चंडीगढ़, 15 जुलाई। टोक्यो में कुछ ही समय में शुरू होने जा रहे ओलम्पिक खेलों के साथ देश पहले से ही खेलों के रंग में रंग चुका है, जिसे देखते हुए पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) और प्रादेशिक जनसंपर्क ब्यूरो (आरओबी), चंडीगढ़ ने वीरवार को प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय एथलीट अतिथि वक्ताओं के साथ “खेलों में करियर-अवसर और चुनौतियाँ” विषय पर वेबिनार आयोजित किया।
पहले अतिथि वक्ता के रूप में रमन सिंह ने विचार रखे जोकि एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक धावक और जम्पर हैं। उन्होंने पैरा एशियाई खेलों में चार बार भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है। बिहार के छोटे से गाँव संघोपट्टी में पैदा होने के बावजूद सौ प्रतिशत दृष्टिबाधित होने के साथ, वह 2006 में मलेशिया के कुआलालंपुर में एफईएसपीआईसी खेलों (अब एशिआई खेलों के रूप में पुनर्नामांकित) में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले सौ प्रतिशत नेत्रहीन एथलीटों में से एक बन गये।
खेल में करियर के बारे में श्रोताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “खेल जुनून और कठोर परिश्रम का परिणाम है”। वह कहावत जो हम बचपन में सुनते थे-“पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो बनोगे खराब “वर्तमान परिदृश्य में अब लागू नहीं है जहां कई लोग खेलों को करियर के रूप में अपना रहे हैं।”
खेल उद्योग में करियर के अन्य पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने आगे कहा, “खेल अपने आप में केवल खेलने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें खेल विशिष्ट पोषण और आहार विशेषज्ञ, खेल के सामान और वर्दी के निर्माता, खेल चिकित्सक आदि का क्षेत्र भी शामिल है”।
दूसरी वक्ता के तौर पर भारत की राष्ट्रीय महिला बास्केटबॉल टीम की पूर्व कप्तान सुश्री आकांक्षा सिंह ने विचार रखे। उन्होंने एशियाई खेलों सहित कई अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
आकांक्षा सिंह ने प्रतिभागियों को अपनी कहानी के माध्यम से खेलों में उपलब्ध करियर के सभी विकल्पों जैसे एथलीट, कोच, खेल मनोवैज्ञानिक, खेल फिजियोथेरेपिस्ट, इवेंट मैनेजर आदि के बारे में बताया। खेल मनोवैज्ञानिकों की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “एक शांत और प्रेरित दिमाग, एक खिलाड़ी के प्रदर्शन में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है और खेल मनोवैज्ञानिक की नौकरी पाने के लिए किसी भी व्यक्ति के लिए यह नश्चित तौर पर उचित विकल्प है”।
प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए पत्र सूचना कार्यालय, चंडीगढ़ के सहायक निदेशक श्री हिमांशु पाठक ने कहा खेलों और क्रीड़ाओं को मानव व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सदैव एक अभिन्न अंग के रूप में देखा गया है और यह समुदाय के भीतर बंधन और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करने में एक अहम भूमिका निभाता है।
हर्षित नारंग, सहायक निदेशक, पत्र सूचना कार्यालय, चंडीगढ़ ने सत्र का संचालन किया और सपना, सहायक निदेशक, आरओबी चंडीगढ़ ने वक्ताओं और उपस्थित प्रतिभागियों को धन्यवाद प्रस्ताव के साथ वेबिनार का समापन किया।