चंडीगढ़ 28 जुलाई। क्रोनिक किडनी फेल्योर और किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए ग्रेशियन सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल मोहाली के डॉक्टरों की एक टीम ने आज मीडिया को संबोधित किया। इस अवसर पर डॉ. सुमीत देवगन कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट एंड किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन और डॉ. छमिंदरजीत सिंह, कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजिस्ट एंड रीनल, ट्रांसप्लांट चिकित्सक ग्रीसियन स्पेशलिटी अस्पताल मोहाली उपस्थित थे।
इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ सुमीत देवगन ने कहा कि लाइव डोनर से किडनी ट्रांसप्लांट करने में भारत का दुनिया में दूसरा स्थान है, क्योंकि भारत में 95 प्रतिशत ट्रांसप्लांट जीवित डोनर से होता है, जबकि केवल 5 प्रतिशत कैडवर (मृतक) से हो रहा है। कम से कम 5 लाख से अधिक भारतीय हर साल अपने प्रमुख कार्य अंगों के किसी भी समय विफल होने के कारण मर रहे हैं। लाइव और कैडेवर डोनर प्रोग्राम दोनों के बारे में अधिक जागरूकता पैदा करने की अत्यधिक आवश्यकता है। डॉ. देवगन ने यह भी कहा कि हमारे देश में अंगों की आवश्यकता और आपूर्ति के बीच भारी विसंगति को दूर किया जा सकता है, अगर हर साल मरने वाले दुर्घटना पीडि़तों (लगभग 4 लाख) के अंगों को प्रत्यारोपण के लिए उपलब्ध करवाया जाये। इसके अलावा अब अन्य सबसे व्यवहार्य विकल्प एबीओ-रक्त समूह असंगत डोनर्स से डोनर स्वैपिंग और प्रत्यारोपण है। ऐसे प्रत्यारोपण जिन्हें पहले उच्च जोखिम माना जाता था, अब उपलब्ध कुशल इम्यूनोसप्रेसिव उपचार प्रोटोकॉल के बदले अच्छे अल्पावधि और स्वीकार्य दीर्घकालिक परिणामों के साथ संभव हो गया है।
क्रोनिक किडनी फेल्योर से किडनी को अपरिवर्तनीय क्षति कैसे होती है? इस पर चर्चा करते हुए, डॉ. छमिंदरजीत सिंह ने कहा, क्रोनिक किडनी फेल्योर (सीआरएफ) प्रकृति में प्रगतिशील है और किडनी को अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, संक्रमण, मूत्र रुकावट, पथरी और कुछ विरासत में मिली असामान्यताएं इसका मुख्य कारण है। क्रोनिक रीनल फेल्योर (और एंड स्टेज रीनल डिजीज-ईएसआरडी) के उन्नत चरण में कुछ प्रकार के रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी (आरआरटी) की आवश्यकता होती है। जैसे हेमोडायलिसिस (टॉक्सिन्स और अपशिष्ट उत्पादों से रक्त को छानना), कंटीन्यूअस एम्बुलेटरी पेरिटोनियल डायलिसिस (सीएपीडी) या ट्रांसप्लांट हैं। अभी तक किडनी ट्रांसप्लांट अंतिम चरण के गुर्दे की बीमारी वाले किसी भी उपयुक्त रोगी के लिए सबसे अच्छा उपचार विकल्प है।
रोगी के गुर्दा प्रत्यारोपण के फायदों के बारे में बताते हुए डॉ. छमिंदरजीत ने कहा कि हालांकि शुरुआत में यह एक महंगा इलाज प्रतीत होता है, लेकिन लंबे समय में किडनी प्रत्यारोपण तीन रेनल रिप्लेसमेंट थेरेपी विकल्पों में से सबसे किफायती है। डायलिसिस या सीएपीडी की तुलना में जीवन की सर्वोत्तम गुणवत्ता भी प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप के बढ़ते मरीजों के कारण हमारे देश में हर साल लगभग 2.5 लाख नए रोगी सीआरएफ विकसित करते हैं, लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी और डोनरर्स की कमी के कारण लगभग 6000 केसों में ही प्रत्यारोपण होता है। इसके अलावा मानव अंग जैसे हृदय, फेफड़े, यकृत, आंत, कॉर्निया, अस्थि मज्जा, यहां तक कि कुछ केसों में त्वचा और अंगों को भी जरूरतमंद रोगियों में सफलतापूर्वक प्रतिरोपित किया जा सकता है। स्वस्थ प्रत्यारोपित अंगों के साथ एक मरीज वर्षों यहां तक कि दशकों तक जीवित रह सकता है। एक अंग दाता अपने अच्छी तरह से काम करने वाले अंगों को दान करके अपने जीवन में 8 से अधिक लोगों की जान बचा सकता है।
अंगदान के बारे में बात करते हुए डॉ. सुमीत देवगन ने कहा, जब किसी को एक गुर्दा दान करने के लिए कहा जाता है, तो हमें यह समझने की जरूरत है कि एक गुर्दा दान करने से शारीरिक क्षमता, गुणवत्ता प्रभावित नहीं होती है। दीर्घकालिक संभावित अध्ययनों ने गुर्दा दाताओं की दीर्घकालिक सुरक्षा साबित हो चुकी है। आजकल, हम लैप्रोस्कोपी द्वारा डोनर के ऑपरेशन की पेशकश करते हैं, जोकि खुले ऑपरेशन की तुलना में कम दर्दनाक है। तेजी से ठीक होने और काम पर जल्दी लौटने में सक्षम बनाता है।
डा. सुमित देवगन ने बताया कि मनुष्य के अंगदान दो प्रकार का होता है, लाइव डोनेशन या डेड डोनेशन। जीवित दाता अपने जीवन के दौरान किसी जरूरतमंद को अपने अंग या किसी अंग का एक हिस्सा दान कर सकता हैं, जिसमें एक गुर्दा, लिवर के दो लूब्स में से एक, फेफड़े/या एक भाग। एक मृत व्यक्ति के अंगदान शपथ/अनुमति प्राप्त अंगों को दान कर सकते हैं। जितनी जल्दी हो सके, यह अंग मृत शरीर से हटा दिये जाते हैं। मृतक व्यक्ति हृदय, लिवर, गुर्दे, फेफड़े, अग्न्याशय, आंखें और कॉर्निया, छोटी आंत, हड्डी का ऊतक, हार्ट वाल्व, टेंडन्स, लिगामेंट्स, नसें व हड्डियां दान किए जा सकते हैं।
इस मौके पर ग्रेशियन अस्पताल मोहाली ग्रुप के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर डॉ. आशीष चड्ढा ने कहा कि किडनी ट्रांसप्लांट प्रक्रिया के लिए कई कानूनी औपचारिकताओं की जरूरत होती है। हमारे देश के कानून के अनुसार, चिकित्सकीय रूप से फिट निकट संबंधी (भाई-बहन, माता-पिता, पति या पत्नी या बच्चों) द्वारा गुर्दा दान में कम परेशानी होती है और सर्वोत्तम परिणाम भी मिलता है। निकट रिश्तेदारों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किडनी दान करने के लिए संबंधित राज्य सरकार से अनुमोदन और दूतावास के साथ-साथ विदेश मंत्रालय से विदेशी राष्ट्रीय अनुमति की आवश्यकता होती है।