चण्डीगढ 1 मार्च । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल प्रदेश के अति गरीब परिवारों के आर्थिक उत्थान को लेकर बेहद गम्भीर हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के ऐसे सबसे गरीब एक लाख परिवारों की आमदनी सालाना एक लाख रुपये तक करने का संकल्प लिया है। सोमवार को सिविल सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में यह संकल्प दोहराते हुए उन्होंने अधिकारियों को इस योजना के लिए तेजी से कार्य करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि ये अति गरीब एक लाख परिवार योजना का लाभ लेने के लिए खुद आगे आने वाले नहीं बल्कि सरकार को पहल करके इनकी पहचान करनी है। ये अति गरीब किसी झुग्गी झोपड़ी या मलिन बस्तियों में रहने वाले हो सकते हैं। उन तक योजना का लाभ पहुंचाने के लिए हमें खुद उनके पास पहुंचना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लोग पहले से रोजगार पर हैं हमें उन्हें नहीं छेडऩा है बल्कि नए काम ढूंढक़र एक लाख परिवारों की आमदनी बढ़ानी है। हमारा लक्ष्य सबको काम देना है। एक लाख अति गरीब परिवारों की आमदनी बढ़ाने के बाद अगले एक लाख का लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा। इस प्रकार यह क्रम लगातार जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि इन अति गरीब परिवारों की पहचान परिवार पहचान पत्र के सर्वे के माध्यम से की जाएगी। यह सर्वे लोकल कमेटियों द्वारा किया जाएगा जो जिले में अतिरिक्त उपायुक्त की देखरेख में काम कर रही हैं। बहुत जल्द ही यह एक लाख परिवारों की सूची तैयार हो जाएगी। यह आय का साधन बढ़ाने की योजना है।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान विश्वकर्मा कौशल विकास विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर राज नेहरू को समाज के अंतिम पायदान पर खड़े कम पढ़े-लिखे व अन्य कारणों से पिछड़े ऐसे परिवारों के लिए रोजगार की उपलब्धता के लिए आवश्यक कोर्स तैयार करने के लिए कहा। इन परिवारों के योग्य युवा, महिला एवं अन्य को कौशल विकास योजना के तहत कोर्स करवाकर परिवारों की आमदनी बढ़ाए जाने का काम किया जाएगा। उन्होंने बेसिक कोर्स औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में करवाए जाने की भी योजना बनाने के लिए निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे परिवार इन कोर्सो के लिए खुद आवेदन नहीं करने वाले बल्कि उनके पास जाकर उनका आवेदन भी करवाना है और प्रशिक्षण भी करवाना है ताकि इन परिवारों का आर्थिक स्तर ऊपर उठ सके। उन्होंने कहा कि कौशल विकास एक ऐसा मंच है जिसके माध्यम से लोगों का जीवन स्तर सुधारने में अहम भूमिका निभाई जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे गरीब परिवारों को अडॉप्ट करने के उद्योगपतियों से भी आग्रह किया जाएगा। ऐसे परिवारों को स्वरोजगार के लिए न केवल ब्याज रहित ऋण दिए जाने की योजना बनाई जाएगी, बल्कि प्रदेश में पहले से चल रहे 40 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूहों का भी सहयोग लिया जाएगा। इसके लिए इन समूहों के साथ इन अति गरीब परिवारों को जोडऩे का काम किया जाएगा और समूहों को रोजगार के लिए ऋण उपलब्ध भी करवाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को योजना पर तेजी से काम करने के निर्देश दिए। इस मौके पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी एस ढेसी, मुख्य सचिव विजय वर्धन, अतिरिक्त मुख्य सचिव टी सी गुप्ता, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव उमाशंकर, अतिरिक्त प्रधान सचिव डा. अमित अग्रवाल, विश्वकर्मा कौशल विकास विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।