‘स्वभाषा स्वाभिमान अभियान’ के तहत ब्रह्मानंद पब्लिक स्कूल, निसिंग में कार्यक्रम आयोजित

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निसिंग, 26 अगस्त। मनुष्य अपनी सर्वोत्तम अभिव्यक्ति अपनी मातृभाषा में ही करता है। केंद्र सरकार ने भी वर्षों के मंथन के बाद मातृभाषा के महत्व को समझते हुए नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को विशेष स्थान दिया है। हिंदी हमारी मातृभाषा तो है, लेकिन तकनीकी रूप से यह आज भी देश की राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई है। भारत के संविधान में किसी भी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा हासिल नहीं है। हिंदी में राष्ट्रभाषा होने का पूरा सामर्थ्य है। भारत में जिस भाषा को सबसे ज्यादा लोग बोलते और समझते हैं, वह हिंदी ही है। यह कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश को एक सूत्र में जोड़ने की क्षमता भी रखती है। हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त न होना देश का दुर्भाग्य है। यह टिप्पणी हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष एवं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने ‘स्वभाषा स्वाभिमान अभियान’ के तहत निसिंग स्थित ब्रह्मानंद पब्लिक स्कूल में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए की।
उन्होंने कहा कि भारत की हर भाषा को हम राष्ट्रीय भाषा जरूर कह सकते हैं। हिंदी भारतीय संघ की राजभाषा है। डॉ. चौहान ने बताया कि 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने एकमत से फैसला किया था कि भारत में सरकारी कामकाज की भाषा हिंदी होगी। कामकाज में सुविधा के लिए हिंदी के अलावा अंग्रेजी भाषा को भी अगले 15 साल तक द्वितीय राजभाषा के तौर पर मान्यता दी गई थी। यह तय किया गया था कि वर्ष 1965 के बाद अंग्रेजी की देश से विधिवत विदाई कर दी जाएगी। लेकिन वर्ष 1965 आते-आते देश में ऐसा माहौल तैयार कर दिया गया कि दक्षिणी राज्यों में हिंदी का सुनियोजित तरीके से विरोध होना शुरू हो गया। इसका नतीजा यह हुआ कि 1965 में जब देश से अंग्रेजी को विदा करने की बारी आई तो तत्कालीन राजनीतिक नेतृत्व ने कहा कि हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी को भी द्वितीय राजभाषा के तौर पर बरकरार रखा जाए। उसका परिणाम यह हुआ कि वर्ष 1949 से लेकर आज वर्ष 2021 तक हिंदी को वह स्थान प्राप्त नहीं हो सका है जो उससे मिलना चाहिए था।
इस कार्यक्रम का आयोजन ब्रह्मानंद पब्लिक स्कूल के प्रबंध निदेशक विक्रम चौधरी एवं प्राचार्य सोनिया चौधरी की ओर से किया गया था। मंच का संचालन हिंदी के प्राध्यापक प्रवीण कुमार और अंग्रेजी की प्राध्यापिका ललिता ने किया। हिंदी विषय पर अपने संदेश देने वाले बच्चों में वृंदा, मुस्कान, स्माइल, मुस्कान गर्ग और आंचल गर्ग के नाम शामिल हैं। कार्यक्रम के दौरान ललिता और प्रवीण कुमार के अलावा कमल चौधरी, प्रदीप बराड़, बबीता, अमृतपाल, प्रदीप शर्मा, सोनिया वर्मा, दीपक वर्मा, गौरव शर्मा, दीपक अरोड़ा, सुमन शर्मा, मानव और शकील आदि शिक्षक भी मौजूद रहे।

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