बहुजन आरक्षण के जनक छत्रपति शाहूजी महाराज के जन्म दिवस पर एसोसिएशन ने दी बधाई

बहुजन आरक्षण के जनक छत्रपति शाहूजी महाराज के जन्म दिवस  पर एसोसिएशन ने दी बधाई
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चंडीगढ़, 26 जून। बिरसा फूले अंबेडकर कर्मचारी एसोसिएशन, चंडीगढ़ की एक मीटिंग शनिवार 26 जून 2021 को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की गई। बिरसा फूले अंबेडकर कर्मचारी एसोसिएशन, चंडीगढ़ के साथियों द्वारा बहुजन आरक्षण के जनक छत्रपति शाहूजी महाराज के जन्म दिवस पर चंडीगढ़ प्रदेश के शहर वासियों और देश वासियों को बधाई संदेश भेजे गए।
बिरसा फूले अंबेडकर कर्मचारी एसोसिएशन, चंडीगढ़ के चेयरमैन ने जारी एक बयान में बताया कि एसोसिएशन के मेंबर्स द्वारा उनकी जीवनी को लेकर चर्चा हुई। राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज का जन्म 26 जून 1874 में हुआ था। छत्रपति शाहू महाराज की शिक्षा राजकोट के राजकुमार विद्यालय में हुई थी। शाहू ने 1894 में कोल्हापुर की सत्ता संभाली तब उन्होंने पाया कि उनके प्रशासन पर ब्राह्मणों का एकाधिकार है। उन्हें यह अनुभव हुआ कि ब्राह्मणों का यह एकाधिकार ब्रिटिश राज से भी ज्यादा खतरनाक है। इसलिए उन्होंने अपने शासन के दौरान शूद्र/अतिशूद्र जातियों के हितों में अनेक सामाजिक, प्रशासनिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक कदम उठाए। जिनमें 26 जुलाई, 1902 को 50% आरक्षण दिया, शिक्षा पर विशेष ध्यान देकर बहुत सारे छात्रावास और विद्यालय बनवाया एवं छत्रवृति का प्रावधान किया। मुस्लिम शिक्षा समिति का गठन किया। छत्रपति शाहू जी समाज ने सामाजिक समानता स्थापित करने के लिए अनेकों कदम उठाए। उन्होंने ब्राह्मणों को विशेष दर्जा देने से इनकार कर दिया। ब्राह्मणों को रॉयल धार्मिक सलाहकारों के पद से हटा दिया। एक अतिशूद्र (अछूत) गंगाराम काम्बले की चाय की दुकान खुलवाया, अंतर जाति विवाह को वैध बनाया। महिला शिक्षा पर विशेष ध्यान देते हुए देवदासी प्रथा पर कानून प्रतिबंध लगाया, विधवा पुनर्विवाहों को वैध बनाया एवं बाल विवाह रोकने के प्रयास किए। शाहूजी महाराज के कार्यों का आंकलन करें तो उन्होंने महात्मा ज्योतिबा फुले के उत्तराधिकारी के रूप में उनके अधूरे कार्यों को आगे बढ़ाते हुए उनके द्वारा गठित सत्य शोधक समाज का संरक्षण किया। डॉ अम्बेडकर और शाहूजी महाराज- दोनों महापुरुषों का सम्बंध बड़ा आत्मीय था। बाबा साहब अम्बेडकर बड़ौदा महाराज की छात्रवृति पर विदेश पढ़ने गए थे लेकिन बीच मे ही छात्रवृति खत्म हो जाने के कारण उन्हें वापस भारत लौटना पड़ा। इसकी जानकारी जब साहू जी महाराज को हुई तो भीम राव का पता लगाकर महाराज स्वयं मुंबई की चाल में उनसे मिलने पहुंच गए और आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए बाबा साहब को आर्थिक सहयोग दिया। शाहूजी महाराज एक राजा होते हुए भी एक अछूत छात्र (बाबा साहब) को उसकी बस्ती में जाकर मिलते हैं, इससे पता चलता है कि शाहूजी महाराज कितने अदभुत इंसान रहे होंगे। इस प्रषंग की अनुभूति जब बहुजन मिशन के अनुयायी करते हैं तो उनके मन में साहू जी महाराज के प्रति असीम श्रद्धा और सम्मान उमड़ आता है। इतना ही नही उन्होंने बाबा साहब को पिछड़े और वंचित समाज का नायक घोषित करते हुए एक तरह से फुले/शाहू मिशन का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। बाबा साहब अम्बेडकर का भी शाहू महाराज के प्रति कम सम्मान नही था उन्होंने अपने अनुयायियों को स्पष्ट सन्देश दिया है कि, “एक बार मुझे भुला दोगे चल जाएगा लेकिन वंचितों के लिए सदैव तैयार रहने वाले सच्चे राजा छत्रपति शाहू महाराज को कभी मत भूलना, आप उनकी जयंती त्योंहार उत्सव की तरह मनाना।” इस चर्चा में बिरसा फूले अंबेडकर कर्मचारी एसोसिएशन, चंडीगढ़ के चेयरमैन जसबीर सिंह, वाइस चेयरमैन शमशेर सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष शशि भूषण, उपाध्यक्ष नरिंदर सिंह और कई बहुजन समाज से संबंध रखने वाले पदाधिकारियों रामेश्वर दास, बलविंदर सिंह सिपरे और पवन कुमार चौहान ने भाग लिया ।

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