चंडीगढ़, 6 जुलाई। कोविड महामारी के दौरान स्कूली छात्रों और शिक्षण अधिगम पद्यतियों पर गहरा प्रभाव पड़ा हैI छात्र-छात्राओं में बढ़ती शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक परेशानी को समझते हुए शिक्षा मंत्रालय एवं साक्षरता विभाग ने पहल करते हुए गत वर्ष ‘मनोदर्पण’’ कार्यक्रम शुरू किया था। इसके अंतर्गत जहाँ एक और पीएम ईविद्या चैनल पर देश भर से शिक्षकों का पैनल गठित करते हुए छात्रों को सहयोग नामक कार्यक्रम द्वारा रचनात्मक ढंग से ऑनलाइन शिक्षा प्रदान की जा रही है वहीं दूसरी और छात्रों को भावनात्मक, मनोसामाजिक और मानसिक तनाव पर नियंत्रण पाने के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन और सहयोग कार्यक्रम की एक विस्तृत श्रृंखला के द्वारा महत्त्वपूर्ण और सार्थक सुझाव दिए जा रहे हैं।
केंद्रीय विद्यालय संगठन से मनोदर्पण पैनल के वरिष्ठ परामर्शदाता राजेश वशिष्ठ केविएसगुरु ने बताया कि एनसीईआरटी के मंच से चलाए जा रहे मनोदर्पण अभियान को आत्मनिर्भर भारत के तहत शामिल किया गया है जिसके सुखद परिणाम देखने को मिल रहे हैं। विद्यार्थियों में रचनात्मकता के विकास के साथ साथ उनका मनोबल भी बढ़ रहा है और वह वर्तमान चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करते हुए भविष्य की नई सृजनात्मकता राहें तलाश रहे हैं जिसके फलस्वरूप शिक्षा के क्षेत्र में सामंजस्यपूर्ण उत्पादकता बढ़ेगी तथा छात्र आत्मनिर्भर बनेंगे। मनोदर्पण कार्यक्रम पर प्रसारित आदर्श शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को छात्रों, अभिभावकों तथा शिक्षकों ने बखूबी अपना लिया है।
वशिष्ठ ने बताया कि एनसीईआरटी के चैनल के माध्यम से विषय विशेषज्ञ चरणबद्ध तरीके से छात्रों को मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं और विशेषतः समावेशी शिक्षा के प्रारूप को समाज सहज रूप से अपना रहा है I उन्होंने बताया कि मनोदर्पण कार्यक्रम की विशेषता है कि इसका ढाँचा अभिभावकों द्वारा जताई गई चिंताओं, विशेषज्ञ शिक्षकों और परामशदाताओं के सुझावों पर आधारित है।
जहाँ कोविड की पहली लहर के दौरान अभिभावक और छात्र भ्रम, भय और उहापोह की स्थिति में थे वहीं आज मनोदर्पण कार्यक्रम पर संचालित कक्षाओं के सजीव प्रसारण से आशावान बने हैं तथा ऑनलाइन शैक्षिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों में बढ़चढ़ कर सकारात्मक प्रतिभागिता दर्शा रहे हैं। विद्यालयों से ड्रॉपआउट घटा है, छात्रों का स्क्रीनटाइम पर नियंत्रण हुआ है और गुणवत्तापूर्ण वीडियों, ऑडियो संसाधनों का विकास हुआ है। मनोदर्पण अभियान के तहत जीवन कौशल को पाठ्यक्रम तथा जीवन से जोड़ा जा रहा है ताकि महामारी के पश्चात भी परिकल्पित संसाधनों पर आधारित परामर्श से छात्र भावनात्मक, मनोसामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर कर सकेंगे।