चंडीगढ़, 7 दिसंबर। इस बार कलाग्राम के मेले में रोजाना आ रही रिकार्डतोड़ भीड़ से शिल्प मेले में जहां एक ओर रोजाना हाउसफुल रहता है दूसरी ओर फूड व हस्तकला के स्टॉल भी लोगों से भरे होने पर सभी कलाकारों के चेहरे खिले रह रहे हैं।
मेले में हर रोज हजारों लोग पहुंचकर कार्यक्रमों का आनंद उठा रहे हैं। यहां बड़ों के साथ-साथ बच्चों के मनोरंजन का भी भरपूर ध्यान रखा गया है। इसके अलावा विभिन्न गतिविधियों जैसे क्विज, पेंटिंग एवं फोटोग्राफी कंपीटिशन द्वारा मेले में आने वाले लोगों के छिपे हुए हुनर को भी निखारा जा रहा है। मेले में वीरवार को मध्य प्रदेश के कलाकारों की ओर से राई लोक नृत्य की प्रस्तुति के साथ दिन का आगाज किया गया। इसके बाद दादरा एवं नगर हवेली के कलाकारों की ओर से मच्छी, हरियाणा के कलाकारों द्वारा फाग, जम्मू-कश्मीर के कलाकारों की ओर से धमाली, मिजोरम कलाकारों की ओर से चिरो, मेघालय कलाकारों की ओर से वांगला, असम कलाकारों द्वारा बीहू और तमिल नाडु कलाकारों के द्वारा करगम कावड़ी की प्रस्तुति दी गई।
इसके साथ ही शाम के सत्र में लद्दाख के कलाकारों की ओर से लोक नृत्य बाल्टी, जम्मू-कश्मीर की ओर से डोगरी, वेस्ट बंगाल के कलाकारों द्वारा राईबेंस , उत्तराखंड के कलाकारों द्वारा घसियारी, पंजाब के कलाकारों की ओर से लुड्डी, उत्तर प्रदेश की ओर से मयूर और मणिपुर की ओर से लाई हरोबा एवं थांगटा की प्रस्तुति हुई। इस दौरान भारतीय संस्कृति के विषय पर क्विज प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। इस दौरान राजस्थान के कलाकारों द्वारा कच्छी गोरी, बहरुपिया, कठपुतली/ पपेट शो भी हुआ। वहीं पंजाब की ओर से बाजीगर, नचर और हरियाणा के कलाकारों की ओर से नगाड़ा और बीन जोगी की प्रस्तुति हुई।
उत्तराखंड की मशहूर लोक गायिका माया उपाध्याय के गीतों पर खूब झूमे चंडीगढ़वासी
4 साल की उम्र से अपने सुरों से जादू कर रहीं माया उपाध्याय ने चंडीगढ़वासियों को निहाल किया। कुमाऊंनी इंडस्ट्री की फेवरेट सिंगर माया उपाध्याय ने कलाग्राम में चाहा को होटल, खोलूल हिट्टी टनकपुर…, क्रीम पोडरा, घसनी किले ने…, लाली हो लाली हसिया, पधानी लाली तीले चारू बोला…, जैसे कई कुमाऊंनी और गढ़वाली गीतों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। माया उपाध्याय ने बताया कि उत्तराखंड के सभी युवाओं को अपनी बोली नहीं भूलनी चाहिए। वह गानों के जरिए उत्तराखंड की संस्कृति, यहां की परंपरा और यहां की भाषा को संरक्षित करके रखना चाहती हैं। वह चाहती हैं कि जिस तरह पहाड़ के लोग अन्य राज्यों और देशों की बोली सुनना पसंद करते हैं। उसी तरह वह यहां के लोक संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी रूप से सर्वश्रेष्ठ बनाकर पहचान दिलाना चाहती हैं।
आज (शुक्रवार) को ये कार्यक्रम बनाएंगे मेले को और खास:
शुक्रवार को मेले में सुबह के सत्र में पहली प्रस्तुति लद्दाख के लोकनृत्य बाल्टी से होगी। इसके बाद जम्मू-कश्मीर के कलाकारों की ओर से डोगरी, वेस्ट बंगाल के कलाकारों द्वारा राई बेंस, तमिलनाडु के कलाकारों की ओर से थप्पट्टम, जम्मू-कश्मीर की ओर से गीतरु, उत्तराखंड के कलाकारों की ओर से छपेली, त्रिपुरा का लोक नृत्य होजागिरी, मणिपुर का लाई हरोबा और थांगटा की प्रस्तुति दी जाएगी। इसके बाद शाम 4 बजे के सत्र में हरियाणा के कलाकारों की ओर से रागनी, दादरा एवं नगर हवेली के कलाकारों की ओर से मच्छी, जम्मू-कश्मीर के कलाकारों द्वारा धमाली, हरियाणा के कलाकारों की ओर से घूमर, हिमाचल प्रदेश के कलाकारों की ओर से सिरमौरी नाटी, मिजोरम का लोक नृत्य चिरो, मेघालय का लोक नृत्य वांगला, उत्तर प्रदेश का लोक नृत्य मयूर और पंजाब का लोकनृत्य भांगड़ा की प्रस्तुति होगी। वहीं शाम को म्यूजिकल नाइट में मशहूर पंजाबी गायक जोबन संधू की खास प्रस्तुति होगी।