चंडीगढ़, 26 अगस्त। कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली मंत्रिमंडल ने वीरवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में मुख्यमंत्री के निर्देशों पर अमल करते हुए केंद्र के काले कृषि कानूनों के विरुद्ध चल रहे संघर्ष के दौरान जान गंवा चुके 104 किसानों/कृषि मजदूरों के वारिसों को नौकरी देने सम्बन्धी कार्योत्तर मंज़ूरी दे दी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने संघर्ष के दौरान जान गंवा चुके ओर किसानों के वारिसों को रोजग़ार मुहैया करवाना यकीनी बनाने के लिए सम्बन्धित विभागों को ढील देने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वह चाहते हैं कि काले कानूनों के विरुद्ध संघर्ष में अपनी जान कुर्बान करने वाले पंजाब के सभी किसानों के पारिवारिक सदस्यों को सरकारी नौकरियाँ दी जाएँ।
इससे पहले मंत्रीमंडल द्वारा तरस के आधार पर नौकरी सम्बन्धी तारीख़ 21 नवंबर 2002 को बनी पंजाब सरकार की नीति के अधीन कवर न किए गए उम्मीदवारों को ढील देने सम्बन्धी मंज़ूरी देते हुए मुख्यमंत्री को नियमों में और बदलाव करने के अधिकार दिए गए। उक्त नीति सरकारी कर्मचारियों और देश की सुरक्षा के लिए लड़ते हुए जान कुर्बान करने वाले व्यक्तियों पर लागू होती है। किसान आंदोलन के दौरान काले कृषि कानूनों के विरुद्ध प्रदर्शन में जान गंवाने वाले किसानों/कृषि मज़दूरों के कानूनी वारिस इस नीति में शामिल नहीं हैं और उनको इस सम्बन्धी मंज़ूरी/ढील की ज़रूरत है।
मंत्री मंडल के फ़ैसले से सम्बन्धित डिप्टी कमिश्नर द्वारा सिफ़ारिश किए अनुसार मृतक किसानों/मज़दूरों की माता, पिता, विवाहित भाई, विवाहित बहन, विवाहित बेटी, बहु, पोते, पोती, वारिस आदि में से कोई एक रोजग़ार के योग्य होगा।
ज़िक्र योग्य है कि इस मुद्दे पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री के आदेशों पर प्रमुख सचिव परसोनल की अध्यक्षता अधीन एक कमेटी का गठन किया गया। कमेटी के सदस्यों में सचिव/विशेष सचिव राजस्व, सचिव/अतिरिक्त सचिव/विशेष सचिव कृषि और विशेष सचिव या सम्बन्धित विभाग के प्रमुख शामिल हैं, जिनमें पदों की नियुक्ति की जानी है, शामिल होंगे।
कमेटी ने 26 जुलाई 2021 को 104 उम्मीदवारों के मामलों पर विचार किया और योग्य उम्मीदवारों को नौकरी देने की सिफारिश की। इस सम्बन्धी राजस्व विभाग द्वारा एक पत्र भी जारी किया गया।
ज़िक्र योग्य है कि कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन के बीच भारत सरकार द्वारा 5 जून, 2020 को तीन कानून/ऑर्डिनेंस पास किए गए, जिस कारण किसानों/कृषि मजदूरों में भारी रोष फैल गया। किसानों/कृषि मजदूरों द्वारा संगठित विरोध/आंदोलन पहले पंजाब में शुरू किए गए और इसके बाद इस संघर्ष को राष्ट्रीय स्तर तक बढ़ा दिया गया। इस आंदोलन में छोटे और दर्मियाने किसानों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। अब भी यह आंदोलन दिल्ली की सडक़ों पर जारी है।
सडक़ों और खुले आसमान के नीचे रोष मुज़ाहरे करते हुए ठंडे और खऱाब मौसम की स्थिति में बहुत से किसान/कृषि मज़दूर अपनी जान गंवा चुके हैं। किसानों/कृषि मजदूरों को पेश आ रही मुश्किलों का नोटिस लेते हुए पंजाब सरकार द्वारा आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों/कृषि मजदूरों के परिवारों को पहले ही 5 लाख रुपए की एक्स-ग्रेशिया/वित्तीय सहायता मुहैया करवाई जा चुकी है।