भक्ति में बिताया हर पल सुकून वाला होता है: सुदीक्षा महाराज

भक्ति में बिताया हर पल सुकून वाला होता है: सुदीक्षा महाराज
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चण्डीगढ /यमुनानगर । ‘प्रदूषण मन के भीतर हो या बाहर दोनों ही हानिकारक है’ -यह उद्गार निरंकारी सत्गुरू माता सुदीक्षा महाराज ने बीते दिन सोमवार को यमुनानगर में आयोजित निरंकारी संत समागम के दौरान फरामये। संत समागम में हरियाणा सहित पंजाब, चंडीगढ़ व हिमाचल से हजारों की संख्या में श्रद्वालुओं ने पहुंचकर सत्गुरू का आर्शीवाद प्राप्त किया।
सत्गुरू माता ने कहा कि ब्रहाज्ञान की प्राप्ति के बाद मन की स्थिति स्थिरता व सुकून भरी होती है और भक्त सदैव प्रमात्मा की हर रज़ा में ही खुशी व सुकून महसूस करते हैःचाहे वे चार पहिया वाहन पर हो या दो पहिया वाहन पर उनका मकसद केवल यात्रा करने का साधन या सुविधा तक ही सीमित होता है। उन्होंने समझााया कि संसारिक साधनों का उपभोग करते हुए प्रभु परमात्मा को हर पल हर क्षण जीवन में एहसास करते हुए जीवन जीकर हम आध्यात्मिक व सामाजिक जीवन में एकरसता ला सकते हैं।
सत्गुरू माता ने कहा कि व्यवहार में गुस्सा या कटुता में कैसे संतुलन बनाकर मधुरता लानी है ‘परमात्मा का बोध हमें सही चुनाव व चयन करना सिखाता है। उन्होंने सभी से प्राकृति को साफ सुंदर, स्वच्छ व निर्मल बनाने का भी आग्रह करते हुए कहा कि जब जन्म के समय हमें सुंदर स्वरूप में प्र्राकृति मिलती हे तो इसे सुंदर छोड़कर जाने का समाजिक दायित्व भी हम सबको निभाना है।
इससे पूर्व निरंकारी राजपिता रमित ने अपने विचारों में सबसे पहले सभी श्रद्वालुओं को दो सप्ताह बाद समालखा स्थित निरंकारी अध्यात्मिक स्थल पर आयोजित होने वाले 77वें निरंकारी वार्षिक संत समागम की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक संत श्रद्वालु यंही कामना करता है कि जिस प्रकार उनके जीवन में ब्रहमज्ञान द्वारा रोशनी आने से अंधेरी राहें मिट गयी हे, उसी प्रकार सारी मानव जाति ब्रहमज्ञान की प्राप्ति कर, अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर हो जाए। जब हम अंधकार से प्रकाश की ओर जाते हैं तो हमारे जीवन में आने वाली ठोकरें मिट जाती हैं। इसी प्रकार ब्रहमज्ञान की प्राप्ति के बाद मानव की मनोस्थिति में परिवर्तन हो जाता है तथा वो सबके भले की कामना करता है। उन्होने कहा कि सत्य, प्रेम, मानवता ही सर्वोच्च धर्म है।
शाहबाद के जोनल इंचार्ज सुरेन्द्र पाल सिंह ने सत्गुरू माता सुदीक्षा महाराज और निंरकारी राजपिता रमित का हृदय से आभार प्रकट करते हुए आशीष ली। उन्होंने दूर स्थानों से आए श्रद्वालु भक्तों का, यमुनानगर प्रशासन, पुलिस प्रशासन व अन्य सभी विभागों का सहयोग देने के लिए आभार व शुक्राना किया। उन्होंने समझााया कि संसारिक साधनों का उपभोग करते हुए प्रभु परमात्मा को हर पल हर क्षण जीवन में मानते हुए जीवन जीकर हम आध्यात्मिक व सामाजिक जीवन में एकरसता ला सकते हैं।

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