चण्डीगढ़ । बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में तथा कर्मचारियों की सेवा शर्ते बरकरार रखने व डीम्ड डेपूटेशन का दर्ज देने तथा सरकारी स्टेटस बरकरार रखने के लिए 6 दिसम्बर 2024 से जारी संघर्ष जारी है। आज भी सभी कार्यालयों में रोष रैलियाँ की गई।अब 24 जनवरी को सभी डिवीजनों के सामने किये जायेंगे विरोध प्रर्दषन। 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस समारोह में बिजली विभाग बचाओ के नारे के साथ 1 लाख हस्ताक्षरो का ज्ञापन तथा कर्मचारियों का सरकारी दर्जा बरकरार रखने सम्बन्धी माँगपत्र देंगे। माननीय प्रषासक को तथा 31 जनवरी को बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति के आहवान पर फिर होगा विषाल प्रर्दषन तथा फिर भी विभाग को निजी कम्पनी को हैन्ड ओवर किया तो कोई भी कर्मचारी निजी कम्पनी के अधीन भेदभाव पूर्ण तरीके से भेजे जाने के विरोध में काम नहीं करेगा। इस बात का ऐलान आज सभी कार्यालयों में की गई रोष रैलियों में पुनः दोहराया गया तथा प्रषासन को चेतावनी दी कि प्रषासन निजी कम्पनी के साथ मिलकर जितना मर्जी कर्मचारियों को तोड़ने की कोशिश करे वह अपने मंसूबे में सफल नहीं होगा। उसे कम्रचारियों का कोप सहन करना ही पडेगा।
अलग अलग कार्यालयों में की गई रोष रैलियों को सम्बोधित करते हुए यूनियन के पदाधिकारियों ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि प्रषासन कम्पनी के दबाव में बार-बार शर्ते व नियम क्यों बदल रहा है। प्रषासन ने विभाग की बोली प्रक्रिया से पहले अन्य राज्यों की तरह पहले स्टेट लोड डिस्पेच सैन्टर (एस एल डी सी) का गठन नोटिफिकेषन क्यों नहीं किया। एस एल डी सी में नाम लिखने से पहले आप्सन का अधिकार क्यों छीना गया। 35 से 40 सालों की सेवा पूरी कर चुके सीनियर कर्मचारियों को किस आधार पर छोड़ा गया।
रैलियों को सम्बोधित करते हुए यूनियन के प्रधान अमरीक सिंह, महासचिव गोपाल दत्त जोशी, उप प्रधान गुरमीत सिंह, सुखविन्दरसिंह, स्वर्ण सिंह, विनय प्रसाद, कश्मीर सिंह, पान सिंह, अमित ढिगरा,विरेंद्र सिंह, ललित सिंह,सतकार सिंह,हरजिन्दर सिंह,भूपिंदर सिंह, गगनदीप, जगतार सिंह, राम गोपाल, सुरिंदर सिंह ,रेशम सिंह, पूर्व प्रधान ध्यान सिंह,राम सरूप तथा फैडरेशन के प्रधान रघवीर चन्द, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजिन्दर कटोच आदि ने आरोप लगाया कि सीधा सरकारी विभाग का निजीकरण किस आधार पर किया गया तथा सरकारी डिस्ट्रीब्यूषन कम्पनी के अस्तित्व में आने से पहले ही उसके 100 प्रतिषत शेयर निजी कम्पनी को किस आधार पर बेच दिये गये। तथा अब किस आधार पर सरकारी कर्मचारीयों को निजी कम्पनी का नौकर बनाया जा रहा है?
प्रशासन ने केन्द्र सरकार के आदेशो के आधार पर स्टेट ट्रांसमिषन यूनिट (एस टी यू) क्यों नहीं बनाया जो पूरे तौर पर सारे देश में सरकारी कम्पनी ही है। जिसमें 220 के वी सब स्टेषन तथा 66 केवी के 15 सब स्टेषन व 33 केवी के 5 सब स्टेषन हैं। जिनके अंगेस्ट करीब 200 कर्मचारी अड़जैस्ट हो सकते हैं लेकिन प्रषासन के अधिकारियों ने किस आधार व नियमों के तहत उपरोक्त ट्रांसमिषन के असैट निजी वितरण कम्पनी को देने का फेसला किया। वक्ताओं ने कहा कि कहा कि प्रषासन कर्मचारियों के साथ भेदभाव व सौतेला व्यवहार कर उनके सरकारी दर्जे को किस आधार पर छीन रहा है। उन्होंने प्रशासक महोदय को विनती की है कि प्रषासक के गल्त व्यवहार व दोहरे मापदंड पर रोक लगायें व उनसे पूछा जाये कि प्रतिनियुक्ति पर आये अधिकारियों को किन नियमों के तहत एस एल डी सी में अडजैस्ट किया जा रहा है व एस टी यू में प्रावधान होने के बावजूद नौर्म के मुताबिक कर्मचारियों को क्यों नहीं अडजैस्ट किया जा रहा है तथा प्रषासक महोदय को अपील की कि अधिकारियों की तर्ज पर कर्मचारियों को भी प्रशासन के अन्य विभागों, एस एल डी सी, एस टी यू में अडजैस्ट कर प्रषासन द्वारा किय जा रहा भेदभाव खत्म करें तथा कर्मियों को प्रषासन से नगर निगम में भेजे कर्मियों की तर्ज पर तथा सरकारी प्रेस कम्रियों की तर्ज पर अडजैस्ट करें व उनकी मर्जी/आप्सन के बगैर इम्पलायर न बदला जाये। यह जानकारी जारी एक विज्ञप्ति में महासचिव गोपाल दत्त जोशी ने दी।
कितनी बार नियमों की उल्लंघना करेगा प्रशासन, यूनियन ने करी जांच की मांग
