चंडीगढ़, 27 जुलाई। श्रृजन -एन इंस्टिटियूट आफ क्रिएटीविटी की और से शिव कुमार बटालवी और डॉ धर्म स्वरूप गुप्त के जन्मदिन पर उनकी याद में एक आनलाइन संगीतमय कार्यक्रम “सुरमई सांझ” का आयोजन किया गया। जिसमें शहर के जाने-माने गायकों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत सृजन के अध्यक्ष गजल गायक सोमेश ने सरस्वती वंदना गा कर की। कार्यक्रम का संचालन अमरज्योति शर्मा ने अपनी शेरो शायरी से किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के के शारदा, रिटायर चेयरमैन गांधी स्मारक निधि, वर्तमान चेयरमैन आर्यकुल चंडीगढ़, विशिष्ट अतिथि संतोष गर्ग- राष्ट्रीय कवि संगम की अध्यक्ष रहे और कार्यक्रम की अध्यक्षता निर्मल सूद ने की।
कार्यक्रम का आरंभ अमरज्योति ने शिव कुमार बटालवी की कविता “जी चाहे पंछी हो जावां” और सोमेश ने शिव कुमार बटालवी का गीत “मैनूं तेरा शबाब ले बैठा” से की। इस कार्यक्रम में सबसे छोटे प्रतिभागी क्रिश ने पंजाबी सूफी गीत गा कर समां बांध दिया। वहीं बाल कृष्ण गुप्ता ने अपने बड़े भाई धर्म रूप गुप्त की याद में एक भावनात्मक कविता “मेरे बड़े भैया” पेश की।
शारदा ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि श्रृजन की तरफ़ से किया गया ये प्रयोग बहुत ही सफल रहा। श्रृजन हमेशा नए और पुराने कलाकारों का संगम कर के उन्हें एक बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। वहीं संतोष गर्ग ने सोमेश को सादर नमन किया कि वो अपने पिता की यादगार में हर साल कार्यक्रम आयोजित करके आज की पीढ़ी को संस्कारवान बनाने का प्रयास करते हैं।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले कलाकारों ने- पूर्णिमा – गीत – सावन की बदरिया, हरेंद्र सिन्हा – कविता – पिता ही दिया करते बच्चों को उपहार, निर्मल सूद – कविताएं – मेरे पिता और दीवारें, शिवानी अंगरीश – हिमाचली लोकगीत – अम्मा पुछदी और शिव कुमार बटालवी जी का गीत – लोकी पूजन रब्ब नूं, डॉ प्रज्ञा शारदा – कविता सच और झूठ, इशमीत कौर – गीत, साजद अली- जे तु कदे रावी लंघ जाएं, सुनीता सिंह- गीत- मुस्कुराओगे तो जीत जाओगे, अंजू राय – गीत – आधार है…., संतोष गर्ग – कविता – कुछ तो बताओ, राशि श्रीवास्तव – गीत – घुमड़े थे बादल, गा कर समय बांध दिया।
अंत में श्रृजन के अध्यक्ष सोमेश ने कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतिभागियों का शुक्रिया करते हुए कहा कि अगस्त में श्रृजन की तरफ से “भजन संध्या” का आयोजन किया जाएगा।