चण्डीगढ़, 18 जून। नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलैक्ट्रीसिटी इम्पलाईज एण्ड इंजीनियर की चण्डीगढ़ शाखा ने बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया से जुडे टेन्डरिंग व बिडिग के केस केन्द्र सरकार की सहमति से पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन द्वारा नियुक्त किये गये ट्राजेक्षन एडवाईजर (डीयोलटी) कम्पनी को पूरी प्रक्रिया से तुरन्त बाहर करने की मांग की है क्योंकि सरकार द्वारा नियुक्त यह कम्पनी पूरी तौर पर नियमों का उल्लघन कर अपने व कुछ बोलीदाताओं (बीडरस) के हितों की पूर्ति कर रही है। एक तरफ तो यह कम्पनी सरकारी दस्तावेजों को डील कर रही है तथा अनेक अनियमितता में शामिल है तथा बिडिंग से सम्बन्धित सभी दस्तावेजों के मालिक बने हुए है। दूसरी तरफ बोलीदाता की भी चार्टर अकाऊंटैंट है जो सीधे तौर पर हितों का टकराव है। इस सम्बन्ध में अखिल भारतीय बिजली अभियन्ता महासंघ ने केन्द्रीय बिजली सचिव को एक पत्र लिखकर कई सबूत पेश किये हैं। जिस पत्र की कापी बिजली मंत्री, चण्डीगढ़ के प्रशासक, प्रशासक के सलाहकार पावर फाइनैंस कारपोरेषन के सीएमडी व केन्द्रीय गृहसचिव को भी भेजी गई है। जिसमें बहुत ही गम्भीर सवाल उठाये है तथा इस समूचे प्रकरण से डिलोयटी तोहमत्यु कम्पनी को पूरी तरह बाहर कर इसकी सीबीसी जांच की मांग की गई है क्योंकि यह फ्राड व क्रप्ट प्रैविष्टस कर पब्लिक प्रोपर्टी कौडियों के भाव बेचने का गम्भीर मुद्दा है। इस बारे 7 जून 2021 को पीटीआई व अन्य राष्ट्रीय अखबारों में छपी खबर के बाद भी सरकार व प्रषासन द्वारा इसे गम्भीरता से न लेना दुखदाई व हितों के टकराव का मुद्दा है व शर्तो का उल्लघंन है। जिसकी उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है। नेषनल कोआर्डीनेषन कमेटी ऑफ इलैक्ट्रीसिटी इम्पलाईज व इन्जीरियरज (चण्डीगढ़ शाखा) ने जनहित में डिलोयटी तोहमत्सु कम्पनी से करार खत्म कर समूचे बिडिग प्रोसेस से अलग कर सरकारी रिकार्ड विभाग के हवाले करने की मांग की है। यह जानकारी चण्डीगढ़ यूनिट नसीसीओईईई के संयोजक गोपाल दत्त जोशी ने जारी एक विज्ञप्ति में दी।