मोहाली, 27 जुलाई। विश्व हेपेटाइटिस दिवस (28 जुलाई 2021) के उपलक्ष्य में, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के डॉक्टरों ने नागरिकों को विभिन्न प्रकार के हेपेटाइटिस संक्रमणों के बारे में जागरूक किया, इससे जुड़े खतरे और समय पर हस्तक्षेप और उपचार क्यों महत्वपूर्ण था। इस वर्ष की थीम, ‘‘हेपेटाइटिस कांट वेट’ यानि हेपेटाइटिस इंतजार नहीं कर सकता, का तात्पर्य है कि हेपेटाइटिस को एक बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के रूप देखते हुए साल 2030 तक पूरी तरह से समाप्त करने की तत्काल आवश्यकता है।
डॉ. अरविंद साहनी, डायरेक्टर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोबिलरी साइंसिज, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली, ने हेपेटाइटिस और इसकी जटिलताओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि ‘‘हेपेटाइटिस एक वायरल संक्रमण है जिसके परिणामस्वरूप लीवर में सूजन हो जाती है, जिससे लिवर फेलियर, लिवर सिरोसिस जैसी समस्याएं सामने आती हैं। और यहां तक कि लीवर कैंसर की भी संभावना बनी रहती है। यह भारत में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर भारी बोझ डालता है। देश में हर साल एक लाख से अधिक लोग हेपेटाइटिस से संबंधित बीमारियों से मर जाते हैं। इसका प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने हेपेटाइटिस को मिटाने के लिए साल 2018 में राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम भी व्यापक स्तर पर शुरू किया।
प्रकार
हेपेटाइटिस ए और ई दूषित पानी और भोजन से फैलता है और इससे लीवर खराब हो सकता है। हेपेटाइटिस ई गर्भावस्था में गंभीर होता है और इसमें भ्रण और मातृ मृत्यु दर अधिक होती है। हेपेटाइटिस बी और सी एचआईवी वायरस की तरह दूषित रक्त और शरीर के तरल पदार्थों के माध्यम से नॉन-इंटेक्ट त्वचा या मुकोसल मैम्ब्रेंस (श्लेष्म झिल्ली) के माध्यम से फैलता है। ये वायरस लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर का कारण ॥द्मद्ध बन सकते हैं।
लक्षण
इससे प्रभावित होने वाले मरीजों में भूख न लगना, मतली, उल्टी, बुखार, सिरदर्द, सुस्ती, गहरे रंग का पेशाब, पीलिया, पेट में दर्द और पैरों में सूजन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
डायग्नोसिस
प्वाइंट-ऑफ-केयर टेस्ट्स के माध्यम से हेपेटाइटिस का डायग्नोसिस (निदान) किया जाता है।
कोविड-19
हेपेटाइटिस से पीड़ित लोगों में कोविड संक्रमण के गंभीर लक्षण दिखाई दे सकते हैं, उन्हें बार-बार अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है और संक्रमण से संबंधित जटिलताएं बढ़ जाती हैं। कोविड पहले से मौजूद लीवर की बीमारी के बिगड़ने का कारण हो सकता है।
हेपेटाइटिस बी और सी की रोकथाम
हेपेटाइटिस बी के टीके की तीन खुराक में पहली खुराक के बाद दूसरी छह महीने के अंतराल के बाद दी जाती हैं, जो 20 से अधिक वर्षों तक 90 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करती हैं। नवजात शिशुओं को टीकाकरण की जरूरत है। उच्च जोखिम वाले समूहों में डायलिसिस पर लोग, प्रत्यारोपण रोगी, अंत:शिरा दवा उपयोगकर्ता, जेल के कैदी, चिकित्सा पेशेवर और यौनकर्मी शामिल हैं। ब्लड बैंकों को रेगुलेटेड किया जाना चाहिए, और रक्त का उचित परीक्षण किया जाना चाहिए। पेशेवर रक्तदाताओं को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। टैटू बनवाने, सड़क किनारे बैठे नाइयों के पास जाने, सीरिंज और सुई साझा करने के अलावा संक्रमित व्यक्ति के निजी सामान जैसे रेजर, टूथब्रश आदि का उपयोग करने से बचें। इसके साथ ही हमेशा सुरक्षित सेक्स का ही विकल्प अपनाएं ताकि कोई जोखिम पेश न आए।
हेपेटाइटिस ए और ई की रोकथाम
हेपेटाइटिस ए और ई से खुद को बचाने के लिए हमेशा स्वच्छ पेयजल का ही सेवन करें, बाजारों में कटे फल और सब्जियां खाने से बचें। छह महीने के अंतराल में दी गई टीके की दो खुराक संक्रमण को रोकने में मदद करती हैं।
कोविड संक्रमण की रोकथाम
हेपेटाइटिस के सभी रोगियों को प्राथमिकता के आधार पर डब्ल्यूएचओ प्रमाणित कोविड वैक्सीन लेना चाहिए क्योंकि संक्रमण होने पर कई सारी समस्याएं पैदा हो सकती हैं और उनमें कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या का कारण भी बन सकती है।