बिना कार खरीदे भी बन सकते हैं कार के मालिक: हरजीत ढिल्लों

बिना कार खरीदे भी बन सकते हैं कार के मालिक: हरजीत ढिल्लों
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चंडीगढ़़, 2 जून। कोविड-19 ने हमारा सोचने का ढंग, काम करने के तरीके और कहीं आने-जाने के साधनों में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है। घर के द्वार पर कार खड़ी रहना कई दशकों तक स्टेटस सिंबल माना जाता रहा है। लेकिन कारों के नए नए मॉडल्स आने के बाद लोगों में इस मामले में क्रेज इतना बड़ा कि जमीन कम पड़ गई। हर गली, हर सड़क, हर पार्किंग प्लेस में क्षमता से अधिक गाड़ियां खड़ी दिखाई देती हैं। पार्किंग स्थल में भुगतान करने के बाद भी आप 15-20 मिनट तक गाड़ी पार्क करने के लिए खाली जगह की तलाश करते रहते हैं।
यह हम सबके लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसका समाधान किसी सरकार, किसी अधिकारी और किसी नेता के पास नहीं। किंतु निराश होने की जरूरत नहीं, इसका समाधान निकाला युवा उद्यमी हरजीत ढिल्लों ने और समाधान भी इतना सटीक और कारगर कि आप जानकर हैरान रह जाएंगे। जिसका सिर्फ लाभ ही लाभ है, नुकसान किसी को रत्ती भर भी नहीं।
इस उद्योग में जो निवेश करता है, उसको तो लाभ होना निश्चित है ही, घर में खड़ी गाड़ी से भी आप आसानी से लाभ ले सकते हैं, जिसको कभी – कभार गाड़ी की जरूरत पड़ती है, वह भी आसानी से इसे प्राप्त कर सकता है। दो घंटे से लेकर दस-बीस दिन के लिए सिर्फ किराया देकर आप गाड़ी के मालिक बन कर घूम फिर सकते हैं। सरकार को भी इस उद्योग से अच्छी खासी कमाई होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं।इस उद्योग से युवाओं को रोजगार भी थोक के भाव में मिलेगा।
उत्साही युवा उद्यमी हरजीत ढिल्लों बताते हैं कि हमारा यह छोटा- सा प्रयास थोड़े ही सालों में देश, समाज और लोगों की किस्मत तथा सोचने का ढंग पूरी तरह बदल कर रख देगा। करोना महामारी के बाद शहरी क्षेत्रों में जीवन जीने का एक नया तरीका उभरने की पूरी संभावना दिखाई दे रही है।
हरजीत ढिल्लों बताते हैं कि इस संबंधी आई एक रिपोर्ट में तो यहां तक कहा गया है कि निजी वाहन स्वामित्व में भारत को 2030 तक शेयरिंग सिस्टम अडॉप्ट करने में अग्रणी भूमिका निभाने का अनुमान है क्योंकि इलेक्ट्रिक और स्वायत्त वाहनों की बढ़ती हिस्सेदारी लोगों के अर्थशास्त्र को भी सूट करती है। विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिण एशियाई देश अपनी बड़ी जनसंख्या और वह भी इंटरनेट से पूरी तरह कनेक्टेड युवाओं के चलते शेयरिंग मोबिलिटी के बाजार के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं। आने वाले कुछ वर्षों में तो यहां तक उम्मीद की जा रही है कि शेयरिंग मोबिलिटी का कारोबार भारत में कुल यात्रा का 50% तक पहुंच जाएगा।
हरजीत ढिल्लों एक और जानदार तर्क देते हैं कि भारत में 35 वर्ष से कम आयु के लगभग 850 मिलियन युवा हैं और युवा अक्सर नए रुझानों के प्रति आकर्षित भी रहते हैं। यही युवा वर्ग शेयरिंग मोबिलिटी के कारोबार को नए आयाम प्रदान करने में सहायता करेगा।
फिको मोबिलिटी (FICO Mobility) के संस्थापक हरजीत ढिल्लों दावा करते हैं कि अभी आप माने या ना माने लेकिन शेयरिंग मोबिलिटी की अवधारणा शहरों के भविष्य के लिए एक स्पष्ट दृष्टि प्रदान करती है और आने वाले समय में शहरों को अधिक सुविधाजनक बनाने हेतु हितधारकों के बीच योग्य तालमेल स्थापित करने का काम करेगी।
उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधाएं मुहैया कराने वाले एक समृद्ध समुदाय का समर्थन करने हेतु कुशल एवं व्यापक परिवहन प्रणाली अनिवार्य है। शेयरिंग मोबिलिटी शुरू करने से भारत उस ओर कदम बढ़ाएगा जो ना सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल होगी बल्कि पहले से ज्यादा स्वच्छ भी होगी और साथ ही बढ़ती आबादी की जरूरतों को भी पूरा कर पाएगी।
सरकार सुरक्षित परिवहन विकल्पों को सक्षम करने वाली सहायक नीतियों के माध्यम से नई तकनीकों का लाभ आसानी से उठा सकती है। यातायात की भीड़ और पर्याप्त सार्वजनिक परिवहन के बुनियादी ढांचे की कमी भारत के महानगरीय शहरों में पिछले कई वर्षों से बदस्तूर जारी है। शेयरिंग मोबिलिटी का उद्देश्य एक मजबूत डेटाबेस ढांचे को सुविधाजनक बनाने के साथ साथ अंतिम पड़ाव तक कनेक्टिविटी को यकीनी बनाना भी है।
शेयरिंग मोबिलिटी के लिए यह कदम अपरिहार्य नहीं है, लेकिन यह अपने साथ मोटर वाहन उद्योग के लिए नई चुनौतियां और अवसर दोनों लाता है। व्यापक आर्थिक लाभ प्राप्त करने और कार्बन आधारित ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए उचित ढंग से निपटने की आज बहुत आवश्यकता है।
संक्षेप में कहा जाए तो इस कारोबार के प्रमुख हितधारकों के सामूहिक प्रयास इस क्षेत्र को निकट भविष्य में एक बहुत ही लाभदायक बाजार बनाने में मदद कर सकते हैं जिससे देश और समाज का भी उतना ही फायदा होगा।

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