चण्डीगढ़, 3 जुलाई। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा कि संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियों (आरसीटी) पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है, क्योंकि मौजूदा समय में इन तकनीकों की बहुत अधिक जरूरत है। ये खेती की लागत को कम करने, मिट्टी के कार्बन निर्माण में सुधार, पानी के बहाव को कम करने और मिट्टी के कटाव रोकने आदि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
उन्होंने आज ऑनलाइन माध्यम से एचएयू में कृषि विज्ञान केंद्रों की वर्चुअल जोनल वार्षिक समीक्षा बैठक के शुभारंभ अवसर पर विचार रखे।
काम्बोज ने कहा कि किसानों को जीरो टिलेज, लेजर लेवलिंग, बेड प्लांटिंग, ड्रिप और स्प्रिंग इरीगेशन जैसी तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इसके अलावा लेजर लैंड लेवलर, मल्टी क्रॉप प्लांटर्स, स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, टर्बो सीडर, रीपर, स्ट्रॉ स्प्रेडर अटैचमेंट, बाइंडर, हैप्पी सीडर आदि को बढ़ावा देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए एकीकृत खरपतवार प्रबंधन और कृषि अभियांत्रिकी उपायों के साथ-साथ शाकनाशियों का आवश्यकता आधारित उपयोग और एकीकृत रोग प्रबंधन की आवश्यकता है। भविष्य में भी वे विश्वविद्यालय द्वारा विकसित तकनीकों एवं विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों की जानकारी किसानों तक ज्यादा से ज्यादा पहुंचाएं ताकि किसानों का भला हो सके और विश्वविद्यालय अपने किसान हितैषी लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ता रहे । इसके लिए प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, बागवानी विभाग, पशुपालन विभाग, मछली पालन विभाग, कृभको, इफको आदि के साथ आपसी तालमेल करने पर जोर दिया। बैठक में अटारी जोधपुर, जोन-2 के तहत आने वाले हरियाणा, राजस्थान व दिल्ली के कृषि विज्ञान केंद्रों के मुख्य वैज्ञानिक शामिल हुए।