संतुलित जीवन शैली के लिए आयुर्वेदिक प्रथाओं को अपनाना जरूरी: स्वामी ज्ञानानंद

संतुलित जीवन शैली के लिए आयुर्वेदिक प्रथाओं को अपनाना जरूरी: स्वामी ज्ञानानंद
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चंडीगढ़। पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री की क्षेत्रीय मीडिया, खेल और मनोरंजन समिति ने पीएचडी हाउस, सेक्टर 31-ए, चंडीगढ़ में जीना सीखो:आयुर्वेद के साथ स्वस्थ और तंदुरुस्त रहें विषय पर एक सत्र का आयोजन किया।
सत्र का प्राथमिक उद्देश्य आयुर्वेद और मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवा के बीच एकीकरण को बढ़ावा देकर स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाना था।
पीएचडीसीसीआई के वरिष्ठ सदस्य रूपेश के. सिंह ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए स्वास्थ्य, रोकथाम और समग्र उपचार के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सत्र में आयुर्वेद के पुनर्योजी, निवारक और स्वास्थ्य-केंद्रित स्वास्थ्य सेवा मॉडल पर गहन चर्चा की जाएगी।
मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी ने रोग के रूप में निदान विषय पर प्रस्तुति देते हुए रक्तचाप और क्रोनिक किडनी रोग जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दों पर चर्चा करते हुए उन्हें दूर करने की रणनीतियों के बारे में भी बताया।
जीना सिखो लाइफकेयर लिमिटेड के संस्थापक आचार्य मनीष ने दैनिक जीवन में आयुर्वेदिक प्रथाओं को एकीकृत करने के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर दिया, जिसमें स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार प्रदर्शित हुए और स्वास्थ्य के आधार के रूप में शुद्ध और पौष्टिक भोजन का सेवन करने की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि पधारे गीता मनीषी संत ज्ञानानंद जी महाराज ने अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने और संतुलित जीवन शैली जीने के लिए आयुर्वेदिक प्रथाओं और सिद्धांतों को अपनाने के महत्व पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने तनाव को कम करने, मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और आंतरिक शांति को बढ़ावा देने में ध्यान की महत्वपूर्ण भूमिका पर विस्तार से बताया। उन्होंने स्वस्थ मन और स्वस्थ शरीर के बीच अविभाज्य संबंध पर भी प्रकाश डाला।
धन्यवाद प्रस्ताव पेश करते हुए पीएचडीसीसीआई की क्षेत्रीय निदेशक भारती सूद ने कहा कि इस सत्र में साझा किए गए गहन ज्ञान ने प्रतिभागियों की आयुर्वेद की समझ को काफी बढ़ाया है। इस अवसर पर पीएचडीसीसीआई के वरिष्ठ सदस्य सुप्रीत सिंह, अमित मदान, निश्चय बहल और पर्व अरोड़ा भी उपस्थित थे।

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