जलवायु परिवर्तन पर एक दिवसीय इंसेप्शन वर्कशॉप आयोजित

Spread the love

चण्डीगढ़, 12 अगस्त। हरियाणा पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा आज यहां डॉयचे गेसेलशाफ्ट फर इंटरनेशनेल जुसामेनरबीट (जीआईजेड) के सहयोग से जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना (एसएपीसीसी) में संशोधन के लिए एक दिवसीय इंसेप्शन वर्कशॉप का आयोजन किया गया।
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के निदेशक राम सरूप वर्मा और राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के अध्यक्ष भारत भूषण इंसेप्शन वर्कशॉप में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर लद्दाख विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस के मेहता विशिष्ट अतिथि थे।
वर्कशॉप में विभिन्न विभागों के लगभग 50 अधिकारियों/नोडल व्यक्तियों ने व्यक्तिगत रूप से भाग लिया जबकि एडविन कोएकोक, काउंसिलर, एनर्जी एंड क्लाइमेट एक्शन, भारत में यूरोपीय संघ प्रतिनिधिमंडल और हरियाणा राज्य के उपायुक्त वर्कशॉप से वर्चूअली जुड़े।
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के संयुक्त निदेशक राज कुमार चौहान ने जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना के पहले संस्करण के कार्यान्वयन की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अनुकूलन, शमन और लचीले उपायों को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार भारत की राष्ट्रीय निर्धारित योगदान के तहत प्रतिबद्धताओं को मद्देनजर रखते हुए एसएपीसीसी को संशोधित करने की आवश्यकता है। आकलन रिपोर्ट छ: में पिछले दो दशकों में कार्बन डाइआक्साइड में वृद्धि के कारण अचानक तापमान बढऩे का उल्लेख किया गया है। बैठक में विभिन्न क्षेत्रों पर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के प्रभावों पर चर्चा और दस्तावेजीकरण भी किया गया।
कृषि, बागवानी, एचपीजीसीएल, उद्योग एवं वाणिज्य, एचएसआईआईडीसी, सिंचाई, वन, हरेडा, हरसक, पशुपालन, यूएचबीवीएन, पर्यटन, नाबार्ड, राज्य जैवविविधता बोर्ड, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, पीएचईडी, आयुष, एसडब्ल्यूए और परिवहन जैसे विभिन्न विभागों और विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने के लिए विभिन्न सुझाव प्रस्तुत किए।
एडविन कोएकोक ने हरियाणा में जलवायु परिवर्तन प्रयोगशाला स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की।
इसके उपरांत, जीआईजेड-इंडिया के विशेषज्ञ एवं उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने प्रमुख विभागों के नोडल अधिकारियों के साथ एसएपीसीसी के पहले संस्करण के कार्यान्वयन पर चर्चा की और एसएपीसीसी के संशोधन से संबंधित अपने डोमेन का डेटा प्रदान करने का आग्रह किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *