राष्ट्रीय पर्यावरण मुहिम स्थायी विकास के लिए शक्तिशाली स्त्रोत

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चंडीगढ़, 5 जून । पुष्पा गुजराल साइंस सिटी की ओर से संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण प्रोग्राम के सहयोग से पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड व पर्यावरण संचार केंद्र नई दिल्ली से मिल कर संयुक्त तौर पर शनिवार को पर्यावरण दिवस मनाया गया। इस मौके स्थायी विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए पर्यावरण संतुलन की बहाली के विषय पर एक विशेष विचार चर्चा करवाई गई। विचार चर्चा की प्रधानगी यूएनडीपी के क्षेत्रीय प्रभारी डा.विकास वर्मा ने की। इसमें संयुक्त राष्ट्र यूनिर्वसिटी सीआरआईएस, बैल्जियम से डा.निधि नागाभाटला व पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड पटियाला के मेंबर सचिव इंजी.कुरनेश गर्ग ने भी भाग लिया। इस विचार चर्चा का संचालन साइंस सिटी की डायरेक्टर जनरल डा.नीलिमा जेरथ ने किया।
इस मौके बच्चों व नौजवानों पर केंद्रित एसडीएएसके प्रोग्राम (विद्यार्थियों व नौजवानों के लिए स्थायी विकास रवैया मुहारत प्रोग्राम) की शुरुआत भी की गई। प्रोग्राम को यूएनडीपी के चल रहे शिक्षा के स्थायी विकास प्रोग्राम से जोड़ा जाएगा। विश्व पर्यावरण प्रोग्राम के तहत 2 से 5 जून तक ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी मुकाबला व पर्यावरण फिल्म मेला करवाया गया। आज के प्रोग्राम दौरान इको ग्रैंड इनकुबेटिंग यूथ आइडिया नाम की फिल्म िदखाई गई। यह फिल्म स्थायी विकास की प्राप्ति के लिए नौजवान वर्ग को नई-नई खोजें व तरीके अपनाने की ओर प्रेरित करती है। इस फिल्म में नौजवानों के लिए स्थायी विकास के मुद्दों को हल करने हेतू 10 तरीकों का प्रदर्शन किया गया। फिल्म के प्रोड्यूसर कुंजप्रीत अरोड़ा भी इस मौके उपस्थित थे। उन्होंने फिल्म की सभी घटनाओं व शूटिंग समय उनके साथ क्या कुछ हुआ इस बारे विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
इस मौके करवाई गई विचार चर्चा स्थायी विकास के लक्ष्यों, पर्यावरण संतुलन की बहाली, जंगलों की कटाई, धरती को मरुस्थल में तब्दील होने से रोकने के साथ-साथ जैविक विभिन्नता को बचाने पर केंद्रित रही।
डा.विकास वर्मा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थायी विकास (एसडीजी) के 17 लक्ष्यों की पहचान की गई है और राष्ट्रीय पर्यावरण मुहिम को समाज की खुशहाली व भविष्य में टिकाऊ विकास के लिए शक्तिशाली स्त्रोत के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है।
साइंस सिटी की डायरेक्टर जनरल डा.नीलिमा जेरथ ने कहा कि भारत की कुल भुगोलिक इलाके 25 प्रतिशत रकबा रेगिस्तान में तब्दील हो रहा है। जबकि 32 फीसदी इलाका मरुस्थल की समस्या से जूझ रहा है। जिसने यहां की उत्पादिकता को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया है। इस कारण ही देश में लाखों लोगों की उपजीविका व भोजन की सुरक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है।
संयुक्त राष्ट्र यूनिर्वसिटी सीआरआईएस बैल्जियम की डा. निधि नागाभाटला ने कहा कि पर्यावरण संतुलन हित में किए जा रहे अभ्यास से जहां आलमी तपिश को रोका जा सकता है, वहीं मिट्‌टी का रख रखाव करके खेती की उपज को अच्छा किया जा सकता है। इस मौके उन्होंने जलवायु परिवर्तन घटाने व अनुकूलतां प्रोग्रामों को अपनाने की जरुरत पर जोर दिया।
इंजी.कुरनेश गर्ग ने कहा कि फसलों की कटाई के बाद नाड़ को आग लगाने पर जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ हमारी सेहत व अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होती है। इस घटना को रोकने के लिए सरकार द्वारा ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
इस मौके महामारी को रोकने के लिए जैविक विभिन्नता की भूमिका छोटे लेखों की एक किताब रिलीज की गई। जोकि पहले जैविक विभिन्नता िदवस पर करवाए गए मुकाबलों का हिस्सा है। इस मुकाबले में पहला स्थान कैंब्रिज इंटरनेशनल स्कूल फॉर गर्ल्ज अर्बन अस्टेट फेस-2 जालंधर ने, दूसरा डीआरवी डीएवी स्कूल फिलौर की मनमीत कौर व तीसरा स्थान विशाखापटनम के नौसेनाबाग के केवी नं.2 के अनिक पांडा ने प्राप्त िकया।
पर्यावरण सप्ताह दौरान प्रदूषण व जैविक विभिन्नता की प्रजाितयों पर फिल्मों (मिस्टाइक दलदल व अमोर फाल्कन) को विद्यार्थियों व नौजवानों ने काफी बढ़ावा दिया। इन फिल्मों के प्रदर्शन दौरान पर्यावरण संचार केंद्र नई दिल्ली ी डा.अल्का तोमर द्वारा संचालन करते हुए फिल्मों बारे विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
साइंस सिटी के डायरेक्टर डा.राजेश ग्रोवर ने प्रोग्राम में भाग लेने वालों को सडाक प्रोग्राम में भाग लेने व विज्ञान बारे कुछ नया सीखने के लिए साइंस सिटी में आने का आह्वान किया।

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