क्रोनिक एवं गंभीर बीमारियों में आयुर्वेद की प्रभावशीलता हुई साबित: आयुर्वेद विशेषज्ञ गुरु मनीष

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चंडीगढ़, 1 जुलाई। राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर आयुर्वेद विशेषज्ञ गुरु मनीष ने यहां प्रेस क्लब में 6 केस स्टडी प्रस्तुत करते हुए क्रोनिक और गंभीर बीमारियों से पीड़ित रोगियों में आयुर्वेद उपचार की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में, गुरु मनीष के साथ डॉ चंदन के. कौशल (सेवानिवृत्त जिला आयुर्वेद एवं यूनानी ड्रग ऑफिसर); डॉ अक्षय कौशल (एमबीबीएस); डॉ सुयश पी. सिंह (बीएएमएस, डीएनवाईटी, पीजीडीआईपी) और डॉ अवीरा गौतम (बीएएमएस, एमडी) मौजूद थे। इस मौके पर मरीज और उनके परिजन भी मौजूद थे।
पुरानी और गंभीर बीमारियों में आयुर्वेद के महत्व को रेखांकित करते हुए, गुरु मनीष, जो शुद्धि आयुर्वेद के संस्थापक हैं, ने कहा, “आयुर्वेद, एक भारतीय जड़ी-बूटी आधारित चिकित्सा प्रणाली होने के साथ साथ दुनिया में सबसे पुरानी पद्धति भी है, जिसमें कई पुरानी से पुरानी बीमारियों को ठीक करने की शक्ति है। जो कि किडनी फेलियर, लिवर की बीमारी, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, अस्थमा के अलावा कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में भी प्रभावी साबित हुई हैं।
मीडिया के साथ बातचीत करते हुए, गुरु मनीष ने एक 74 वर्षीय महिला रोगी प्रकाश का विवरण साझा किया, जो कि ‘कोमा जैसी स्थिति’ से गुजर रही थीं और जिन्हे एलोपैथी आधारित अस्पताल ने उन्हें जीने के लिए कुछ ही समय दिया था। उसके बाद परिवार ने प्रकाश को चंडीगढ़ के पास डेरा बस्सी के शुद्धि पंचकर्म अस्पताल में भर्ती कराया। रोगी जो कि लम्बर लॉर्डोसिस, लेफ्ट साइड लम्बर स्कोलियोसिस, ऑस्टियोफाइट्स और डिस्क उभार से पीड़ित थी, उसे जड़ी-बूटी आधारित दवाओं के उपचार और थेरेपी से गुजरना पड़ा जिसके 5 दिन बाद ही वह फिर से चलने लगी।
प्रकाश के पुत्र ने कहा कि “हमने अपनी मां के लिए सारी उम्मीदें छोड़ दी थी, फिर आयुर्वेद हमारे बचाव में आया। जिसके लिए मैं शुद्धि पंचकर्म अस्पताल एवं गुरु मनीष जी और सभी डॉक्टरों को धन्यवाद देना चाहता हूं।
एक 26 वर्षीय रोगी, माणिक के अन्य केस स्टडी को साझा करते हुए, गुरु मनीष ने कहा, “मरीज को सी के डी (क्रोनिक किडनी डिजीज), सर्वाइकल और साइनस था और एलोपैथिक चिकित्सकों द्वारा उसे किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए कहा गया था। मरीज को 5 मई, 2021 को शुद्धि केंद्र में भर्ती कराया गया था और 24 दिनों के उपचार के बाद, उनकी किडनी को फिर से जीवंत कर दिया गया था।”
माणिक ने कहा, “मुझे जीवन का एक नया अध्याय मिला है और स्वास्थ्य के मुद्दों को लेकर में लोगों को आयुर्वेद के तहत आश्रय लेने के लिए प्रेरित करता रहूँगा, क्योंकि मैं  इस बहुल प्रभावी चिकित्सा प्रणाली के कारण ठीक हो गया हूं ।”
डॉ अवीरा गौतम (बीएएमएस, एमडी) ने आगे कहा, “आज हमने एक महिला सुश्री हरजीत कौर का भी मामला पेश किया जिनका ऑपरेशन एलोपैथी में किया गया और जिनकी थायरॉयड ग्रंथि को हटा दिया गया था  क्योंकि उसमे   कैंसर था, ऑपरेशन के बाद उन्होंने अपनी आवाज खो दी और हल्के डिफ्फयुज्ड सेरेब्रल एट्रोफी  के कारण वह चलने और बोलने में सक्षम नहीं थी लेकिन आयुर्वेद इलाज़ के बाद अब वो सहारे के साथ चल रही है और उन्होंने बोलना भी शुरू कर दिया है।”
आयुर्वेदिक उपचार के बाद ठीक होने वाले गंभीर बीमारियों के रोगियों के तीन (3)अन्य मामले  भी प्रस्तुत किए गए। इसके अलावा, रोगियों के आयुर्वेदिक उपचार से पहले और बाद की जर्नी के वीडियो का पूर्वावलोकन भी किया गया।    
डॉ सुयश पी. सिंह (बीएएमएस) ने कहा, “हम अनुचित आहार और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली के कारण शरीर से अवांछित अवशेषों को बाहर निकालकर रोगियों में असंतुलन को सामान्य करते है। हमने मरीजों को रोगसूचक उपचार नहीं बल्कि समग्र उपचार दिया है, जिसमे जड़ी-बूटियों की दवाओं और उपचारों के साथ-साथ, हमने रोगियों को उचित स्वस्थ आहार का पालन करने के लिए भी प्रोत्साहित किया।”
डॉ. चंदन के. कौशल (सेवानिवृत्त जिला आयुर्वेद एवं यूनानी ड्रग ऑफिसर),  ने कहा  “आधुनिक चिकित्सा की तुलना में आयुर्वेद उपचार के साथ कोई जटिलताएं नहीं हैं क्योंकि इसका फोकस बीमारी की जड़ों पर है, इसलिए यह किसी भी अन्य दवा प्रोटोकॉल की तुलना में अधिक प्रभावी और अधिक सुरक्षित है।”
इस अवसर पर, गुरु मनीष ने आयुर्वेद और अन्य डॉक्टरों को भी कोविड -19 महामारी के खिलाफ युद्ध में उनके अपार योगदान और बलिदान के लिए सम्मानित किया। यहां यह भी उल्लेख करना अनिवार्य है कि शुद्धि आयुर्वेद ने डेराबस्सी में अपने अस्पताल परिसर में कोविड केयर सेंटर स्थापित किया है, जहा पहले से ही सैकड़ों कोविड 19 रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है।
डॉ अक्षय कौशल (एमबीबीएस) ने संक्षेप में कहा, “बेहतर रोग प्रबंधन एवं उपचार के लिए एक एकीकृत दवा प्रणाली की तत्काल आवश्यकता है। जिसमे विभिन्न रोगों से लड़ने के लिए एलोपैथी और आयुर्वेद जैसी चिकित्सा की अन्य प्रणालियों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

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