वैक्सीन सप्लाई की रफ्तार बेहद सुस्त कैसे भागेगा कोरोना: सुनील यादव

वैक्सीन सप्लाई की रफ्तार बेहद सुस्त कैसे भागेगा कोरोना: सुनील यादव
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चंडीगढ़, 29 मई । देश में वैक्सीन सप्लाई की सुस्त रफ्तार पर केंद्र सरकार की विफलता पर बोलते हुए पंजाब युथ कांग्रेस जिला एसएएस नगर के प्रवक्ता सुनील यादव ने कहा कि देश की आबादी लगभग 140 करोड़ है और अभी तक महज 20 करोड़ को ही टीका लगा है। यदि दोनो डोज़ लगने की बात करें तो यह संख्या बहुत कम होगी। कोरोना एक राष्ट्रीय आपदा है और देश व प्रदेश में महामारी अधिनियम भी लगा हुआ है ऐसे मे विदेशों से वैक्सीन इम्पोर्ट करने की जिम्मेवारी भी केंद्र सरकार की होनी चाहिए ताकि ज्यादा मात्रा के टेंडर पर टीका कम रेट पर उपलब्ध होगा और खरीद प्रक्रिया में भ्र्ष्टाचार की संभावना भी कम होगी लेकिन केंद्र सरकार ने जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ते हुए यह जिम्मेवारी राज्य सरकारो को सौंप दी जिसके दूरगामी प्रभाव होंगे क्योंकि बिहार,उत्तरप्रदेश जैसे राज्य टीकाकरण की रफ्तार में पिछड़ सकते है। प्रश्न यह भी उठता है कि इतनी आबादी वाले देश मे सिर्फ भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीटूट पर निर्भर रहना खतरे से खाली नही क्योंकि इन दोनों की उत्पादन क्षमता पर निर्भर रहेंगे तो पूरी आबादी के टीकाकरण में कई वर्ष से अधिक का समय लग जाएगा जो देश के लिए घातक होगा। रूसी वैक्सीन स्पुतनिक की डोज़ भी सीमित मात्रा में ही भारत आई है। कोरोना महामारी से निपटने के लिए जब विश्व के देश वैश्विक कम्पनियों को टीके के आर्डर दे रहे थे तब हमारे कर्णधार रैलियों में व्यस्त थे। एक अनुमान के अनुसार आज हमे कुल लगभग 280 करोड़ डोज़ की आवश्यकता है, जिसमे से 20 करोड़ को टीका लग चुका है, जिसके लिए बहुत बड़े टेंडर की आवश्यकता है जो सिर्फ केंद्रीकृत व्यवस्था में ही सम्भव है। राज्यो के छोटे छोटे टेंडर से अव्यवस्था भी फैलेगी और लागत भी अधिक आएगी। कई राज्यो ने तो 18-45 वर्ग की वैक्सीनशन रोक दी है। मई माह में हुआ टीकाकरण अप्रैल माह के मुकाबले आधा भी नही हुआ। ऐसे में केंद्र सरकार से विनम्र अपील है कि जनहित को देखते हुए केंद्रीकृत टेंडर प्रक्रिया हो, स्पुतनिक के साथ साथ अन्य देशों की वैक्सीन का भी आर्डर दिया जाए और सबसे महत्वपूर्ण यह कि भारत मे जो फर्मे टीका बनाने की आधारभूत सरंचना से युक्त हो उन्हें जल्दी से जल्दी लाइसेंस देकर टीके का उत्पादन बढ़ाना चाहिए ताकि पूरी आबादी सेफ ज़ोन में आ सके।

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