चंडीगढ़, 30 मई । यूटी कैडर एजुकेशनल एप्लाइज यूनियन की रविवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा बैठक हुई । जिसमें शिक्षा विभाग के प्रमुख रूपिंदरजीत सिंह बराड़ द्वार लिए गए निर्णय की बहुत सराहना हुई। इसमें करोना महामारी के दौरान आनाथ हुए बच्चों को ना केवल मुफ्त शिक्षा बल्कि ग्रैजुएशन तक मुफ्त शिक्षा देने का निर्णय लिया गया है। यूनियन का पूरा नेतृत्व मानता है कि इतने बड़े फैसले लेने की इच्छाशक्ति शिक्षा विभाग के मुखिया रूपिंदरजीत सिंह बराड़ में है।
यूटी कैडर एजुकेशनल एप्लाइज यूनियन ने कुछ और मांगें शिक्षा विभाग के प्रमुख रूपिंदरजीत सिंह बराड़ के सामने रखी हैं और यूनियन के पूरे नेतृत्व को उम्मीद है कि ये जल्द ही पूरी हो जाएंगी। युनियन की मांग है कि कोरोना महामारी के दौरान मरने वाले शिक्षकों को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। जिन शिक्षकों को कोरोना महामारी के कारण बीपी या मधुमेह है, उन्हें कोरोना क्षेत्र में नहीं लगाया जाना चाहिए। जून में बच्चों को स्कूल न बुलाएं, क्योंकि कोरोना महामारी अभी कम नहीं हुई है। छुट्टियों के दौरान ड्यूटी पर रहने वाले शिक्षकों को ई. लीव दी जानी चाहिए। ताकि शिक्षक आगे भी इस प्रकार के कार्य में भाग लेते रहे।
शिक्षा विभाग में लंबे समय से कार्यरत कच्चे शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित नीति तैयार की जानी चाहिए और पैसे के लिए कर्मचारियों का शोषण करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। शिक्षा विभाग के सरकारी स्कूलों में पंजाबी भाषा प्रथम श्रेणी से शुरू की जानी चाहिए क्योंकि पंजाबी भाषा अभी भी सरकारी स्कूलों में चौथी कक्षा से शुरू होती है।
यह जानकारी जारी एक विज्ञप्ति में यूटी कैडर एजुकेशनल एम्प्लाइज यूनियन, चंडीगढ़ यूटी के अध्यक्ष स्वर्ण सिंह कम्बोज ने दी।