चंडीगढ़, 4 जुलाई। डिजिटल व मोबाईल फोटोग्राफी ने इसका दायरा काफी बढ़ा दिया है। दूसरी तरफ आर्ट फोटोग्राफी ने इसे फाइन आर्ट की श्रेणी में पहुंचा दिया है जिसको आगे बढ़ाने में देश में कई संस्थाएं व छायाकार बरसों से सक्रिय हैं। चंडीगढ़ क्षेत्र में ट्राईसिटी फोटो आर्ट सोसाइटी (तपस) पिछले कई वर्षों से इस कला को प्रोत्साहित करने में काफी सक्रिय है। इस प्रयास को जारी रखते हुए तपस द्वारा रविवार को वाइल्ड फोटोग्राफी पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें बेंगलुरु के ख्याति प्राप्त फोटोग्राफर एस.सतीश आमन्त्रित थे। वेबिनार का मुख्य बिषय वाइल्ड लाइफ, एनिमल्स, बर्ड्स मैक्रो फोटोग्राफी पर केन्द्रीत था।
जारी एक विज्ञप्ति में तपस के प्रेस सचिव हेमंत चौहान ने बताया कि सतीश ने 12 वर्ष की उम्र से फोटोग्राफी शुरू की थी। विभिन्न डिसडींक्शनज़ व फैलोशिप के अतिरिक्त, फोटोग्राफी में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के 975 अवार्ड प्राप्त कर चुके हैं। अंतराष्ट्रीय स्तर की एफिआप व ईफिआप उपाधियां प्राप्त करने वाले देश के वे पहले फोटोग्राफर बने।
सतीश ने बताया कि वह पक्षियों की तस्वीर लेते समय उनके इमोशंस व एक्शन पर ज्यादा ध्यान देते हैं। वैसे भी अच्छी तस्वीरें लेने के लिए ट्राइपॉड का इस्तेमाल करना जरूरी है। इसके अलावा वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी मैं एंगल व लाईटिंग पर ध्यान रखा जाता है। इस फोटोग्राफी में कौन से लेंस यूज़ किए जाएं यह भी ध्यान देने योग्य है। वर्ड्स फोटोग्राफी के लिए 600 एमएम का लेंस सही रहता है जबकी एनिमल फोटोग्राफी के लिए 80 से 400 एमएम का लेंज़ प्रयोग होता है।
इस मौके पर क्षेत्र के वरिष्ठ फोटोग्राफर व संस्था के सलाहकार दीप भाटिया तथा तपस के अध्यक्ष विनोद चौहन ने भी अपने विचार सांझे किए जबकि वोट ऑफ थैंक्स हेमंत चौहान ने किया। तपस के सदस्यों के अलावा कुछ राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर के फोटो-प्रेमी भी इस वेबीनार में शामिल हुए।