिए और समस्त भारतवासियों में बातचीत का, संपर्क का एवं एकता का माध्यम रहे हिंदी भाषा। राष्ट्रभाषा के सर्वोच्च स्थान और सम्मान को प्राप्त करे हिंदी भाषा ।