ईश्वर का एहसास रखते हुए स्वयं को मानवीय गुणों से युक्त करें: सुदीक्षा महाराज

ईश्वर का एहसास रखते हुए स्वयं को मानवीय गुणों से युक्त करें: सुदीक्षा महाराज
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चंडीगढ़, 7 जून । ‘‘हर पल ईश्वर का एहसास रखते हुए अपने आपको मानवीय गुणों से युक्त करें’’ ये उद्गार निरंकारी सत्गुरू माता सुदीक्षा महाराज ने वर्चुअल निरंकारी सन्त समागम में विश्वभर से लाखों की संख्या में उपस्थित निरंकारी श्रद्धालु भक्त एवं प्रभु प्रेमी सज्जनों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
चंडीगढ़ ब्रांच के संजोयक नवनीत पाठक ने बताया कि वर्चुअल निरंकारी सन्त समागम का आंनद ट्राइसिटी की सैकड़ो की संख्या में संगतो ने वेब साइड पर जुड़कर लिया।
उन्होंने आगे बताया कि दक्षिण भारत के राज्यों के सभी जोनों द्वारा आयोजित वर्चुअल समागम में सत्गुरू माता जी ने फरमाया कि ‘‘आत्मविश्लेषण एवं आत्मपरीक्षण करते हुए स्वयं का सुधार करके मानवता के लिए हम एक वरदान बनें। यदि हम स्वयं को सुधारने पर केन्द्रित हो जायेंगे, तब हमें दूसरों की कमियों को देखने का समय ही नहीं मिलेगा। छोटी-छोटी बातों पर भी जब हम संवेदनशील हो जायेंगे तब हमारे मुख से ऐसी कोई बात नहीं निकलेगी जो किसी को चोट पहुंचाये। माता जी ने आगे कहा कि सन्तों, पीरों, वलियों ने युगों-युगों से जो मार्ग दर्शाया है, वही नेक और सच्चा है। हमने उसी मार्ग पर चलकर संतुलित जीवन जीना है। परिवार, समाज, देश एवं मानवता के प्रति जो हमारी भूमिका है उसे पूर्णतः निभाना है।
दक्षिण पूर्वी एशिया देशों के निरंकारी भक्तों द्वारा संयुक्त रूप में वर्चुअल समागम का आयोजन किया गया। सत्गुरू माता जी ने फरमाया कि जब निरंकार प्रभु के साथ नाता जोड़कर जीवन जिया जाता है, तभी जीवन सही अर्थों में सफल कहलाने योग्य बन जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस का उल्लेख करते हुए सत्गुरू माता जी ने कहा कि परमात्मा ने कुदरत की रचना बहुत ही खूबसूरती से की है। प्रकति की इस बाहरी सुंदरता को तो हमने निखारना ही है परन्तु साथ ही साथ हमने अपने मन का प्रदूषण भी दूर करना है।
सत्गुरू माता ने सिंगापूर, हांगकांग तथा पूरे विश्वभर से मिशन द्वारा वर्तमान की विष्म परस्थितियों में की जाने वाली सेवाओं का उल्लेख करते हुए कहा, कि सेवा का यह ज़ज्बा ऐसे ही बढ़ता चला जाए। यही शुभकामनाएं सभी संतों के लिए व्यक्त की कि सिर्फ आत्मकेन्द्रित न होकर दूसरों के जीवन में हमारे कारन थोड़ा सकून मिल जायें, उसी प्रयत्न में ही हमें जुटते चले जाना है। अंत में सत्गुरू माता जी ने यही कहा कि हम जहां स्थिरता की भी बात कर रहे हैं, वहां उस तरह मन की स्थिरता वैसी नहीं कि जैसे कोई स्टैच्यू हो। मन को नियंत्रित करते हुए हमें एक जीती जागती स्थिर अवस्था को धारण करना है।
संत निरंकारी मिशन की वेबसाईट द्वारा इस समागम का सीधा प्रसारण किया गया। उल्लेखनीय है कि विगत् 23 मई से सत्गुरू माता सुदीक्षा सप्ताह में तीन बार अपने पावन दर्शन एवं आशीर्वाद सत्संग के वर्चुअल माध्यम से प्रदान कर रहे हैं।

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